- पांच करोड़ राजस्व वसूलने का दिया गया है लक्ष्य, जबकि साधनों का है अभाव
- सहज बिजली, हर घर बिजली के नारे का बनाया जा रहा मजाक
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: राज्य सरकार बिजली उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति करने के लिए सहज बिजली, हर घर बिजली का नारा देते हुए कार्य कर रही है, लेकिन इस नारे का जमीन पर पालन करने में विभाग के इंजीनियरों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। संसाधनों के आभाव में जनता का आक्रोश झेलना पड़ता है तो दूसरी ओर विभाग ने हर बिजली घर को पांच करोड़ राजस्व इकट्ठा करने का लक्ष्य दे दिया हैं।
ऐसे में जब उपभोक्ताओं को जरूरत के मुताबिक बिजली की आपूर्ती नहीं होगी तो लक्ष्य कैसे पूरा किया जाएगा। राज्य विद्युत परिषद् जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने जूनियर इंजीनियरों की समस्याओं को लेकर बैठक की जिसमें संगठन के महासचिव ने स्टाफ की मजबूरियां सामने रखी।
उर्जा भवन पर आयोजित बैठक में राज्य विद्युत परिषद् के महासचिव इंजीनियर जयप्रकाश ने अपने स्टाफ की समस्याओं को सांझा किया। उनका कहना है सरकार की मंशा है बिजली उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा उपलब्ध कराई जाए, लेकिन उसके लिए विभाग के पास जरूरी संसाधनों का आभाव हैं। वर्तमान ऊर्जा प्रबंधन विभाग के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता पर ध्यान देने के बदले आदेश जारी कर रहा है
जिसमें सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य कैसे हो यह सवाल उठ रहा हैं। प्रबंधन की तरफ से पांच करोड़ प्रति बिजली घर से राजस्व वसूलने का लक्ष्य है जिसको लेकर विभाग के कर्मचारी मानसिक दबाव में हैं। इसी वजह से उनकी कार्य क्षमता पर भी असर पड़ रहा है। प्रबंधन का तानाशाही रवैया है कि बिना विद्युत तंत्र में सुधार किए व आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराए कार्मिकों को कार्रवाई का भय दिखाकर राजस्व में बढ़ोत्तरी की जा सकती है जो नहीं हो सकता।
हर बिजली घर से 15 दिनों में पांच करोड़ राजस्व वसूलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जबकि ज्यादातर बिजली घरों पर उपभोक्ओं का बकाया ही इससे कम हैं। इस वजह से अधिक लक्ष्य प्राप्ति का आदेश निराधार है। इस दौरान क्षेत्र के अंचल अध्यक्ष इं. अरविंद बिंद, अंचल सचिव इं. आरए कुशवाहा, क्षेत्रीय सचिव इं. जयवीर सिंह, अध्यक्ष इं. मुकेश यादव, सचिव इं. आशुतोष शर्मा, बागपत के अध्यक्ष इं. राजेश पटवा, सचिव इं. गुलशन कन्नोजिया मौजूद रहे।
विभागीय भंडार केंन्द्रों पर उपकरणों की कमी
बिजली विभाग के भंडार केंन्द्रों पर उपकरणों की भारी कमी हैं। इसके लिए धन के आभाव को कारण बताया जा रहा है। लेकिन प्रबंधन फालतू के ऐप चलाने वाली एजेंसियों पर फिजूलखर्ची कर रहा हैं। यदि प्रबंधन इस फिजूलखर्ची पर पैसा खर्च करने के बदले उपकरणों की कमी पर पैसा खर्च करे तो उपभोक्ताओं को इसका सीधा लाभ मिल सकता हैं।
30 प्रतिशत है सरकारी विभागों पर बकाया
बैठक में चर्चा के दौरान कहा गया कि बिजली विभाग का 30 प्रतिशत बकाया सरकारी विभागों पर हैं। लेकिन उसकी वसूली के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहें हैं। बिजली घरों पर तैनात जूनियर इंजीनियों के पास पहले से ही संसाधनों की कमी है ऐसे में 30 प्रतिशत बकाया का भुगतान सरकारी विभागों से हो जाए तो विभाग को लाभ होगा।
फाल्ट लोकेटर नहीं
विभाग के पास पूरे जिले में केवल एक ही फाल्ट लोकेटर हैं। ऐसे में यदि कहीं भी अंडर ग्राउंड फाल्ट हो जाता है तो उसका पता लगाने में जूनियर इंजीनियों को खासी परेशानी होती हैं। इस दौरान जहां बिजली आपूर्ती बाधित होती हैं वहां की जनता जेई पर जल्दी फाल्ट ठीक करने का दबाव बनाती हैं। प्रबंधन केवल लक्ष्य देता है जबकि संसाधनों को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं।
औद्योगिक क्रांति बिगाड़ने का हो रहा काम
बैठक में कहा गया कि प्रबंधन जिस तरह से विद्युत उपभोक्ताओं को बिना सुविधाएं दिये ही उनसे बिजली का बिल वसूलने की बात कर रहा है वह बेमानी हैं। यदि उद्योगो को सुचारू रूप से बिजली नहीं मिलेगी तो वह पनपेगें कैसे, बिना फैक्ट्रीयां चले राजस्व की वसूली संभव नहीं हैं।
दो लाख 72 हजार मीटर खराब
पूरे जिले में कुल विद्युत कनेक्शनों में से दो लाख 72 हजार कनेक्शनों के मीटर खराब हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं से किस तरह बिजली बिल वसूला जाए यह बड़ा सवाल हैं। विभाग के पास बिजली मीटरों की भारी किल्लत हैं, बिना मीटर बदले खराब मीटर से यूनिटों के खर्च का रिकार्ड नहीं हैं।
साथ ही मीटर कनेक्शनों का रिकार्ड भी आॅनलाइन है, लेकिन उसकी मॉनेटरिंग करने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। ट्रांसफर्मरों की क्षमता बढ़ाने की मांग पिछले कई सालों से की जा रही है, लेकिन वह पूरी नहीं हो रही। ऐसे में उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली सप्लाई कैसे हो इसका जवाब देने वाला कोई नहीं हैं।