Sunday, January 19, 2025
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बच्चों के आपसी झगड़े सुलझाएं कैसे?

BALWANI


सपना जैन |

बच्चे अपने झगड़े में मां बाप से उम्मीदं करते हैं कि वे उनका साथ दें, उनके पक्ष में बोलें, उनके भाई बहन के पक्ष में नहीं लेकिन माता-पिता के लिए यह बहुत मुश्किल हो जाता है कि वे अपने किस बच्चे को सही ठहराएं, किसका साथ दें। इस समस्या के लिए जरूरी है कि बच्चों के बीच झगड़े को महत्व न देकर, किसी को भी डांटने-फटकारने की बजाय प्यार से उनकी समस्या को समझ कर उसके समाधान को ढूंढें।

आम तौर पर देखा जाता है कि सगे भाई बहनों में प्यार के साथ-साथ टकराव भी खूब होते हैं जो हर मां बाप की चिंता का कारण बन जाते हैं। ‘इसने मुझे मारा‘, ‘इसने मेरी चीज ली’, ‘पहले इसकी गलती थी’ ऐसे कटु शब्दों से माता पिता का जीवन फेड अप हो जाता है लेकिन ऐसी परेशानी में उलझे माता पिताओं को शायद यह नहीं पता होता कि इस समस्या को सुलझाने के अनके रास्ते हैं, जिन्हें यदि वे समझदारी से अपनाएं तो इस तरह के झगड़ों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

झगड़े का कारण समझें

आम तौर पर देखा गया है कि आपसी प्रतिस्पर्धा ईर्ष्या, माता-पिता का एक के प्रति ज्यादा झुकाव होना आदि कई कारण मुख्यत: बच्चों के झगड़े के मुख्य कारण हो जाते हैं। बच्चों के बीच सुलह कराने के लिए पहले उनके बीच झगड़े के कारण को समझें। हो सकता है कि उनके झगड़े या जलन का कारण आपका एक के प्रति ज्यादा प्यार प्रशंसा या फिर तुलना भी हो अत: उस कारण को समझ कर पहले उसका निवारण करने की कोशिश करें।

ज्यादा दखलअंदाजी न करें

बच्चों के आपसी झगड़ों में आपकी ज्यादा दखलअंदाजी भी ठीक नहीं है। यह आपके बच्चों को आपसी निर्भर नहीं बनने देगी। उन्हें हमेशा अपने झगड़ों में आपकी जरूरत महसूस होगी जो ठीक नहीं है। इसके साथ-साथ आपका एक के पक्ष में बोलना दूसरे को ज्यादा दु:खी करेगा जिससे उनके मस्तिष्क में गलत प्रभाव पड़ेगा इसलिए जहां तक संभव हो, उन्हें आत्मनिर्भर होकर खुद ही बात सुलझाने दें लेकिन बात ज्यादा बिगड़ती देख फिर उसे संभालने में ज्यादा देर भी न करें।

समस्या पर ध्यान दें, झगड़े पर नहीं

बच्चे अपने झगड़े में मां बाप से उम्मीदं करते हैं कि वे उनका साथ दें, उनके पक्ष में बोलें, उनके भाई बहन के पक्ष में नहीं लेकिन मातापिता के लिए यह बहुत मुश्किल हो जाता है कि वे अपने किस बच्चे को सही ठहराएं, किसका साथ दें। इस समस्या के लिए जरूरी है कि बच्चों के बीच झगड़े को महत्त्व न देकर, किसी को भी डांटने-फटकारने की बजाय प्यार से उनकी समस्या को समझ कर उसके समाधान को ढूंढें।

भेदभाव की भावना न पनपने दें

दो बच्चों के झगड़ों में कभी कभार हम छोटे का पक्ष लेकर बड़े को चुप करा देते हैं। ‘ये छोटा है, तुम तो बड़े हो, तुम ही मान जाओ’ अक्सर इस तरह के शब्दों से बड़े बच्चे के मन में छोटे के प्रति ईर्ष्या की भावना पनपने लगती है जिससे दोनों में भेदभाव शुरू हो जाते हैं, इसलिए माता पिता को चाहिए कि वे इस बात पर खासतौर से ध्यान दें कि कभी भी किसी एक बच्चे का ज्यादा पक्ष न लें चाहे वह बड़ा हो या छोटा। हमेशा बच्चों के बीच निष्पक्षता ही उनके आपसी रिश्ते और आपके उनके प्रति रिश्ते को मजबूत बनाती है।

ये कुछ महत्त्वपूर्ण बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रख कर हम अपने बच्चों के बीच आये दिन हो रहे इन झगड़ों को कुछ हद तक निबटाकर उनके बीच प्यार और अपनेपन के रिश्ते को और भी गहरा एवं मजबूत बना सकते हैं।

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