- सिवाया टोल प्लाजा से निकलने में होती है देरी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच-58 स्थित सिवाया टोल प्लाजा पर टोल बूथ पर लगे स्कैनर और फास्टैग लगातार यात्रियों को झटका दे रहे हैं। क्योंकि इनके न चलने से बूथ पर गाड़ियां खड़ी हो जाती है और लाइन में खड़े कर्मचारियों को हैंडिड मशीन लगाकर गाड़ियों को स्कैन कर गाड़ियां निकालनी पड़ती है।
क्योंकि यह समस्या दिन प्रतिदिन लोगों के लिए नासूर बनती जा रही है। इस समस्या को भी जान बूझकर अनदेखा किया जा रहा है। टोल प्रबंधन ने अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया तो टोल पर किसी दिन बड़ी वारदात हो सकती है।
परतापुर से लेकर रामपुर तिराहे तक 78 किमी दूरी तक टोल वसूला जाता है। इस हाइवे से गुजरने वाले यात्रियों से टोल तो पूरा वसूला जाता है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर सिर्फ उनके साथ खिलवाड़ ही किया जाता है। क्योंकि जो सुविधाएं टोल प्लाजा प्रबंधन को इस हाइवे से गुजरने वाले यात्रियों को देनी चाहिए।
वह सुविधा उन्हे आज तक नहीं मिली है। जिसके चल ते यात्री इन सुविधाओं से महरूम है। टोल प्लाजा पर 12 लाइनें है। इन लाइनें पर टोल बूथ बने हुए हैं। परिवहन मंत्रालय द्वारा वाहनों पर फास्टैग लगाने की सुविधा शुरू कर दी गई है। जब से यह सुविधा शुरू हुई है। तब से टोल के बूथों पर स्कैनर और फास्टैग यात्रियों को परेशानी में डाल रहे हैं।
क्योंकि इनके न चलने से टोल पर गाड़ियां खड़ी हो जाती है और टोल पर भयंकर जाम लग जाता है। जाम लगने के कारण यात्रियों को हाइवे पर ही खड़े रहना पड़ता है। यह समस्या एक या दो दिन की नहीं है, बल्कि बादस्तूर जारी रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए आज तक टोल प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
एंबुलेंस के लिए कोई लाइन नहीं
टोल प्लाजा पर एंबुलेंस के लिए कोई लाइन निर्धारित नहीं है। देश भर के टोल पर एंबुलेंस और वीआईपी लाइन होती है, लेकिन यह देश का ऐसा पहला टोल है। जिस पर इन दोनों लाइनों का कोई अता पता नहीं है। जिसके चलते लोगों को परेशानी होती है। हालांकि एंबुलेंस की लाइन निर्धारित न होने के कारण कई बार मरीज एंबुलेंस में ही जाम में फंसे होने के कारण दम तोड़ चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी आज तक टोल प्रशासन गंभीर नहीं है।