- वेद प्रचार सप्ताह के छठें दिन भजन-प्रवचन
जनवाणी ब्यूरो |
शामली: आर्य समाज के भजन उपदेशक प्रदीप शास्त्री ने भजनों एवं प्रवचनों के माध्यम से ऋषि दयानंद के द्वारा गृहस्थ जीवन के पांच यज्ञों के विधान के बारे में बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जब तक देश में यज्ञों का प्रचलन रहा देश सुखों से पूरित और दुखों से दूर रहा।
शनिवार को आर्य समाज के प्रांगण में श्रावणी पर्व पर चल रहे वेद प्रचार सप्ताह के छठें दिन वैदिक यज्ञ से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। जिसमें मुख्य यज्ञमान स्त्री आर्य समाज की संरक्षिका कमला आर्य के प्रपौत्र वैभव व रूपा आर्य, डा. अजय बाबू शर्मा व अनिता शर्मा, अशोक आर्य व मिथलेश आर्य, कमलकांत धीमान व रीता धीमान रहे। यज्ञ के ब्रह्मा डा. रविदत्त शास्त्री रहे।
भजनोपदेशक प्रदीप शास्त्री ने कहा कि ऋषि दयानंद ने प्रत्येक गृहस्थ के लिए पांच यज्ञों विधान किया है। जिनमें ब्रह्म यज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, वैश्वदेवयज्ञ, अतिथि यज्ञ शामिल है। परमात्मा का मुख्य नाम ओम है। दिल्ली से आए उपदेशक वेदप्रकाश श्रोत्रिय ने कहा कि महर्षि दयानंद ने सास्वत सत्य पर चलने के लिए सारे संसार को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर का सबसे बड़ा गुण सर्वशक्तिमान है।
हम जो करते हैं वह कर्म नहीं है। कर्ता के द्वारा सबसे इच्छित को प्राप्त करने के लिए निरंतर किया जाने वाल काम कर्म है। कार्यक्रम का संचालन मंत्री सुभाष धीमान ने किया। इस अवसर पर आर्य समाज के संरक्षक रघुवीर सिंह, प्रधान सुभाष गोयल आर्य, कोषाध्यक्ष रविकांत आर्य, आर्य विद्या सभा के प्रधान राजपाल आर्य व मंत्री दिनेश आर्य आदि उपस्थित रहे।