- जल निगम शहरी क्षेत्र के कार्यालय में तैनात 23 कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन
- आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार, रक्षाबंधन पर भी नहीं मिला वेतन, जन्माष्टमी पर आसार नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: उत्तर प्रदेशीय जल निगम नगरीय क्षेत्र के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारी एवं पेंशनर्स को पांच महीनें से वेतन एवं पेंशन नहीं मिली है। जिसके चलते कर्मचारियों के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। यहां तक की कर्मचारियों के परिवारों का कहना है कि परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। कर्मचारियों ने बताया कि विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश सरकार को ज्ञापन भी भेजा गया, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया। रक्षाबंधन पर वेतन नहीं मिला शायद कृष्ण जन्माष्टमी पर भी मिलने के आसार दिखाई नहीं देते।
उत्तर प्रदेश जल निगम पेंशनर्स एसोसिशन के द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक मांग पत्र भेजकर कर्मचारियों की पांच सूत्रीय मांगों को उठाया गया था। जिसमें जल निगम शहरी क्षेत्र के कर्मचारी एवं पेंशनर्स की समस्या ज्ञापन में उठाई गई थी। जल निगम के कार्यालय में 23 कर्मचारी कार्यरत हैं। जिन्होंने बताया कि अप्रैल 2023 से अगस्त के अंतिम सप्ताह तक वेतन नहीं मिल सका। जिसके चलते कर्मचारियों के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। रक्षाबंधन पर भी वेतन नहीं मिला और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भी मिलने के आसार नहीं।
हो सकता है कि इस बार दीपावली भी फीकी मने। कर्मचारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश जल निगम नगरीय के 2892 कर्मचारी एवं 1045 पेंशनर्स की समस्या का समाधान की अपील प्रदेश सरकार से की गई थी। जिसमें उत्तर प्रदेश जल निगम नगरीय छह राना प्रताप मार्ग, लखनऊ के अधीन कर्मचारी पेंशनर्स की निम्न समस्या उठाई गई। जिसमें आग्रह किया गया था कि 9938 कर्मचारी, पेंशनर्स की निम्न समस्या के समाधान के लिए आदेश जारी करे। जो समस्या उठाई गई थी उसमें मार्च 2023 का वेतन, पेंशन मिला है, उसके बाद कोई वेतन अब तक नहीं दिया गया।
दूसरी मांग में महंगाई भत्ता, राहत 189 प्रतिशत तक जल निगम से स्वीकृत है। जबकि उसका बकाया एरियर नहीं मिला। शासन ने 221 प्रतिशत महंगाई भत्ता, राहत स्वीकृत कर दिया है। जबकि 18 प्रतिशत अर्थात 32 प्रतिशत कम भुगतान हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के दो बार स्पष्ट आदेश करने के बाद भी छटवें वेतनमान का गत एक जनवरी 2006 से आगे का एरियर नहीं दिया जा रहा है। जबकि इस भुगतान के लिए यथेष्ट धन आपने जल निगम को उपलब्ध करा दिया है।
प्राइवेट महंगे वकील से पैरवी करवाकर न्यायालय में हम लोगों की याचिका को टाला जा रहा है। बताया कि मुख्यमंत्री के द्वारा सातवां वेतनमान कैबिनेट की बैठक में पारित कर स्वीकृत कर दिया गया था। जिसका शासनादेश निर्गत हो गया था। जिसे 20 दिन बाद बिना आपकी स्वीकृति के केन्सिल कर दिया गया। फिलहाल पांच माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने पर परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।