जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्वास्थ्य विभाग ने महानगर के जिन नर्सिंग होम पर सील लगा दी थी वो सील के बावजूद धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे हैं। सील की कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम की छापे की कारवाई के दौरान पकड़ी गयी गंभीर खामियों के चलते की गयी थी। बताया जाता है कि दो चार दिन तो ये नर्सिंग होम बंद रहे, लेकिन उसके बाद सेटिंग-गेटिग के चलते दोबारा शुरू हो गए।
स्वास्थ्य विभाग के लाइसेंस के बगैर संचालित किए जा रहे कुछ निजी नर्सिंग होम बजाय इलाज के संक्रमण परोस रहे हैं। महामारी काल में ऐसे नर्सिंग होम कोरोना के नजरिये से घातक साबित हो रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम फिलहाल नींद में है।
ये स्थिति तो तब है जब बार-बार सबसे ज्यादा जोर इन्फेक्शन रोकने पर दिया जा रहा है। ऐसे नर्सिंग होमों में आईसीएमआर व स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से संक्रमण से बचने के लिए प्रोटोकॉल तय किया गया है, उसकी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मरीज तो मरीज ऐसे नर्सिंग होम का स्टाफ तक प्रोटोकॉल के प्रति गंभीर नहीं दिखता। नर्सिंग होम के नाम पर बूचड़खानों सरीखे हालात हैं।
ऐसे नर्सिंग होमों में सस्ते इलाज के चक्कर में मरीज अधिक आते हैं। कुछ में तो मरीजों के नाम पर मेले सरीखा माहौल दिखाई देता है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग की बात करना बेमाने हो होगा। महामारी काल शुरू होने के बार सोशल डिस्टेसिंग को लेकर सावधान किए जाने के बाद भी मरीज और तिमारदार दोनों ही पूरी तरह से लापरवाह नजर आते हैं।
वार्ड भी गंदगी से लवरेज
नर्सिंग होम के नाम पर जो बूचड़खाने चलाए जा रहे हैं खासतौर से महानगर के नौंचंदी व लिसाड़ीगेट थाना क्षेत्रों में वहां वार्ड के नाम पर जिन कमरानुमा हाल में मरीजों को रखा जा रहा है। वहां भी संक्रमण को रोकने के लिए समुचित सफाई का माकूल इंतजाम नहीं दिखाई देता है। मरीजों के बिस्तर के नीचे हटायी गयी पट्टियां, खाने का सामान, फलों की छिलके आम बात हैं।
रोक के बाद भी चल रहे बे-रोकटोक
बगैर लाइसेंस के नर्सिंग होमों के संचालन पर सख्त रोक है। ऐसे नर्सिंग होम को अवैध की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन हैरानी तो इस बात की है कि इसके बाद भी ऐसे तमाम नर्सिंग होम जहां इन्फैक्शन प्रिवेंशन को लेकर कोई गंभीरता नहीं बरती जा रही है बेरोक टोक चल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की यदि बात की जाए तो केवल गाहे बगाहे ऐसे नर्सिंगहोम की सूची तो जारी कर दी जाती है, लेकिन सील सरीखी कार्रवाई से कन्नी काटते हैं।
रोक के बाद संचालन का जिम्मेदार कौन ?
कोरोना संक्रमण काल शुरू होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम ने शहर के करीब आधा दर्जन से ज्यादा नर्सिंग होमों पर छापे मारे थे। इस टीम के सदस्य डा. अनिल नौसरान की रिपोर्ट के बाद कुछ नर्सिंग होम सील भी किए गए थे, लेकिन बाद में सील के बावजूद वहां काम शुरू हो गया। इसका जिम्मेदार कौन है यह तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं।
क्या हुआ नौसरान कमेटी की रिपोर्ट का
छापों की कार्रवाई के बाद शहर के नर्सिंग होमों को लेकर स्वास्थ्य विभाग की इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम की ओर से डा. अनिल नौसरान ने एक रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी थी। रिपोर्ट की एक प्रति प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को भी भेजी गयी थी। बताया जाता है कि इस रिपोर्ट में ऐसे बूचडखाना सरीखे नर्सिंग होमों की तमाम कारगुजारियों का काला चिट्ठा उजागर किया था। बड़ा सवाल यह है कि डा. नौसरान कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ। इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम का काम एकाएक किस के प्रेशर में रोक दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग ही दे सकता है उत्तर
इन्फेक्शन प्रिवेंशन टीम की कार्रवाई पर एकाएक ब्रेक के संबंध में जब डा. अनिल नौसरान से पूछा गया तो उनका कहना है कि यह टीम सीएमओ ने बनायी थी। किस कारण में इसको लेकर अफसरों का रवैया कूल हो गया यह तो स्वास्थ्य विभाग ही बता सकता है।
सीएमओ ने बनायी थी टीम
इन्फेक्शन प्रिवेंशन रोकने के लिए तत्कालीन सीएमओ डा. राजकुमार ने एसीएमओ डा. एस शर्मा की अध्यक्षता मे एक टीम का गठन किया था। इस टीम ने शहर में कई नर्सिंग होमों पर छापे मारी कर खामियां पकड़ी थीं।