- बसपा वर्चस्व बचाने की जद्दोजहद में
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम मेयर पद के लिए लंबे समय से सपा खाता खोलने के लिए तड़प रही हैं। अब सपा की ये तड़प इस बार पूरी होगी या फिर नहीं, यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन सपा राष्टÑीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चार लाख मुस्लिम मतदाता होने के बाद भी हिन्दु प्रत्याशी सीमा प्रधान पर दांव लगाया हैं। निकाय चुनाव में भी अखिलेश ने एक तरह से देखा जाए तो खतौली उप चुनाव वाला फार्मुला अपनाया हैं।
सपा ने ये प्रयास किया है कि मुस्लिम, गुर्जर और जाटों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया हैं। क्योंकि सीमा प्रधान गुर्जर हैं, इसलिए गुर्जर वर्ग को एकजुट करने की ये एक कोशिश हैं। उधर, मुस्लिमों में बिखराव हुआ तो सपा को फिर झटका लग सकता हैं। दरअसल, बसपा अपना वर्चस्व बचाने में जुटी हैं। बसपा यहां से शाहिद अखलाक व सुनीता वर्मा को मेयर बनाकर दे चुकी हैं। बसपा को मुस्लिम व दलित गठजोड़ पर काम किया हैं। इस बार भी मुस्लिम हशमत को चुनाव मैदान में उतारा हैं।
दलित और मुस्लिम गठजोड़ हो पाता है या फिर नहीं, यह अभी कहना जल्दबाजी होगा। इतना अवश्य है कि भाजपा की निगाहें भी मुस्लिमों के बटवारे पर लगी हुई हैं। मुस्लिम मतों में यदि बिखराव नहीं हुआ तो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। पिछले चुनाव में भी मुस्लिम व दलित एक मुश्त बसपा के साथ चला गया था, जिसके चलते बसपा का परचम शहर में फिर लहरा गया था। अब बसपा अपने इस मिशन में कितनी कामयाब होती है, यह कहना कठिन होगा। भाजपा ने पूर्व मेयर हरिकांत अहलूवालिया पर दांव लगाया हैं।
हरिकांत एक बार मेयर रह चुके हैं, लेकिन हरिकांत को जाट और त्यागी समाज के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा हैं। चुनाव अभी दूर है, इसमें भाजपा के कुछ त्यागी और जाट समाज के लोग नाराज लोगों को मनाने में जुटे हुए हैं। भाजपा के लिए छत्तीस बिरादरी को एकजुट करने की चुनौती हैं। फिर दलितों में भाजपा कितनी घुसपैठ करती हैं, वह बहुत मायने रखने वाला हैं। दलितों में भाजपा की एंट्री हुई तो सपा और बसपा के लिए ये बुरी खबर हो सकती हैं। अब भाजपा ने दलितों को फोकस भी कर दिया हैं,
क्योंकि शहर में दलित वोट बैंक बड़ी अहमियत रखता हैं। दलितो का रुख भी चुनाव की तस्वीर को साफ करेगा। यही वजह है कि भाजपा ने कुछ दलित नेताओं को चुनावी मैदान में लगा रखा हैं। शहर में यह भी मिथक है कि जिसकी सत्ता होती है, उसका मेयर शहर में कभी नहीं बना। विपक्ष का ही मेयर हमेशा बनता आया हैं। इस मिथक को क्या भाजपा तोड़ पाएंगी? इस पर भी शहर के लोगों की निगाहें लगी हुई हैं।
बसपा प्रत्याशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज
मेयर पद के प्रत्याशी बसपा नेता हशमत मलिक का नोटों की गड्डी सार्वजनिक रुप से लेकर बैठना भारी पड़ गया। इस संबंध में वीडियो वायरल होते ही लिसाड़ीगेट थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। बसपा के मेयर प्रत्याशी का रुपयों की गड्डी के साथ वीडियो वायरल हो गया। वह इस वीडियो में वोटरों के बीच नोटों की गड्डी लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। मामला संज्ञान में आने के बाद जाकिर कॉलोनी चौकी इंचार्ज दिनेश पाल की तरफ से आचार संहिता के उल्लंघन में मामला दर्ज कराया गया है।
लिसाड़ीगेट थाना प्रभारी अजय कुमार ने बताया कि बसपा के महापौर प्रत्याशी हसमत मलिक समेत तीन के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया। बताया गया कि यह वीडियो महापौर प्रत्याशी हशमत मलिक का है। वह अपने हापुड़ रोड कार्यालय में नोटों की गड्डी का लेनदेन कर रहे हैं, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई है। सीओ कोतवाली अमित कुमार राय का कहना है कि वायरल हुए वीडियो के आधार पर बसपा प्रत्याशी हशमत मलिक समेत तीन के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया।
कई बसपा नेताओं ने थामा भाजपा का दामन
निकाय चुनाव में दलबदल का सिलसिला भी तेज हो गया है। बसपा के कुछ नेताओं ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया । सहारनपुर मंडल के पूर्व कोआॅर्डिनेटर प्रदीप गुर्जर समेत छह नेताओं ने भाजपा का दामन थामने का ऐलान किया। उधर, प्रदीप गुर्जर ने बसपा नेताओं पर टिकट लेन देन में खरीद-फरोख्त करने का आरोप भी लगाया। बसपा के पूर्व मंडल महासचिव रामजीवन लाल, पूर्व मंडल कोआॅर्डिनेटर प्रदीप गुर्जर, पूर्व मंडल कोआॅर्डिनेटर राजीव आर्य, पूर्व लोकसभा प्रभारी संजय जाटव और पूर्व पार्षद प्रदीप गुप्ता ने बसपा को छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने का ऐलान किया।
आप की छटपटाहट
आम आदमी की छटपटाहट भी क्रांतिधरा पर देखी जा रही हैं। पहली बार आम आदमी ने चुनाव में ताल ठोकी हैं। आप का खाता क्रांतिधरा पर खुल पायेगा या फिर नहीं, ये कहना अभी मुश्किल हैं, लेकिन आप के नेताओं ने ग्राउंड स्तर पर मजबूती के साथ काम किया जा रहा हैं। आप के किसी बड़े नेता का अभी कार्यक्रम भी शहर में नहीं लगा हैं। ऐसी स्थिति में संगठन भी इतना सक्रिय नहीं है, ऐसी हालत में आप ने मेयर व करीब 30 पार्षदों को चुनाव मैदान में उतार रखा हैं, जो खाता खोलने की जुगत में लगे हैं।
आप नेताओं की छटपटाहट साफ देखी जा सकती हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी पहली बार भले ही निकाय चुनाव में उतरी है, लेकिन उसकी ररणनीति पर नजर डाली जाए तो देखा जा सकता है कि पार्टी ने 30 वार्ड में पार्षद पद के लिए उम्मीदवार उतारे हुए हैं। इन उम्मीदवारों के स्तर से पार्टी सिंबल और महापौर प्रत्याशी ऋचा चौधरी के बारे में मतदाताओं को बताया जा रहा है। होर्डिंग, पोस्टर, बैनर के अलावा सोशल मीडिया के जरिये मतदाताओं के बीच अपना संदेश पहुंचाने की कवायद की जा रही है।