- विभाग के लोगों ने लिपिक पर लगाए थे गंभीर आरोप
- निलंबन बहाली के नाम पर ट्रांसफर जैसे कई मामलों में चल रही थी जांच
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बीएसए कार्यालय में फैली अनियमितताओं को लेकर अक्सर कई मामले सामने आते रहे है। इनके लिए यहां पर तैनात वरिष्ठ लिपिक को जिम्मेदार भी बताया जाता रहा है। वहीं जिस लिपिक पर अक्सर भ्रष्ष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगते रहे हैं। अब उन्हीं लिपिक ने स्वैच्छिक सेवानिवृति की मांग की है।
इसके लिए लिपिक ने मुख्यालय समेत कमिशनर, जिलाधिकारी, ऐडी बेसिक से लेकर बीएसए तक को अपना मांगपत्र भेजा है। हालांकि इसके लिए उन्होंने 31 दिसंबर तक का समय मांगा है जिसके बाद वह आगे अपनी सेवा नहीं देना चाहते ऐसा कहा गया है।
बीएसए कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक की सीट पर बैठने वाले प्रदीप बंसल ने शुक्रवार को स्वैच्छा से सेवा निवृत होने की मांग की है। प्रदीप ने अपनी इस मांग के लिए खराब स्वास्थ्य व कार्य का ज्यादा दबाव होने का तर्क दिया है। उन्होंने बताया कि वह कैंसर की बीमारी से ग्रस्त है, और मुख्यालय पर ज्यादा काम करना पड़ता है। ऐसे में वह अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं इसलिए उन्होंने यह मांग की है, लेकिन कई लोगो ने इसे महज एक ड्रामा करार दिया है।
बताया जा रहा है कि प्रदीप बंसल पिछले कई सालों से बीएसए कार्यालय की इसी सीट पर जमे हुए हैं। कई बार शासनादेश आए हैं कि कोई भी कर्मचारी तीन सालों से अधिक समय तक एक ही सीट या कार्यालय में नहीं रह सकता, लेकिन इनका पालन नहीं किया गया। जबकि अन्य लिपिकों पर यह नियम लागू किये जाते रहे हैं और उन्हें यहां से हटा दिया गया। इसको लेकर विभाग के कई कर्मचारियों में आक्रोश पनप रहा था।
बीआरसी नगर में किया गया था ट्रांसफर
चर्चा है प्रदीप बंसल ने शासनादेशों की अनदेखी करते हुए खुद ही एक पत्र तैयार कराते हुए खुद को बीआरसी नगर क्षेत्र में स्थानांतरित करने का आदेश बीएसए से कराया था, लेकिन वह अभी भी जिला मुख्यालय पर ही बने रहते हुए कार्य कर रहे थे। इसको लेकर एक शिकायत पत्र भी विभाग के अन्य शिक्षकों व कर्मचारियों ने शासन व प्रशासन समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को लिखा था।
निलंबन बहाली से लेकर अन्य कार्यों में बरती गई अनियमितताएं
यह भी कहा जा रहा है कि प्रदीप बंसल ने शासन से स्थानांतरण पर रोक के बावजूद कई शिक्षकों को उनके मनमाने विद्यालयों में निलंबन बहाली का खेल करते हुए लाभ दिया था। ऐसे में पहले किसी शिक्षक को मामूली बात पर निलंबन किया जाता था और फिर उसे जांच होने तक अस्थाई रूप से उस विद्यालय में अटैच कर दिया जाता था
जहां पह जाना चाहता था। इसके बाद जांच पूरी होने के बाद उसी विद्यालय में तैनाती दी जाती थी। चर्चा है इस खेल में प्रदीप बंसल मोटी धनराशि वसूलते थे। अब उनके खिलाफ अन्य दूसरी जांच जैसे संपत्ति का ब्योरा आदि न हो इसके लिए ही उन्होंने यह कदम उठाया है।