Friday, January 10, 2025
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सीबीएसई परीक्षाओं के लिए योजना और प्राथमिकता

 

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विद्यार्थी जीवन की पूर्णता और सफलता के लिए परीक्षाएं अनिवार्य प्रक्रिया के रूप मे कार्य करती हैं। क्योंकि भविष्य में इनसे ही शानदार करिअर का निर्माण होता है। सीबीएसई के द्वारा दसवीं और बारहवीं की सेकंड टर्म की लिखित परीक्षाएं अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कराए जाने की घोषणा की गई हैं। बोर्ड की कक्षाओं के स्टूडेंट्स के लिए सेकंड टर्म की परीक्षाओं के परिणाम अत्यंत ही अहम होते हैं। इस तरह की मान्यता के पीछे मुख्य वजह यह है कि इन परीक्षाओं के परिणाम भविष्य में विविध प्रोफेशनल कोर्स में ऐडमिशन और फेवरिट करिअर के डोमेन में एंट्री के लिए आधारशिला का कार्य करती हैं। किंतु इन फाइनल परीक्षाओं में उत्कृष्ट और मनचाही सफलता की राहें आसान नहीं होती हैं। परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना एक कला है जिसमें पूर्णता के लिए कठिन मिहनत, सतत अभ्यास, अच्छी प्लानिंग अनिवार्य होती है।

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पाठ्यक्रमों को अच्छी तरह से जानना जरूरी

किसी विषय का पाठ्यक्रम एक रोड मैप का काम करता है, क्योंकि उसी के आधार पर परीक्षा की तैयारी के लिए प्लानिंग की जाती है। लिहाजा सभी सब्जेक्ट्स के सिलेबस को अच्छी तरह से जानना परीक्षा की तैयारी की यात्रा में पहला महत्वपूर्ण कदम होता है। इस संदर्भ में निम्न बातों का ध्यान रखना लाभप्रद होता है-

सभी सब्जेक्ट्स के सिलेबस के प्रत्येक चैप्टर के अलॉटेड मार्क्स के बारे में एक लिस्ट तैयार कर लें।

पाठ्यक्रम में हाई और लो मार्क्स वाले चैप्टर्स के लिस्ट बना लेना भी एक अच्छी स्ट्रेटेजी माना जाता है।

प्रश्नों के उत्तर में जरूरत के हिसाब से डाईग्राम्स और ग्राफ्स का प्रयोग, विशेषकर बायोलॉजी, मैथमेटिक्स, इकोनॉमिक्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे विषयों में अच्छे मार्क्स दिलाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक यूनिट में ऐसे चैप्टर का चयन कर लेने से परीक्षा की तैयारी काफी आसान हो जाती है।

परीक्षाओं में अच्छे परसेंट और सफलता के लिए न्यूमेरिकल प्रश्नों की भूमिका को भी हम नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। साइंस के विषयों के अतिरिक्त ह्यूमनिटीज के विषयों उदाहरण के लिए इकोनॉमिक्स और कॉमर्स में एकाउंटेंसी में भी इस प्रकार के बहुत सारे प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिए अपने सब्जेक्ट में वैसे चैप्टर्स की पहचान करें जिनसे न्यूमेरिकल प्रश्न पूछे जाते हैं और फिर उनकी अच्छी तैयारी करें।

योजना बनाएं और उसे स्ट्रिक्टली फॉलो करें

प्लानिंग को हर लक्ष्य प्राप्ति की कसौटी माना जाता है, क्योंकि प्राय: ऐसा कहा जाता है कि यदि आप अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए योजना बनाने में असफल रहते हैं तो आप असफल होने की योजना बना रहे होते हैं। आशय यह है कि फाइनल जैसे अहम परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक परफेक्ट प्लानिंग काफी जरूरी है। लेकिन प्लान रियलिस्टिक होने चाहिए. प्लानिंग करने के पूर्व स्टूडेंट्स को निम्न बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए –

परीक्षा की तैयारी के लिए आपके पास समय और संसाधानों की कितनी उपलब्धता है।

इस परीक्षा में आपका लक्ष्य क्या है? आप क्या और कितना अचीव करना चाहते हैं?

आप धैर्यपूर्वक एक स्थान पर बैठकर कितनी देर पढ़ सकते हैं?

और सबसे महत्वपूर्ण-आप अपने लक्ष्य के प्रति कितने कठोर, समर्पित और कर्तव्यनिष्ठ हैं?

प्राथमिकता के आधार पर सब्जेक्ट्स की तैयारी करें

इस सत्य से कदाचित ही कोई इनकार कर पाए कि प्रत्येक स्टूडेंट का अपना मनपसन्द सब्जेक्ट होता है, जिसकी तैयारी के लिए उसे अधिक समय नहीं देना होता है और न ही अधिक प्रयास करना होता है। किंतु सभी छात्रों के लिए कुछ विषय अपेक्षाकृत कठिन होते हैं। ऐसी स्थिति में यदि सभी विषयों को फेवरिट, नॉन-फेवरिट और ईजी और हार्ड के आधार पर बाँट लें तो तैयारी जल्दी और अधिक आसान हो जाती है। इतना करने के बाद जो सब्जेक्ट्स डिफिकल्ट की केटेगरी में आते हैं, उनकी तैयारी के लिए अधिक टाइम देना अच्छा रहता है। प्राथमिकता के आधार पर इस प्रकार की तैयारी और प्लानिंग से टाइम मैनेजमेंट की प्रॉब्लम भी सॉल्व हो जाती है।

फैक्ट्स, फिगर्स और फॉर्मूले की नहीं करें अनदेखी

आॅब्जेक्टिव और बहु-विकल्पी प्रश्न (मल्टीप्ल चॉइस क्वेस्चन्स) परीक्षा में मार्क्स दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस लिहाज से संपूर्ण सिलेबस का गहन और सूक्ष्म अध्ययन आवश्यक होता है। ऐसे प्रश्नों की तैयारी के लिए इंर्पोटेंट फैक्टस, फीगर्स, फॉर्मले, इनवेंश्न और डिस्कवरी की महत्वपूर्ण तिथियों, महत्वपूर्ण घटनाओं के घटित होने के वर्ष और उनके तात्कालिक कारण और परिणाम, विविध कॉन्सेप्ट्स और उनसे रिलेटेड सभी इंर्पोटेंट इन्फॉर्मेशन को जानना और उन्हें आत्मसात करना अनिवार्य होता है।

केवल प्रैक्टिस से ही पूर्णता प्राप्त होती है

सामान्य रूप से कुछ स्टूडेंट्स नियमित रूप से नहीं पढ़ते हैं। उपलब्ध समय के अनुसार नियमित रूप से पढ़ना सेल्फ्स-स्टडी भी कहलाता है। निरंतर अभ्यास से हम पूर्ण बन जाते हैं और यही बात पढ़ाई में भी लागू होती है। इसके लिए रोज दिन पढ़ने की आदत डालनी जरूरी है। इस तरह की रेगुलर स्टडी से सिलेबस को कवर करना भी आसान हो जाता है। सेल्फ स्टडी से हम अपनी कमियों को सुधार सकते हैं। इसके माध्यम से हम किसी भी सब्जेक्ट पर मास्टरी हासिल कर सकते हैं।

विषय-वस्तु को समझना जरूरी

सब्जेक्ट मैटर्स को समझने की बजाय उसे रटने की कोशिश करना सब्जेक्ट्स की तैयारी की शॉर्ट-कट और अस्थायी विधि है, क्योंकि इस तरह से रट कर याद की हुई चीजें कुछ देर के लिए ही हमारे मस्तिष्क में रह पाती हैं। इसीलिए चीजों को स्थायी रूप से याद रखने के लिए उसे समझना जरूरी होता है। विषय वस्तु को बिना समझे हुए परीक्षा की तैयारी अधूरी तैयारी है जो समय पर हमारे काम नहीं आ पाती है।

पढ़ें और लिखें भी

पढ़ने के साथ-साथ लिखने की कला के द्वारा हम किसी भी टॉपिक्स को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं और लंबे समय के लिए आत्मसात कर सकते हैं। इसके कारण लिखने की क्षमता का भी विकास होता है। इसीलिए जब भी पढ़ने बैठें तो अपने पास लिखने के लिए नोटबुक और पेन जरुर रखें। पढ़ने के साथ मेन पॉइंट्स को नोट करते रहने से पचास प्रतिशत टॉपिक्स की तैयारी मुकम्मल हो जाती है।

नोट बुक होते हैं रेडी रेकनर

परीक्षा की अच्छी तैयारी के लिए सभी विषयों के नोट बुक बनाना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि परीक्षा के समय यह सब्जेक्ट मैटर्स को रिवाइज करने में काफी हेल्प करता है। प्रत्येक सब्जेक्ट के नोट बुक में उस सब्जेक्ट के सभी चैप्टर्स के सारे कॉन्सेप्ट्स, फॉर्मूले, फीगर्स, फैक्ट्स, चैप्टर के लास्ट में दिए गए एक्सरसाइज के क्वेश्चन-आंसर साफ-साफ लिखे होने चाहिए। कोशिश यह भी होनी चाहिए कि नोट बुक में ओवरराइटिंग और गलतियां कम-से-कम हो।

स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया के इस्तेमाल में बरतें सावधानियां

आधुनिक समय में स्मार्ट फोन का उपयोग जहां, हमारे लिए कई प्रकार से वरदान साबित हुआ है, वहीं इसके प्रति नयी पीढ़ी के बच्चों का आॅबसेशन सीरियस स्टडी की राह में एक बड़ी बाधा के रूप में कार्य करता है। लिहाजा आपको अपने मन पर नियंत्रण रखने की जरूरत है। स्मार्ट फोन पर गेम्स खेलने और सोशल मीडिया पर अपने फ्रेंड्स से इंटरएक्ट या चैट करने में जाया हो रहे टाइम पर नियंत्रण रखें ताकि आप स्टडी में अपने बहुमूल्य समय का सदुपयोग कर पाएं।

परीक्षा के दिन क्या करें

परीक्षा का दिन किसी भी स्टूडेंट के लिए काफी डर और घबराहट का होता है। परीक्षा की अच्छी तैयारी के बावजूद उसके मन में कई संदेह बना ही रह जाता है। परीक्षा के दिन अच्छा परफॉर्म करने के लिए इस दिन हमें निम्न बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए –

डरें नहीं और धैर्य रखें। खुद पर आत्मविश्वास रखें और यह मानकर चलें कि सब कुछ अच्छा होगा।

इस दिन प्राय: स्टूडेंट परीक्षा के डर के कारण नाश्ता नहीं करते हैं। यह उचित नहीं है। नाश्ता अवश्य करें।

परीक्षा के लिए अपने घर से समय से पूर्व चलें ताकि व्यस्त ट्रैफिक में आपका टाइम खराब न हो।

सुनिश्चित कर लें कि आपने अपने साथ एडमिट कार्ड या हॉल टिकट रख लिया है। इसके अतिरिक्त अच्छी क्वालिटी के दो-तीन पेन, पेंसिल, इरेजर, स्केल जरुर रखें।

अपने साथ मोबाइल, कैलकुलेटर, इलेक्ट्रॉनिक वॉच और अन्य डिजिटल

परीक्षा हॉल में कॉपी या स्क्रिप्ट मिलने के बाद फ्रंट पेज पर आवश्यक इनफार्मेशन को सावधानी से भरें।

आंसर शीट और क्वेश्चन पेपर पर लिखे गए सभी निर्देशों को सावधानी से पढ़ें और उसके अनुसार कार्य करें।

प्रश्नों को सावधानी से पढ़ें और तभी उसके आंसर लिखें।

कठिन प्रश्नों पर समय बर्वाद नहीं करें। ऐसे प्रश्नों के उत्तर लास्ट में दें।

प्रश्नों के उत्तर छोटे-छोटे पैराग्राफ में और पॉइंट्स में दें।

प्रश्नों के उत्तर देते समय शब्द सीमा का ध्यान रखें।

प्रश्नों के उत्तर देते समय बचे हुए समय का भी ध्यान रखना जरूरी होता है जिससे आप प्रश्नों के उत्तर देने में टाइम को मैनेज कर पायें।

श्रीप्रकाश शर्मा


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