- 19 मई को हुई थी एटीएम कर्मचारी नंदन से लूट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ/मवाना: इंडिया वन कंपनी के एटीएम कर्मचारी नंदन से बाइक सवार युवकों द्वारा की गई 15 लाख रुपये की लूट में शामिल लुटेरों के नजदीक एसपी देहात कमलेश बहादुर एवं सीओ आशीष शर्मा के साथ मिलकर काम कर रही क्राइम ब्रांच एवं सर्विलांस टीम शत प्रतिशत नजदीक पहुंच गई है। मवाना थाना प्रभारी कुलदीप सिंह की टीम ने बाइक सवार युवकों से लूटी गई रकम की रिकवरी का दावा कर दिया है।
शुक्रवार शाम तक लुट की घटना में शामिल बदमाशों के साथ पटकथा लिखने वाले चेहरे का नकाब खुलकर सामने आ जाएगा। एसपी देहात कमलेश बहादुर ने कहा कि लूट का इनपुट मिल गया है और बकायदा दूध का दूध और पानी करने के लिए टीम लगी हुई है। इशारा करते हुए कहा कि सच्चाई के साथ लूट में शामिल पीड़ित लूट का शिकार के नजदीकी है। सर्विलांस टीम ने बैंक के साथ कनेक्ट आसपास सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकाल कर स्पष्ट रूप से लूट खोलने का आश्वासन दिया है।
गत 19 मई को इंडिया वन कंपनी के एटीएम कर्मचारी गंगानगर निवासी नंदन से बाइक सवार युवकों ने 15 लाख रुपये की मवाना, मेरठ हाइवे स्थित फलावदा तिराहे पर लूट को अंजाम दिया था। लूट होने के बाद पीड़ित ने पुलिस को भ्रम में डालने के लिए अलग-अलग लोकेशन दी और बरगलाने का प्रयास किया। पुलिस लूट को संदिग्ध मानकर चल रही थी, लेकिन पुलिस आलाधिकारियों ने लूट के मामले को गंभीरता से लिया
और एकाएक पीड़ित के मोबाइल फोन की लोकेशन एवं दिनभर चली वार्ता को ट्रेस कर नजदीक पहुंच गई। एसपी देहात कमलेश बहादुर एवं सीओ आशीष शर्मा के साथ मिलकर काम कर रहे क्राइम ब्रांच एवं सर्विलांस टीम ने भाग्य आजमाते हुए कामयाबी हासिल कर ली है।
थाने से कोर्ट तक ले जाने का मुल्जिमों से किराया, अवैध वसूली
मेरठ: थाना पुलिस अपने यहां दर्ज धारा 151 के मुकदमों के मुल्जिमों को सरकारी वाहन से नहीं बल्कि प्राइवेट वाहनों में भरकर कोर्ट तक का सफर तय करती है। पुलिस किराये के नाम पर इन मुल्जिमों से अवैध वसूली करते देखी जा सकती है। शहर हो या देहात के थाने सभी में पुलिस दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 का दुरुपयोग किये जाने में तनिक भी नहीं घबराती। बल्कि थानोें में खुलकर धाराओं के नाम पर मोटी रकम वसूली कर उन्हें 151 में निरुद्ध कर एक पक्षीय कार्रवाई भी करती है।
पुलिस अपने थानों में दर्ज मुकदमों के मुल्जिमों को सरकारी वाहनों से न ले जाकर उन्हें प्राइवेट वाहनों के जरिये अर्थात आॅटो में बैठाकर नियम विरुद्ध कृत्य करने से संकोच नहीं करती। चूंकि पुलिस द्वारा आम नागरिकों के लिए यह व्यवस्था बनाई गई है। कि थाने में बंद कोई भी मुल्जिम को कोर्ट में पेश करने के लिए उन्हें सरकारी वाहनों में ले जाया जाये। लेकिन हकीकत इससे इतर है। लेकिन पुलिस सरकारी वाहनो का प्रयोग न करके प्राइवेट गाड़ियों जैसे आॅटो और कारों में अपराधियों को लाती है।
पुलिस मुल्जिमों से आॅटो के किराये के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूलने में ज्यादा देर नहीं करती। जिले के विभिन्न थानों से धारा 151 के मुल्जिमों को कोर्ट तक के लाने के पुलिस पांच सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक खुलकर वसूली करती देखी जा सकती है। दोपहर होते ही ऐसे कई आॅटो में पुलिस 151 धारा के मुल्जिमों कोर्ट तक लाकर उनसे किराये के नाम पर एक रकम वसूलती है। पुलिस का यही कहना कि आॅटो वाले का किराया तो देना ही है।
इसलिए पहले इनका किराया निकालो। इसके बाद हमारा भी देखो। थाना पुलिस द्वारा भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 का दुरुपयोग किये जाने के कारण दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय-11 पुलिस का निवारक कार्य के उद्देश्य का विफल हो जाना तथा नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो जाना इसके बाद जब कार्यपालक मजिस्ट्रेट भी औपचारिकता पूर्ण कार्य करने के लिए उक्त प्रक्रिया को पूर्ण करवाते हैं। तो धारा 151 का उद्देश्य पूर्ण विफल हो जाता है। पुलिस निम्न प्रकार से धारा 151 सीआरपीसी का दुरुपयोग करती है।
कई बार पुलिस गंभीर घटना के घटित हो जाने के बाद भी एफआईआर सुसंगत धाराओं में दर्ज न करना पड़े इसलिए केवल 151 सीआरपीसी में दोनों पक्षों का चालान करके मामले को रफा दफा कर देती है। वहीं जब मुल्जिमों को थाने से कोर्ट तक लाया जाता है तो उन्हें सरकारी जीप में लाने की व्यवस्था है। लेकिन पुलिस नियम विरुद्ध मुल्जिमों को कोर्ट तक ले जाने के लिए प्राइवेट वाहनों का प्रयोग करती है। जो कि सर्वथा अपराध की श्रेणी में आता है।
कोलकाता में मर्डर के मामले में फरार आरोपी गिरफ्तार
सरूरपुर: कोलकाता में मर्डर के आरोप में फरार चल रहे आरोपी के एसएसपी के आदेश पर गिरफ्तारी को लेकर ग्रामीणों ने गुरुवार की देर शाम गोटका के ग्रामीणों ने थाने पर हंगामा करते हुए घेराव कर दिया। उत्तेजित ग्रामीणों का आरोप है कि कोलकाता पुलिस युवक को मर्डर के झूठे मुकदमे में फंसाना चाहती है। जबकि उसका भाई पहले से ही इस मामले में कोलकाता की जेल में बंद है।
थाना क्षेत्र के गांव गोटका निवासी सुशील पुत्र कालू एक युवक की हत्या के आरोप में कोलकाता की जेल में काफी समय से बंद है। जबकि उसका भाई पंकज (मोनू) इस मामले में वांछित चल रहा है। इसी वांछित को पकड़ने के लिए गुरुवार को कोलकाता पुलिस ने एसएसपी मेरठ से संपर्क किया और युवक की गिरफ्तारी में मदद करने की बात कही। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के आदेश पर देर शाम सरूरपुर पुलिस ने पंकज (मोनू) को उसके गांव से हिरासत में लेकर थाने में लाकर लॉकअप में डाल दिया,
लेकिन इस मामले का विरोध करते हुए देर शाम थाने पर ग्राम प्रधान राजकुमार के नेतृत्व में पहुंचे दर्जनों ग्रामीणों ने हंगामा खड़ा करते हुए थाने का घेराव किया और सरूरपुर पुलिस से कहा कि पंकज को कोलकाता पुलिस मर्डर के झूठे केस में फंसाना चाह रही है। जबकि वह निर्दोष है। ग्रामीणों का आरोप है कि दाखिल चार्जशीट में भी सुशील का कोई जिक्र नहीं है। जब उसका भाई सुशील पहले से इस मामले में कोलकाता की जेल में बंद है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कोलकाता पुलिस बेवजह पंकज कोई मर्डर में फंसा कर सजा देना चाहती है। जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया है। समाचार लिखे जाने तक थाने पर गोटका के ग्रामीण जमे हुए थे। जबकि सरूरपुर के प्रभारी निरीक्षक अरुण मिश्रा ने बताया कि देर रात तक कोलकाता पुलिस के पहुंचने की सूचना मिली है। जिसके बाद ही पूरे मामले का पटाक्षेप हो पाएगा। फिलहाल मामले में एसएसपी के आदेश पर युवक को हिरासत में लिया गया जो थाने पर है।