Saturday, April 20, 2024
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रवि दहिया के शानदार प्रदर्शन से लहराया हरियाणा का परचम

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में बुधवार को हरियाणा का दमखम दिखा। सोनीपत के प्रतिभाशाली दमदार पहलवान रवि दहिया ने 57 किग्रा भार वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए प्री क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया के पहलवान ऑस्कर टिगरेरोस उरबानो को 13-2 से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है। दोनों पहलवानों के बीच पहले ही मिनट से कड़ी टक्कर देखने को मिली।

इस दौरान दहिया ने दो अंक हासिल किए। लेकिन उरबानो ने रिवर्स टेकडाउन में स्कोर बराबर कर लिया। इसके बाद रवि ने जोरदार वापसी की और कुल 10 अंक बटोरकर मुकाबला अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही भारत का एक और पदक पक्का हो गया है।

रवि के पिता राकेश कुमार आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण कुश्ती में आगे नहीं बढ़ सके थे, लेकिन अपने बेटे को वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन करते देखना चाहते हैं। बुधवार को रवि ने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया। राकेश खुद भी कुश्ती करते थे और आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन गुजर-बसर के लिए खेती में जुट गए।

सोनीपत के गांव नाहरी के मूल निवासी रवि को उनके पिता गांव के संत हंसराज पहलवानी के लिए लेकर गए थे। गांव के ही अखाड़े में उन्होंने रवि को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने शुरू किए। कुछ समय बाद दस वर्ष की आयु में ही रवि को छत्रसाल स्टेडियम भेजा गया। उन्होंने वर्ष 2015 में जूनियर रेसलिंग विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता।

घुटने की चोट के कारण 2017 में सीनियर नेशनल गेम्स में सेमीफाइनल तक पहुंचकर भी उन्हें प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा। कुछ समय बाद ही फिट होकर उन्होंने दोबारा अभ्यास शुरू किया। 2018 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता और 2019 में हुई विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

अब रवि के पिता राकेश ने अपने छोटे पुत्र पंकज को भी कुश्ती में उतारा है। वे चाहते हैं कि रवि की भांति पंकज भी नाम कमाए। उन्होंने कहा कि दोनों बेटों को पहलवानी में आगे बढ़ाने के लिए वे खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं।

राकेश ने कहा कि रवि क्षमतावान पहलवान है, जिसने बहुत जल्द ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। ओलंपिक में चयन ही रवि की प्रतिभा का उदाहरण है। वे बुधवार को बेटे की जीत से गदगद दिखे।

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