- वर्ष 2015 से 17 तक का मामला, अफसरों से होगी घोटाले की रिकवरी
- घोटाले में पूर्व में जिले के 58 हजार कार्डधारक हुए थे अपात्र घोषित
- राशन घोटाले में संलिप्त अफसरों की फंसेगी गर्दन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पुलिस लाइन स्थित एमडी बिल्डिंग में स्थित जिला आपूर्ति कार्यालय में गुरुवार को शासन द्वारा गठित एसआइटी की टीम राशन घोटाले की जांच करने के लिए दफ्तर पहुंची। जहां पांच सदस्यों की टीम ने जनवरी 2016 से अप्रैल 2017 तक के दस्तावेजों की गहनता से जांच की और रिकार्ड खंगाले। फिलहाल, टीम मेरठ में रहकर संलिप्त अफसरों की कुंडली खंगालेगी।
शासन ने बीते गत वर्ष पहले अपनी पार्टी के भाजपा के राष्टÑीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की शिकायत पर जांच टीम गठित की थी। जिसमें प्रदेशभर में हुए करोड़ों रुपये राशन घोटाले में एसआइटी की टीम को गठित किया गया था। टीम की प्रथम जांच में अधिकारियों ने राशन धारकों को हरी झंडी दे दी है। वहीं, आगामी दिनों में लोकसभा चुनाव भी होने है।
जिसका श्रेय लेने के लिए एक बार फिर जिलेस्तर पर हुए करीब 12 करोड़ रुपये की जांच करने के लिए गुरुवार को इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी पहुंचे। जहां उन्होंने जिला आपूर्ति कार्यालय, तहसील व ब्लॉक स्तर की जांच शुरू कर दी है। टीम ने घोटाले से संबंधित दस्तावेज एकत्र करने का काम किया। टीम का कहना है कि घोटाले से जुड़े अफसरों की संलिप्ता सामने आ रही है।
टीम ने बताया कि इसमें 58,002 अपात्र लोगों को यह राशन दिया गया। जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। फिलहाल, जनवरी 2016 से लेकर अप्रैल 2017 तक के वो दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है जिसमें बड़े जिम्मेदार शामिल है। यह अभी प्रारंभिक जांच है। टीमें ब्लॉक स्तर, तहसील स्तर व जिलेस्तर पर जांच कर रही है।
ये लोग है जांच टीम में शामिल
टीम में शामिल इंस्पेक्टर केबीपी सिंह, अजय सिंह व कंछिद ने बताया कि शासन ने प्रदेशभर में हुए राशन घोटाले में एक डीआइजी, एक एडीजी, एक डीआइजी, एक एपी एवं दो एएसपी रैंक के अधिकारियों को शामिल किया गया है। जिसमें दो सीओ, 27 इंस्पेक्टर 15 एसआइ समेत 70 कांस्टेबल और हेड कांस्टेबलों को लगाया गया है। जो मामले की जांच कर रहे हैं।
जिले भर में करीब छह लाख कार्डधारकों मिल रहा राशन
जिला आपूर्ति कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिलेस्तर पर करीब छह लाख कार्डधारक हैं। जिन्हें पूर्व में एक यूनिट पर तीन किलो चावल व दो किलो गेहूं दिया जाना निर्धारित है। वहीं, उक्त कार्डधारकों के कार्ड बनवाने का जिम्मा नगर पालिका, जिला पंचायत, खंड विकास कार्यालय के अधिकारियों का होता है। उनकी स्वीकृति के बाद पात्र व अपात्र घोषित किया जाता है।
तहसीलस्तर पर अधिकारी करते हैं फार्म अ, ब सत्यापन
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि खाद्य स्वच्छ अधिनियम के तहत प्रतिमाह वितरण एवं भंडारण की जांच करवाई जाती है। फार्म अ और ब के सत्यापन के लिए तहसील स्तर के एसडीएम, राजस्वकर्मी, कोटेदार, तहसीलदार, नायब तहसीदार आदि मिलकर दस्तावेजों की जांच कर संबंधित विभाग को भेजते हैं।
ग्रामीण स्तर पर सतर्कता समिति के होते हैं हस्ताक्षर
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण स्तर पर एक सतर्कता समिति गठित की जाती है। जिसके सदस्य राशन कार्डधारक, कोटेधारक, ग्रामसचिव द्वारा प्रतिमाह गांव में बंटने वाले राशन व भंडारण पर हस्ताक्षर करते हैं और राशन घोटाले में होने वाली खामियों की जानकारी संबंधित विभाग को भेजी जाती है।
एक यूनिट पर मिलता है 5 किलो राशन
शासन द्वारा गांव देहात व शहर में प्रतिएक यूनिट के सदस्यों को पांच किलो राशन देने का प्रावधान है, लेकिन अगर वर्तमान की बात करें तो कोटेधारक एक यूनिट पर चार किलो ही राशन देते हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार आज भी करोड़ों रुपये के राशन घोटाला किया जा रहा है।
दिसंबर माह से 5 साल तक मिलेगा राशन
शासन ने सभी कार्डधारकों को आगामी पांच वर्ष तक निशुल्क राशन देने की घोषिण किया है। जो दिसंबर माह से लागू होगी।