- जम्बूद्वीप में जुटे पांच हजार लोग, चुनाव में गड़बड़ी का आरोप
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: अखिल भारतीय पल्लीवाल जैन महासभा का त्रिवार्षिक चुनाव रविवार को जंबूद्वीप परिसर में होना था। जिसमें देशभर के करीब पांच हजार जैन समाज के लोग पहुंचे, परंतु इस अधिवेशन में घंटों चली गहमागहमी के कारण कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने यह चुनाव रद कर दिया। वर्तमान कमेटी के अध्यक्ष व महामंत्री ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हंगामा बढ़ता देख एसडीएम, सीओ भी मौके पर पहुंचे और पीएसी को बुलाना पड़ गया था।
रविवार को जम्बूद्वीप में होने वाले अखिल भारतीय पल्लीवाल महासभा के त्रिवार्षिक चुनाव की तैयारियां पूर्ण हो चुकी थी। सुबह राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के विभिन्न जनपदों से समाज के लगभग पांच हजार मतदाता एकत्र हुए। पल्लीवाल समाज के करीब पांच हजार लोग चुनाव में भाग लेने के लिए पहुंचे।
महासभा के महामंत्री राजीव रतन जैन ने बताया कि इस चुनाव में दो पैनलों ने भाग लिया। जिसमें एक पैनल में अध्यक्ष, महामंत्री व कोषाध्यक्ष पद के एवं दूसरे पैनल में भी अध्यक्ष पद महामंत्री व कोषाध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना था। जिनके लिए पदाधिकारी भी तय कर लिए गए थे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रविवार सुबह जंबूद्वीप स्थल पर झंडारोहण किया गया। उसके बाद जंबूद्वीप में शांतिसागर हाल में महासभा का त्रिवार्षिक अधिवेशन की शुरुआत की गई।
जिसमें दोनों ही पैनलों की ओर से जमकर कई घंटों तक गहमागहमी चलती रही। चुनाव कमेटी द्वारा पूर्व से ही कोई व्यवस्था नही की गई और अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा। बैलेट पेपर पर मुहर लगाकर चुनाव होना तय था, लेकिन चुनाव कमेटी द्वारा बताया कि बैलेट पेपर पर केवल पैन से टिक मार्क करके की बात कही गई। जिस पर मतदाताओं का आक्रोश फूटने लगा। कुछ देर बात मतदाताओं को फर्जी बताकर रोका जाने लगा।
लगभग एक बजे एसडीएम अखिलेश यादव, सीओ उदय प्रताप, चुनाव अधिकारी अनुपम जैन, दोनों पैनल के प्रतिनिधियों की बंद कमरें में बैठक हुई और डेढ़ बजे चुनाव अधिकारी ने चुनाव को रद्द करने की घोषणा कर दी। भारी हंगामे को देखते हुए पीएसी बुलानी पड़ी।
सवा तीन बजे आम बैठक में भारी विरोध के बीच महासभा के वर्तमान पदाधिकारी अध्यक्ष आरसी जैन व महामंत्री राजीव रतन जैन ने अपना इस्तीफा दे दिया। इस अवसर पर जंबूद्वीप के प्रबंधन मंत्री विजय जैन ने बताया कि यह चुनाव अखिल भारतीय पल्लीवाल महासभा का था, जो गहमागहमी के कारण रद किया गया है। इसमें स्थानीय स्तर पर जैन समाज के लोग मौजूद नहीं थे।