जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के प्रयासों और उनकी संपत्तियों से कब्जे हटाने की कवायद के बीच पाकिस्तान ने फिर 1990 जैसे हालात पैदा करने की साजिश रची है। कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाकर उन पर हमले कराने के साथ अब उनके मंदिरों को जलाने की कोशिश इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। नब्बे के दशक में भी इसी तरह हालात पैदा किए गए थे, जिसके बाद कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
सूत्रों का कहना है कि दरअसल पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई को यह रास नहीं आ रहा है कि सरकार ने कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों से कब्जे हटाने का अभियान शुरू किया है। उनकी चिंता है कि यदि यह अभियान सफल रहा तो फिर घाटी पंडितों से आबाद हो सकती है। इसी के मद्देनजर पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और द रजिस्टेंस फ्रंट को इस समाज को निशाना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पूरी साजिश इनमें खौफ का वातावरण बनाने की है।
कुछ दिनों से कश्मीरी पंडितों पर आतंकियों ने हमले तेज किए
इसी साजिश के तहत पिछले कुछ दिनों से कश्मीरी पंडितों पर आतंकियों ने हमले तेज किए हैं। इसमें दो जनप्रतिनिधियों की हत्या कर दी गई। हाल ही में हंदवाड़ा में साथी पुलिसकर्मी अजय धर की गोली लगने से मौत को भी परिवार वाले हत्या करार दे रहे हैं। परिवार का आरोप है कि सुनियोजित तरीके से हत्या की गई। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
कश्मीरी पंडितों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है मट्टन
गौरतलब है कि जब आतंकवाद चरम पर था तब भी मट्टन में कश्मीरी पंडितों ने घर-बार नहीं छोड़ा था। यहां कश्मीरियत की मिसाल के तहत दोनों समुदाय के लोग मिलकर रह रहे थे। सूर्य मंदिर में कुछ दिनों के लिए पूजा-अर्चना जरूर रुकी थी, लेकिन फिर सब कुछ सामान्य हो गया।
कभी भी यहां पंडित समाज को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। देशभर में रहने वाले कश्मीरी पंडित मट्टन आकर पूजा अर्चना करते रहे। अब सीधे कुल देवी के मंदिर भार्गशिखा में तोड़फोड़ व आगजनी से कश्मीरी पंडित समाज को निशाना बनाया गया है। उनमें भय का वातावरण पैदा करने की साजिश की गई है, ताकि वे घाटी में लौटने का विचार न बना सकें। मट्टन कश्मीरी पंडितों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है।
मंदिर में तोड़फोड़ और आगजनी से कश्मीरी पंडितों में रोष
कुल देवी मंदिर में तोड़फोड़ और आगजनी से कश्मीरी पंडितों में रोष है। मट्टन इलाके के हिंदू नेता अशोक सिद्धा का कहना है कि अवांछनीय तत्वों को मंदिर में तोड़फोड़ के लिए सजा मिलनी चाहिए। यह लोग आपसी भाईचारे को फिर से बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं।
पनुन कश्मीर के प्रेस सचिव एमके धर का कहना है कि अलग होमलैंड के बिना समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। वितस्ता (झेलम) के उत्तर-पूर्व इलाके में होमलैंड बनाकर कश्मीरी पंडितों को बसाया जाना चाहिए। इसमें घाटी से विस्थापित होने वाले सभी लोगों को रखा जाना चाहिए। कंपोजिट संस्कृति से समस्या का हल नहीं निकलेगा।