देश के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले संसद भवन में आज सुरक्षा में चूक की दो घटनाएं घटीं। पहली- संसद के बाहर दो लोगों के प्रदर्शन करने और दूसरी- लोकसभा में कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा में बैठे दो लोग सदन के बीच में कूदने की। जब दो संदिग्ध सदन में कूदे तो सदन में कुछ धुआं सा उठा। हालांकि, दोनों ही घटनाओं के संदिग्धों को सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया है और पूछताछ की जा रही है। यह चौंकाने वाला संयोग था कि नई संसद की लोकसभा में घटना उस दिन सामने आयी, जिस दिन देश संसद पर 22 साल पहले हुए हमले के शहीदों को याद कर रहा था। दोपहर में जब शून्यकाल समाप्ति की ओर था, अचानक दो युवक लोकसभा की दर्शक दीर्घा से कूदे। वे कुछ नारे लगा रहे थे और उन्होंने जूते में छिपाकर लाए गए रंगीन गैस निकालने वाले पात्र को खोलकर सांसदों को सांसत में डाल दिया। जाहिर है सांसदों में अफरा-तफरी मचनी ही थी। आशंका थी कि उनके पास कोई घातक हथियार न हो। इसी बीच संसद के बाहर भी एक युवती व उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया गया, जो नारेबाजी कर रही थी और एक पीले रंग का धुआं फैला रही थी। निस्संदेह, यह घटना संसद व सांसदों की सुरक्षा में एक चूक थी।
लोकसभा की ताजा घटना में किसी तरह का नुकसान तो नहीं हुआ है लेकिन इसने हमारी सुरक्षा व्यवस्था में रही खामियों को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूदने के बाद सदन को धुएं से भरना कोई छोटी घटना नहीं मानी जा सकती। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि संसद में प्रवेश करने वाले आगंतुकों की जांच-पड़ताल कई स्तरों पर होती है। फिर दोनों युवक जूते में स्प्रे छिपाकर लाने में कामयाब कैसे हो गए? वे हथियार भी जूते में छिपाकर ला सकते थे।
खास बात यह है कि अमरीका में छिपे बैठे खालिस्तानी आतंककारी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 13 दिसंबर या इससे पहले संसद पर हमले की खुली चेतावनी भी दी थी। तो क्या पन्नू की धमकी को सुरक्षा एजेंसियों ने हल्के में लिया। एक युवक और एक युवती ने संसद के बाहर भी पीले रंग का धुआं छोडकर सनसनी मचाई। संसद में सुरक्षा चूक का मामला 22 साल पहले संसद पर हुए आतंकी हमले तक ही सीमित नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या भी सुरक्षा में चूक के चलते ही हुई थी। देश में दूसरे कई नेता भी आतंकी और नक्सली हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं। यूं तो 2001 के आतंकी हमले के बाद संसद के सुरक्षा तंत्र में आमूल-चूल परिवर्तन किये गए हैं, लेकिन लगता है संसद का आंतरिक सुरक्षा तंत्र इस तरह की घटना के लिये तैयार नहीं था।
इस घटना में कुल 6 लोग शामिल बताए जा रहे हैं। सागर और मनोरंजन सांसद विजिटर पास से लोकसभा में घुसे। वहीं, सदन के बाहर अमोल और नीलम ने पीले रंग का धुआं छोड़ा। इनके पास से कोई फोन या बैग बरामद नहीं हुआ। बाहर से गिरफ्तार हुए दोनों लोगों का दावा है कि ये खुद संसद पहुंचे और उनका किसी संगठन से ताल्लुक नहीं है। पांचवां व्यक्ति गुरुग्राम का विक्की शर्मा है। जिसने हमले से पहले सभी को अपने घर रोका था। पुलिस ने उसे पत्नी समेत अरेस्ट कर लिया है। पुलिस को शक है कि इसी के घर हमले की प्लानिंग हुई थी। छठे व्यक्ति का नाम ललित झा बताया जा रहा है, जो गुरुग्राम में रहता था। यह फिलहाल फरार हैं। पुलिस ने बताया कि सभी 6 लोग आॅनलाइन मिले थे। ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे ये अंदाजा लगे कि इनका संबंध किसी आतंकी संगठन से है।
कूदने वाले युवकों के नाम सागर व मनोरंजन बताए गए। सागर शर्मा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का रहने वाला है। सागर शर्मा के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक, सागर शर्मा लखनऊ के आलमबाग के रामनगर का रहने वाला है। सागर की मां ने दावा किया है कि सागर घर में यह कहकर निकला था कि वह दिल्ली में किसी धरना प्रदर्शन में शामिल होने जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने संसद भवन परिसर में रंगीन धुआं उड़ाने वाली महिला नीलम व उसके साथी को गिरफ्तार किया। नीलम हरियाणा की रहने वाली है। निश्चित रूप से इस सुरक्षा चूक से सुरक्षा तंत्र में खलबली मचनी स्वाभाविक थी, क्योंकि मामला संसद व सांसदों की सुरक्षा से जुड़ा था।
पुलिस व खुफिया एजेंसियां पकड़े गए लोगों से गहन पूछताछ कर रही हैं। गिरफ्तार लोगों के घरों से भी पूछताछ की गई है। यहां तक कि मैसूर में मनोरंजन के पिता ने बेटे की हरकत की निंदा की है। उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन नौकरी नहीं कर पाया। वह गांव में पुश्तैनी जमीन पर खेती करता था। हमें समझ में नहीं आया उसने ऐसा क्यों किया, हमने उसे अच्छी तालीम व संस्कार दिए हैं।
निस्संदेह आप संसद के बाहर प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन इस तरह के कृत्य को किसी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह की अराजकता लोकतंत्र में अक्षम्य ही है। बहरहाल, मामले में चूक की जांच के लिये विशेष दल गठित किया गया है। बताया जा रहा है कि संसद के बाहर तानाशाही नहीं चलेगी का नारा लगाने वाली नीलम जींद जिले के उचाना के एक गांव की है। नीलम के परिजन भी कहते हैं कि उसने ऊंची शिक्षा की डिग्री के अलावा यूजीसी का नेट भी क्वॉलीफाई किया था और वह अपनी बेरोजगारी को लेकर हताशा में थी। संयोग की बात कि किसी के परिवार को नहीं पता था कि उनके बच्चे दिल्ली गए हैं और ऐसा कृत्य कर सकते हैं। सागर शर्मा मैसूरु से लोकसभा सदस्य प्रताप सिम्हा की अनुशंसा के आधार पर मिले पास के जरिये दर्शक दीर्घा तक पहुंचा था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कुछ नेताओं ने सुरक्षा प्रोटोकॉल में कमियों की ओर इशारा किया।
निस्संदेह, संसद दीर्घा तक लोग सांसद द्वारा बनाये पास के जरिये ही पहुंचते हैं। वैसे संसद की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी लोकसभा के अधीन काम करने वाली पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस की होती है। सत्र के दौरान बाहर केंद्रीय सुरक्षा बलों, आईटीबीपी, इंटेलिजेंस ब्यूरो, एसपीजी, एनएसजी आदि की उपस्थिति अलग से रहती है। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि गृह मंत्री को संसद की सुरक्षा में इस गंभीर चूक की जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने नयी संसद की डिजाइन पर भी सवाल उठाए और कहा कि दीर्घा सांसदों के सिर के ऊपर बनी है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराया। असल में सुरक्षा व्यवस्था में चूक कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। बेहतर तो यही होगा कि इस पर राजनीति करने की बजाय चूक के कारणों की समीक्षा तो हो ही, भविष्य में ऐसी घटना न हो इसका बंदोबस्त भी किया जाए। साथ ही सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदारों की पहचान कर उन्हें सजा भी दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति को रोका जा सके।