- शहरी की ध्वस्तीकरण टीम को सौंपे जाएंगे ड्रोन ध्वस्तीकरण से पहले अवैध कालोनी में उड़ाया जाएगा ड्रोन
- अवैध कालोनी काटने वालों पर शिकंजा कसने की मेडा ने की है तैयारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में अवैध निर्माण व खेतों में अवैध कालोनी काटने वालों पर मेडा ने शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। खेतों पर प्लाटिंग व शहर में अवैध निर्माण करने वालों पर ड्रोन से नजर रखी जाएगी। इसके लिए मेरठ विकास प्राधिकरण की ध्वस्तीकरण टीम को एक-एक ड्रोन दिया जाएगा। ध्वस्तीकरण से पहले कालोनी व अवैध निर्माण के पास ड्रोन उड़ाया जाएगा। ड्रोन से वीडियो व फोटो ली जाएगी। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
जिले में 300 से ज्यादा अवैध कालोनियों की लिस्ट मेडा जारी कर चुका है। इसके बाद भी कंकरखेड़ा बाइपास, खिर्वा रोड, अब्दुल्लापुर, किनानगर, परीक्षितगढ़ रोड, गढ़ रोड, माछरा, परतापुर, भूड़बराल, डुंगरावली, महमूदपुर, भोला रोड आदि आउटर स्थानों पर खाली पड़े खेतों पर प्लाटिंग करके कालोनी काटी जा रही है। इसके साथ शहर में कई स्थानों पर अवैध निर्माण भी हो रहा है। शिकायत मिलने पर मेडा की टीम अवैध निर्माण व अवैध कालोनी को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करती है। टीम के जाने के बाद कालोनी में निर्माण कार्य दोबारा से शुरू हो जाता है।
मेडा के अधिकारियों ने ऐसी अवैध कालोनी काटने वालों से सख्ती से निपटने के लिए ड्रोन से निगरानी करने के निर्देश जारी किए है। मेडा की चार जोन की ध्वस्तीकरण टीम को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे। ध्वस्तीकरण के साथ ड्रोन लेकर जाएगी। इसके साथ वहां पर ड्रोन उड़ाया जाएगा। इसके साथ वहां पर वीडियो व फोटोग्राफी होगी। इसके बाद कालोनी पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। मेडा उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे का कहना है कि अवैध कालोनी व अवैध निर्माण की सूचना पर ध्वस्तीकरण की टीम भेजकर नियमानुसार कार्रवाई कराई जाती है।
खरीदे जाएंगे 12 ड्रोन
शुरुआत में पहले 12 ड्रोन खरीदे जाएंगे। इन कैमरों को जोनल इंचार्ज को सौंपा जाएगा। इसके बाद ध्वस्तीकरण से पहले ड्रोन उड़ाया जाएगा। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। अगर नोटिस देने वाला मामला होगा तो नोटिस भी दिया जाएगा।
मकान अवैध कॉम्प्लेक्सों में तब्दील
मेरठ: शहर की घनी आबादी वाले कोतवाली व देहलीगेट में घरों को तोड़कर बनवा दिए गए अवैध कॉम्प्लेक्सों के मामले को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट में आज सुनवाई होगी। याचिका दायर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने बताया कि उक्त इलाकों में दो से 150 साल पुराने मकानों को मेडा प्रशासन के कुछ अफसरों से मिलीभगत कर भूमाफियाओं ने अवैध कॉम्प्लेक्सों में तब्दील कर दिया है। ये सभी अवैध कॉम्प्लेक्स तंग गलियों में बनवा दिए गए हैं। कई गलियां तो इनमें से ऐसी हैं, जहां से होकर ई-रिक्शा भी नहीं गुजर सकती है। न तो वहां पार्किंग है और न ही आग सुरक्षा से बचाव के लिए कोई इंतजाम हैं। तमाम अवैध कॉम्प्लेक्स मौत के कुओं की मानिंद हैं।
हाईकोर्ट में दायर की गयी याचिका में लाला का बाजार, ठठेरवाड़ा, नील की गली, शहर सराफा बाजार, भाटवाड़ा आदि तमाम पुराने इलाकों में जहां पहले ही भारी भीड़ रहती है। उन इलाकों में मकानों को अवैध कॉम्प्लेक्सों में बदलने की बात कही है। कुछ ऐसे इलाकों की जानकारी याचिका की मार्फत कोर्ट को दी गयी है। जहां दो-दो फीट की तंग गलियों में 100-100 दुकानों के अवैध कॉम्प्लेक्स अफसरों की मिलीभगत से बनवा दिए गए हैं। याचिकाकर्ता ने इसके लिए मेडा अफसरों को कसूरवार ठहराया है। उनका आरोप है कि भूमाफिया प्रवृत्ति के कारोबारियों ने ये अवैध कॉम्प्लेक्स बनाए हैं। तमाम पुराने मकान जो तंग गलियों में हैं।
वहां अवैध कॉम्प्लेक्सों का जाल बिछा दिया गया। याचिका में कहा गया है कि मौत के कुओं की मानिंद इन अवैध कॉम्प्लेक्सों को लेकर उन्होंने मेरठ प्राधिकरण के अफसरों के अलावा जिला प्रशासन के तमाम उच्च पदस्थ अफसरों तक से इनकी शिकायत की है, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। ये तमाम अवैध कॉम्प्लेक्स बडेÞ हादसों को न्योता देते नजर आते हैं। यदि इनमें कभी कोई आग सरीखा हादसा हो गया या कभी भगदड़ मच गयी तो वहां हताहत होने वालों की संख्या इतना ज्यादा होगी कि गिने भी नहीं जा सकेंगे।
मनोज चौधरी का आरोप है कि किसी भी कॉम्प्लेक्स में फायर एनओसी तक नहीं है। फायर एनओसी के बगैर तो कोई भी अवैध कॉम्प्लेक्स बन नहीं सकता। इसके अलावा यहां सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है। तमाम ऐसे अवैध कॉम्प्लेक्स हैं, जहां घरों को तोड़कर उन्हें कॉम्प्लेक्स में बन दिया गया। 100-100 दुकानें बना दी गईं, लेकिन इन कॉम्प्लेक्सों में आने वालों के वाहन कहां पार्क होंगे, इसको लेकर सभी ने चुप्पी साध ली है।
सर्वे में इंजीनियरों ने 250 मकानों को किया चिह्नित
मेरठ: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आवास विकास इंजीनियरों ने रविवार को भी सेंट्रल मार्केट शास्त्री नगर में सर्वे अभियान चलाया। इस दौरान 40 से ज्यादा आवासीय मकानों में अवैध कॉम्प्लेक्स व अपार्टमेंट बने मिले। कई स्थानों पर अवैध निर्माण चलता हुआ मिला। इंजीनियरों ने सारे मामले में वीडियोग्राफी की। इसके बाद मौके पर ही सर्वे रिपोर्ट तैयार की। आवास विकास के अधिशासी इंजीनियर आफताब अहमद का कहना है कि आज रिपोर्ट तैयार करके कोर्ट में भेज दी जाएगी। इसके बाद कोर्ट के निर्णय आने का इंतजार किया जाएगा।
बताया गया कि शास्त्री नगर योजना के आवासीय भवनों में कुछ लोगों ने कॉम्प्लेक्स व फ्लेट बना लिए हैं। इसके साथ कुछ आवासीय भवनों में शोरूम भी बन गए हैं। यहां के भूंखड संख्या 666 सेक्टर छह में बने निर्माण को हाईकोर्ट ने ध्वस्त कराने का आदेश 2013 में दिया। स्थानीय व्यापारियों के विरोध में बाद में दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले लिया। स्टे के कारण पिछले 11 साल से कार्रवाई टली हुई है।
19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके साथ भू-उपयोग परिवर्तन कर हुए अन्य निर्माणों का ब्योरा एक सप्ताह में देने के आदेश दिए। उसको लेकर आवास विकास अधिकारियों में अफरा-तफरी मची हुई है। रविवार को भी आवास विकास के अधिशासी अभियंता आफताब अहमद ने टीम के साथ शास्त्रीनगर सेक्टर चार और पांच का सर्वे किया। जिसमें कई आवासीय मकानों में दुकानें व कॉम्प्लेक्स बने मिले।
छह दिन तक चलेगा सर्वे अभियान
आवास विकास अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शास्त्री नगर में छह दिन तक लगातार सर्वे अभियान चलाया। इस दौरान टीम ने 250 से ज्यादा आवासीय भवनों को चिह्नित किया। जिसमें भवन तोड़कर कॉम्प्लेक्स, अपार्टमेंट, बैंक्वेट हॉल, शोरूम बनाए गए हैं। उन्होंने सभी आवासीय भवनों की फोटोग्राफी की। इसके साथ रिपोर्ट तैयार की। इंजीनियर आफताब अहमद का कहना है कि सर्वे अभियान समाप्त हो गया है। सोमवार को रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी। इसके बाद यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की जाएगी।