Wednesday, July 3, 2024
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पढ़िए- क्रिकेट की रोमांचक कहानी, भारत ने कैसे जीता था पहला विश्वकप?

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत है। याद कीजिये आज ही के दिन तारीख थी 25 जून और साल 1983। लॉर्ड्स के मैदान में भारत और वेस्टइंडीज के बीच क्रिकेट का विश्व कप का फाइनल मुकाबला। पहली पारी में टीम इंडिया महज 183 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। वेस्टइंडीज के सामने फाइनल में इतना कम टारगेट डिफेंड करना लगभग असंभव था, लेकिन टीम इंडिया ने कर दिखाया। आज 1983 वर्ल्ड कप फाइनल जीत के आज 40 साल पूरे हो चुके हैं। आइये जानते हैं कि टीम इंडिया ने असंभव को संभव कैसे कर दिखाया ?

लंदन में वेस्टइंडीज और भारत के दर्शकों से खचाखच भरा लॉर्ड्स का ऐतिहासिक मैदान। टूर्नामेंट से पहले भारत को लॉर्ड्स स्टेडियम में घुसने की परमिशन भी नहीं थी, क्योंकि यहां फाइनल खेलने वाली टीम ही आ सकती थी। टीम इंडिया इंग्लैंड को हराकर फाइनल में पहुंच गई। भारत के जिन फैंस को टूर्नामेंट में टीम से 2 मैच जीतने की भी उम्मीद नहीं थी, वो फैंस इंग्लैंड के दर्शकों से टिकट खरीदकर फाइनल देखने पहुंच गए।

वेस्टइंडीज को 2 बार वर्ल्ड कप जिता चुके क्लाइव लॉयड ने भारत के कप्तान कपिल देव के खिलाफ टॉस जीत लिया। लॉर्ड्स की घास भरी पिच पर लॉयड को पहले गेंदबाजी करने में कोई परेशानी नहीं हुई।

टॉस हारकर पहले बैटिंग करने उतरी टीम इंडिया से सुनील गावसकर और कृष्णमचारी श्रीकांत बैटिंग करने उतरे। सामने वेस्टइंडीज के खतरनाक पेसर्स की चौकड़ी, जिनमें एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गारनर, माइकल होल्डिंग और मैल्कम मार्शल जैसे तेज गेंदबाज शामिल थे। जो टूर्नामेंट में विपक्षी बैटर्स के विकेट लेने से ज्यादा उन्हें घायल करने के लिए पहचाने जा रहे थे।

रॉबर्ट्स की पहली बॉल पर गावसकर बगैर हेलमेट के बैटिंग करने के लिए खड़े हो गए। ऑफ स्टंप की गुड लेंथ पर बॉल को गावसकर ने डिफेंस किया, दूसरी बॉल लेग साइड पर रही और गावसकर ने फाइन लेग पर फाइनल का पहला रन ले लिया। गावसकर ज्यादा देर टिक नहीं सके और पांचवें ही ओवर में रॉबर्ट्स ने विकेटकीपर के हाथों उन्हें कैच आउट करा दिया। उन्होंने 2 रन बनाए।

2 रन पर पहला विकेट गंवाने के बाद नंबर-3 पर मोहिंदर अमरनाथ उतरे। उन्होंने श्रीकांत के साथ पारी आगे बढ़ाई और विंडीज बॉलर्स को विकेट के लिए तरसा दिया। श्रीकांत ने एक एंड से चौके लगाने शुरू किए और दूसरे विकेट के लिए फिफ्टी पार्टनरशिप कर ली। अपनी पारी में 7 चौके और एक छक्का लगा चुके श्रीकांत 38 रन बनाकर मार्शल की बॉल पर LBW हो गए।

अमरनाथ ने फिर यशपाल शर्मा के साथ 31 रन जोड़े। वह 79 बॉल पर 26 रन बनाकर खेल रहे थे। तभी होल्डिंग की बॉल सीधे उनके स्टंप्स में जा लगी, अमरनाथ आउट और भारत का स्कोर 90 रन पर 3 विकेट हो गया। 2 रन बाद यशपाल भी कैच आउट हो गए।

नंबर-5 पर उतरे संदीप पाटील ने वर्ल्ड कप से पहले कहा था कि वो तो टूर्नामेंट से पहले बकिंघम पैलेस, हाइड पार्क और ट्रफलगर स्क्वेयर देखने को लेकर ही उत्साहित थे। अब वह विंडीज पेसर्स के सामने फाइनल में बैटिंग कर रहे थे। टीम का स्कोर 92 रन पर 4 विकेट था, यहां से उन्होंने एक एंड से रन बनाने शुरू किए।

पाटील के सामने कपिल देव 15 रन बनाकर आउट हो गए। उनके बाद कीर्ति आजाद खाता भी नहीं खोल सके और रोजर बिन्नी 2 ही रन बना सके। दोनों को एंडी रोबर्ट्स ने कैच आउट कराया और भारत का स्कोर एक समय 90 पर 2 विकेट से 130 रन पर 7 विकेट हो गया। पाटील अब भी एक छोर पर टिके रहे।

पाटील ने मदन लाल के साथ 23 रन की पार्टनरशिप की और टीम इंडिया को 150 के पार पहुंचाया, लेकिन 29 बॉल पर 27 रन बनाकर वह भी आउट हो गए। आखिर में मदन लाल ने 17, विकेटकीपर सैयद किरमानी ने 14 और गेंदबाज बलविंदर संधू ने 11 रन बनाकर भारत को 183 तक पहुंचाया। विंडीज पेसर्स ने 60 ओवर के मैच में टीम इंडिया को 54.4 ओवर में ही ऑलआउट कर दिया।

वेस्टइंडीज के सामने 183 का टारगेट नहीं हुआ था कभी डिफेंड

डिफेंडिंग चैंपियन के सामने टीम इंडिया 200 रन भी नही बना सकी थी। अब अगली चुनौती कपिल देव के सामने टीम को मोटिवेट करने की थी। उन्होंने कहा- अगर ये विनिंग टोटल नहीं है तो फाइटिंग टोटल तो जरूर ही है। 1983 से पहले टूर्नामेंट इतिहास में केवल एक ही बार 183 से कम रनों का स्कोर डिफेंड हो सका था, वो भी 1979 में इंग्लैंड ने पाकिस्तान के खिलाफ किया था।

पहली पारी खत्म होने के बाद भारतीय फैंस की उम्मीदें टूटने लगीं। कॉमेंटेटर्स और वहां मौजूद एक्सपर्ट्स ने भी कह दिया कि विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, गॉर्डन ग्रीनिज और डेसमंड हाइन्स जैसे बैटर्स के सामने 183 रन कम पड़ेंगे।

संधू की मैजिकल डिलीवरी ने वेस्टइंडीज को दिया पहला झटका

184 रन के स्कोर को डिफेंड करने उतरी वेस्टइंडीज से ग्रीनिज और हाइन्स ओपनिंग करने उतरे। कपिल देव ने दूसरी पारी के पहले ओवर में कोई रन नहीं दिया। चौथे ओवर में बलविंदर संधू ने गुड लेंथ पर बॉल फेंकी। ग्रीनिज ने गेंद छोड़ दी, बॉल तेजी से अंदर की ओर स्विंग हुई और ऑफ स्टंप की गिल्लियां उड़ गईं। वेस्टइंडीज का स्कोर 5 रन पर एक विकेट और भारतीय फैंस खुशी से झूमने लगे।

रिचर्ड्स ने विकेट के लिए तरसा दिया

नंबर-3 पर उतरे विवियन रिचर्ड्स अपने पीक फॉर्म में थे। बैटिंग पर आते ही उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया और सभी दिशाओं में चौके लगाने शुरू कर दिए। हाइन्स ने भी दूसरे एंड पर साथ दिया और टीम का स्कोर 50 तक पहुंचा दिया। भारतीय फैंस एक बार फिर निराश और गेंदबाज भी लगभग हार मानने लगे।

जब मदनलाल ने जिद कर कपिल के हाथ से छीनी बॉल

रिचर्ड्स के क्रीज पर आते ही मदनलाल कप्तान कपिल देव के पास पहुंचे और उनके हाथ से बॉल छीन ली। वह बोले की रिचर्ड्स के सामने वो ही बॉलिंग करेंगे और उन्हें आउट कर के मानेंगे। मैच के बाद कपिल ने कहा था, ‘जब खिलाड़ी में इतना कॉन्फिडेंस रहे तो आप उन पर आंखें बंद कर के भरोसा कर लेते हैं।’

मदनलाल ने कपिल से जिद करने के बाद बॉलिंग की ओर हाइन्स को कैच आउट करा दिया। हाइन्स ने 13 रन बनाए, लेकिन रिचर्ड्स अब भी क्रीज पर थे। वह 27 गेंदों पर ही 33 रन बना चुके थे, उनका साथ देने खुद कप्तान क्लाइव लॉयड पहुंच गए। मदन लाल ने गेंदबाजी जारी रखी, रिचर्ड्स भी उनकी गेंदों पर लगातार आक्रमण कर रहे थे।

मदनलाल ने ऑफ स्टंप पर शॉर्ट पिच बॉल फेंकी, रिचर्ड्स ने बैकफुट पर स्क्वेयर लेग की ओर हवा में शॉट खेला और 2 रन लेने के लिए दौड़ पड़े। शॉर्ट मिड-विकेट पर खड़े कपिल देव स्क्वेयर लेग बाउंड्री की ओर दौड़ पड़े, उन्होंने करीब 15 यार्ड का एरिया कवर किया और कैच पकड़ लिया। कपिल के इस कैच ने रिचर्ड्स को पवेलियन भेजा और विंडीज का स्कोर 57 रन पर 3 विकेट हो गया।

रिचर्ड्स के आउट होते ही कपिल ने अपने खिलाड़ियों को इकट्ठा किया, उनके साथ अनुभवी गावसकर और अमरनाथ खड़े थे। साथी खिलाड़ियों के सामने कपिल के मुंह से निकला, ‘चलो इन्हें आउट करें।’ खिलाड़ी मोटिवेट हो गए और दोगुनी एनर्जी से फील्ड पर प्रदर्शन करते नजर आए।

एक समय 50/1 के स्कोर पर खेल रही विंडीज टीम का स्कोर 76 रन पर 6 विकेट हो गया। कप्तान लॉयड 8, लैरी गोम्स 5 और फौड बच्चुस 8 रन बनाकर आउट हो गए। मदन लाल ने हाइन्स, रिचर्ड्स के बाद गोम्स का विकेट लिया, वहीं रोजर बिन्नी ने कप्तान को कैच आउट कराया।

6 विकेट गंवाने के बाद विंडीज के विकटेटकीपर जेफ डुजोन ने गेंदबाज मार्शल के साथ पारी संभाली। दोनों टीम का स्कोर 100 के पार ले गए और 43 रन की पार्टनरशिप कर ली।

अमरनाथ ने फेंका मैच विनिंग स्पेल

गेंदबाजों को समझ नहीं आ रहा था कि विकेट कहां से मिलेगा, तभी मोहिंदर अमरनाथ बॉलिंग करने आए। उन्होंने पहले डुजोन को बोल्ड किया और फिर मार्शल को भी कैच आउट करा दिया। कपिल देव ने एंडी रॉबर्ट्स को अगले ही ओवर में LBW कर दिया। 119/6 से विंडीज का स्कोर 126 पर 9 विकेट हो गया।

विंडीज को अब 58 रन की जरूरत और उनका एक ही विकेट बाकी। भारतीय खिलाड़ी और फैंस को जीत की महक आने लगी। आखिरी विकेट पर जोएल गार्डनर और माइकल होल्डिंग टिक गए, गार्डनर 19 और होल्डिंग 24 गेंदें खेल चुके थे।

और जब आखिरी विकेट गिरते ही मैदान में घुस गए दर्शक

आखिरी विकेट मिलते नहीं देख अमरनाथ ने फिर गेंद थामी और गुड लेंथ पर बॉल फेंकी। होल्डिंग ने बैट घूमाया, लेकिन बॉल उनके पैर पर लगी। भारत ने LBW की अपील की और अंपायर ने बैटर को आउट करार दे दिया। विकेट गिरते ही अमरनाथ स्टंप्स उखाड़ने के लिए दौड़ पड़े, लेकिन स्टंप नहीं निकला। साथी खिलाड़ियों ने स्टंप्स उखाड़े, इतने में मैच देख रहे दर्शक मैदान में घुस पड़े। भारतीय खिलाड़ी खुशी में दौड़ते हुए पवेलियन की ओर चले गए।

मैच खत्म हुआ और भारत के कप्तान कपिल देव को ट्रॉफी सौंपी गई। इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच रहे मोहिंदर अमरनाथ फाइनल में भी प्लेयर ऑफ द मैच बने। वह तब किसी भी वर्ल्ड कप में ऐसा करने वाले पहले ही खिलाड़ी बने। उनके बाद भी अब तक 2 ही खिलाड़ी ऐसा कर सके हैं।

रनर-अप रहे वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने मैच के बाद कहा कि टीम इंडिया ने इस फाइनल में खुद को स्थापित कर दिया। ये जीत देश में उनके खिलाड़ियों को इंस्पायर करेगी और टीम फ्यूचर में भी अच्छा क्रिकेट खेलेगी। ऐसा ही हुआ भी, टीम इंडिया आज वर्ल्ड क्रिकेट के टॉप देशों में से एक है।

टूर्नामेंट शुरू होने से पहले प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान विजडन क्रिकेट मैगजीन के एडिटर डेविड फ्रिथ ने कहा था कि टीम इंडिया कप नहीं जीत पाएगी। फाइनल से पहले भी उन्होंने लिखा था, ‘अगर भारत वर्ल्ड कप जीत गया तो वह अपने शब्दों को खा जाएंगे।’ फाइनल के अगले दिन उन्होंने खुद के आर्टिकल खाने की फोटो खिंचवाई और उसे अखबार में माफीनामे के सामने छाप भी दिया।

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