Saturday, July 27, 2024
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बिना फिटनेस फर्राटा भर रही स्कूल बस

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  • एआरटीओ ने पकड़ा, तीन बसों को कब्जे में लिया, दो के काटे चालान
  • हस्तिनापुर में स्कूल बस ने ली थी जान

जनवाणी संवाददाता |

मवाना: नियम कानून को ताक पर स्कूल प्रबंधन कबाड़ हो चुकी बसों का इस्तेमाल कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सभी स्कूली बसों का समय-समय पर फिटनेस चेक होना और अटेंडेंट का होना जरूरी है, लेकिन इस नियम का पालन स्कूल संचालकों द्वारा नहीं किया जाता। यहां तक बसों में जीपीएस सिस्टम लगाए जाने की कवायद भी परिवहन विभाग पूरा नहीं करा सका है। वहीं बसों में अब तक न तो कैमरा तक नहीं लग सका है। परिवहन विभाग की उदासीनता से स्कूल प्रबंधन नौनिहालों की जान पर बाजी लगाकर लाने ले जाने का काम कर रहे हैं। जिस तरह इंडियन स्कूल की बस हाल के दिनों में दो बार बीच रास्ते में खड़ी हो गई, इससे स्पष्ट है परिवहन विभाग किस हद तक स्कूली बसों की फिटनेस को लेकर संजीदा है।

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हस्तिनापुर क्षेत्र के गांव बस्तोरा में गत दिनों स्कूल बस ने मासूम बच्ची की जान लेने के बाद परिवहन निगम हरकत में आने के बाद शुक्रवार को एआरटीओ ने टीम को लेकर नगर में बिना फिटनेस फर्राटा भर रहीं बसों पर शिकंजा कसने के लिए अभियान चलाया ओर पांच बसों को रोककर कागजात चेक किये, लेकिन मोके पर बसों की फिटनेस एवं कागजात पूरे नहीं मिलने पर कार्रवाई करते हुए तीन बसों को सीज एवं दो के चालान काटने की कार्रवाई की।

एआरटीओ ने कहा कि प्रतिदिन सड़कों पर फर्राटा भर रहीं बसों पर शिकंजा कसने के लिए अभियान चलाया जाएगा। एआरटीओ सुधीर कुमार ने पुलिस टीम को लेकर नगर के विभिन्न स्कूल में बच्चों की जिदंगी से खिलवाड़ कर जान जोखिम में डाल कर सफर करवा रहे स्कूल संचालकों पर नकेल कसने के लिए परिवहन निगम हरकत में आ गया है। शुक्रवार को एआरटीओ सुधीर कुमार ने पुलिस टीम को लेकर नगर में बिना फिटनेस फर्राटा भर रहीं स्कूल बसों के खिलाफ अभियान चलाकर पांच बसों को रोककर कागजात चेक किये, लेकिन मोके पर बसों की फिटनेस एवं कागजात पूरे नहीं मिलने पर कार्रवाई करते हुए तीन बसों को आरटीओ कार्यालय में भेज कर सीज कर दिया है।

जबकि अन्य दो बसों के कागजात पूरे नहीं मिलने पर कार्रवाई करते हुए चालान कांटा है। बता दें कि गत दिनों हस्तिनापुर के गांव बस्तोरा में स्कूल बस ने अपनी चपेट में लेकर जान ले ली थी जिसके बाद परिवहन निगम हरकत में आ गया था। लोगों का कहना है कि नगर में स्थित स्कूल संचालक अभिभावकों से ट्रांसपोर्ट के नाम पर काफी मोटी रकम वसूलते है बावजूद इसके स्कूल संचालक बच्चों को कोई बेहतर व्यवस्था नही दे पा रहे हैं। एआरटीओ सुधीर कुमार ने बताया कि प्रतिदिन अभियान चलाकर बिना फिटनेस एवं कागजात के फर्राटा भर रहीं स्कूल बसों पर शिकंजा कसा जाएगा।

नहीं रहती हैं सुविधाएं

खास बात है कि ये स्कूल अभिभावकों से स्कूल और बस फीस के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं, लेकिन बसों में जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती हैं। खटारा बसों से स्कूल आने-जाने को बच्चे मजबूर होते हैं। परिवहन विभाग द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद स्कूलों द्वारा जर्जर और खटारा बसों का परिचालन किया जा रहा है। स्कूल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ताक पर रखकर बच्चों को ढो रहे हैं। इससे बच्चों की जान खतरे में है।

खटारा बसों में ढोए जाते हैं बच्चे

बच्चों को घरों से स्कूल तक लाने के लिए तकरीबन हर स्कूल वाहनों की व्यवस्था करता है, लेकिन ये वाहन मानक के अनुरूप नहीं होते। कहीं खटारा बसें होती हैं तो कहीं क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाया जाता है। टायर फटे हों या ब्रेक कमजोर हों इसकी भी कोई परवाह नहीं करते प्राइवेट स्कूल। ऐसे में हमेशा हादसे की आशंका भी बनी रहती है।

फिटनेस में फेल हैं स्कूली बसें

स्कूलों के बच्चों को भी खटारा वाहनों में भेजा जाता है। बच्चे क्षमता से अधिक बैठे रहते हैं। यहां तक कि ड्राइवर भी अपनी सीट के अगल-बगल में भी बच्चों को बिठाकर ले जाते हैं। हालांकि नियम यह है कि स्कूली वाहन हर तरह से फिट होने चाहिए। उनके टायर दुरुस्त होने चाहिए। ब्रेक सही होने चाहिए। प्रदूषण मानक के अनुसार वाहन चलने चाहिए। इतना ही नहीं वाहनों की गति सीमा भी कम होनी चाहिए, लेकिन शहर के अधिकतर स्कूलों के वाहन चालक इन मानकों का सही ढंग से पालन नहीं कर रहे हैं।

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