जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: प्रदेश के गन्ना किसानों को उच्च गुणवत्ता एवं आनुवंशिक शुद्धता युक्त नवीन गन्ने की किस्म निर्धारित दर पर उपलब्ध कराने की दिशा में चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। गन्ना किसानों को नवीन गन्ना किस्मों के गुणवत्ता युक्त बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित नवीन गन्ने की किस्मों का उत्पादन करने वाले किसानों का पंजीकरण उप्र गन्ना शोध परिषद-शाहजहांपुर में किया जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान, के ऑडिटोरियम में 118 पंजीकृत किसानों को बीज गन्ना उत्पादक का प्रमाण-पत्र अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, संजय आर भूसरेड्डी द्वारा प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय आर भूसरेड्डी ने ऑडिटोरियम में उपस्थित गन्ना किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब बीज उत्पादक के रूप में किसानों का पंजीकरण होने से उन्हे वैधानिक पहचान मिलेगी। इसके अलावा नये बीज गन्ना की आड़ में कतिपय प्रगतिशील किसानों द्वारा दूसरे किसानों के साथ धोखा किये जाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। भूसरेड्डी ने कहा कि उप्र में बीज गन्ना संवर्धन एवं गन्ना खेती हेतु स्वीकृत गन्ना किस्मों का ही बीज गन्ना संवर्धन किया जायेगा। किसी वाह्य स्रोत अर्थात दूसरे प्रदेशों में प्रचलित किस्मों अथवा किसी अन्य देश से लाये गये सीड मैटेरियल को प्रदेश में उपयोग किये जाने के सम्बन्ध में क्वारंटाइन के नियम लागू होंगे। यह भी कहा कि बीज गन्ना उत्पादक कृषकों के पंजीयन एवं उनके बीज गन्ना वितरण से जहां एक ओर किसानों को पर्याप्त बीज की उपलब्धता होगी वहीं इस योजना से किसानों में उद्यमिता का भी विकास होगा साथ ही मनमाने रेट पर बीज विक्रय करने वाले किसानों पर भी अंकुश लगेगा।
भूसरेड्डी ने कहा कि प्रदेश के विकास में गन्ना किसानों की अहम भूमिका है, क्योंकि किसानों द्वारा गन्ना खेती में नवीन तकनीक को अपनाकर नये र्कीतिमान स्थापित किये गये हैं। जिससे आज उत्तर प्रदेश गन्ना कृषि क्षेत्र में पूरे देश में प्रथम पायदान पर आकर खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा इस सफलता में गन्ना कृषकों की सबसे ज्यादा भागीदारी है। अपने संबोधन में उन्होंने प्रदेश की ग्रामीण महिला उद्यमियों का भी जिक्र करते हुए कहा कि गन्ना विभाग की योजना के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं स्थानीय स्तर पर गन्ने की पौध का उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।