Tuesday, July 9, 2024
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ड्राइवरों की हड़ताल से बिगड़ी स्थिति

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  • नए हिट एंड रन कानून के विरोध में सिटी सेवा के अंतर्गत चलने वाली बसों का भी रखा गया चक्का जाम

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए हिट एंड रन कानून के विरोध में वाहन चालकों ने नए साल के पहले दिन हड़ताल रखी। बस और ट्रक समेत अधिकांश वाहनों का संचालन बंद करके चक्का जाम रखा गया। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों का संचालन भी सोमवार को ठप रहा। जिसके कारण दिनभर यात्री गंतव्य तक पहुंचने के लिए इधर-उधर भटकते रहे।

नए वर्ष के पहले दिन सोमवार को भैंसाली बस स्टैंड के सामने निजी वाहन चालकों में जाम लगा दिया। बस स्टैंड पर पहुंचने वाली बसों को भी घंटे तक रोके रखा। जिसकी जानकारी मिलने पर प्रभारी आरएम सेवा प्रबंधक लोकेश राजपूत अधिकारियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने निजी वाहन चालकों को समझा-बुझाकर बाहर से आ रही बसों को सुरक्षित बस स्टैंड पर खड़ा कराया। जैसे-जैसे दिन चढ़ गया, वैसे-वैसे बस स्टैंड पर यात्रियों की संख्या भी बढ़ने शुरू हो गई।

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यात्री गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसों के संचालन का दबाव बनाते रहे, लेकिन चालकों ने संशोधित कानून का हवाला देते हुए कोई भी बस मार्ग पर ले जाने से साफ इनकार कर दिया। इसी प्रकार महानगर के अंतर्गत संचालित होने वाली इलेक्ट्रिक, सीएनजी तथा वोल्वो बसों का संचालन भी दिनभर ठप रखा गया। महानगर सिटी बस के एआरएम विपिन सक्सेना का कहना है कि सुबह 6:00 बजे से ही बसों का संचालन शुरू करने का प्रयास किया गया, लेकिन बेगमपुल पर जमा प्राइवेट वाहनों के चालकों ने कुछ गाड़ियों की चाबियां छीन ली और संचालन नहीं होने दिया।

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इसके उपरांत सुरक्षा की दृष्टि से सभी बसों को डिपो में खड़ा कर दिया गया। वहीं वाहनों का चक्का जाम कर रहे चालकों का कहना है कि सड़क हादसे को लेकर कानून में किए गए संशोधन के तहत सड़क हादसे के बाद मौके से भागने वाले चालक को 10 साल की सजा और आठ लाख रुपये के जुर्माने का प्राविधान किया गया है। चालकों का कहना है कि कोई भी हादसा जानबूझकर नहीं किया जाता इतना सख्त कानून बनने के बाद चालकों के 10 साल जेल में गुजरेंगे और उनके बच्चों का जीवन इधर-उधर भीख मांग कर जीवन यापन करने में कटेगा।

हड़ताल कर रहे चालकों की मांग है कि सरकार इस काले कानून को वापस ले। एक्सीडेंट ड्राइवर जान-बूझकर नहीं करते हैं। वाहन चालक के विरुद्ध एक्सीडेन्ट की घटना के संबंध में कानून में किए जा रहे संशोधन को निरस्त किया जाए। चालकों का कहना है कि दुर्घटना के बाद चालक मौके से नहीं भागे तो जमा हुई भीड़ मारपीट करने के साथ कई बार जान तक ले लेती है। इसके अलावा सरकार जुर्माना की बात कहा कि गरीब ड्राइवर कहां से राशि जमा भरेंगे और 10 साल की सजा होने पर परिवार का भरण पोषण कैसे होगा।

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इस संबंध में रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अपर महामंत्री संजय राणा का कहना है कि संगठन की ओर से हड़ताल के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है यह चालकों का अपने स्तर से लिया गया एक निर्णय है हालांकि व्यक्तिगत रूप से हुए सरकार से मांग करते हैं कि यह कठोर कानून वापस लिया जाए।

लखनऊ से ली जाती रही बराबर रिपोर्ट

एक ओर स्थानीय स्तर पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी चालकों से बात करके बेसन का संचालन करने का प्रयास करते रहे। वहीं, दूसरी ओर मुख्यालय से भी हड़ताल के संबंध में बराबर रिपोर्ट ली जाती रही। प्रभारी आरएम सेवा प्रबंधक लोकेश राजपूत और एआरएमम की ओर से चालकों के लिए बराबर अपील जारी की गई। जिसमें कहा गया कि कोई भी हड़ताल करने से पहले नोटिस देना आवश्यक होता है, लेकिन निगम के चालकों ने इसका पालन नहीं किया है। यह भी कहा गया कि निगम का बसों को संचालित करने का उद्देश्य आवश्यक सेवाओं में शामिल होता है, लेकिन उनकी अपील का चालकों पर कोई असर दिखाई नहीं पड़ा।

निगम को एक करोड़ से ज्यादा का फटका

साल के पहले ही दिन उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को मेरठ परिक्षेत्र में एक करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसा निगम के चालकों की हड़ताल के चलते हुआ है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मेरठ परिक्षेत्र में संचालित होने वाली बसों से प्रतिदिन एक करोड़ 20 लाख रुपये तक की आय प्राप्त होने हो जाती है। इस बीच सोमवार को साल के पहले ही दिन हिट एंड रन केस को लेकर चालकों ने निगम की बसों का संचालन नहीं किया। जिसके कारण निगम को यह नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं सिटी बस सेवा के अंतर्गत संचालित इलेक्ट्रिक सीएनजी और वोल्वो बसों का संचालन में होने के कारण करीब आठ लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

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