- मेडिकल में इलाज के लिए पहुंची मरीज के परिजनों से की बदसलूकी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को हर सुविधा मिले इसके लिए शासन स्तर पर लगातार दावे किए जाते हैं। कोई भी मरीज बिना इलाज अस्पतालों से वापस न भेजा जाए साथ ही उसे हर वह सुविधा मिले जिसे सरकार ने लागू कर रखा हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज में एक बड़ा मामला सामने आया। जब डेंगू से ग्रस्त मरीज के परिजनों के साथ स्टाफ ने बदसलूकी की।
इसके साथ ही मरीज को बिना इलाज के ही वापस भेज दिया। पीड़ित पिता ने दूसरे अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया जहां उसकी जांच की गई तो डेंगू की पुष्टि हुई। यह कोई पहला मामला नहीं है जब मेडिकल के स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा है। इससे पहले भी टीबी विभाग में एक शव स्टाफ की लापरवही के चलते घंटों लावारिस हालत में पड़ा रहा था।
कंकरखेड़ा सैनिक विहार के रहने वाले बलबीर उपाध्याय की बेटी तपसी उपाध्याय की गत 22 सितंबर को दिल्ली में तबीयत खराब हो गई थी। पिता बेटी को किसी तरह दिल्ली से लेकर आए और रात करीब आठ बजे मेडिकल की इमरजेंसी में भर्ती कराया। बलबीर का आरोप है मेडिकल के स्टाफ ने बेटी को भर्ती तो कर लिया लेकिन उसके इलाज में लापरवाही बरती जाने लगी।
रात को ही स्टाफ ने मरीज के खून का सैंपल लिया जिसकी रिपोर्ट अगले दिन सुबह 9 बजे आने की बात कहीं। इसी बीच इमरजेंसी के स्टाफ ने बुखार में तप रही मरीज को दूसरे वार्ड पुरानी बिल्डिंग में शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर पर लिटाया। इस दौरान अच्छी खासी बारिश हो रही थी
बावजूद इसके मरीज को बिना किसी साधन के ही भीगते हुए दूसरे वार्ड में एडमिट कर दिया गया। पिता का आरोप है जिस वार्ड में उनकी बेटी तपसी को शिफ्ट किया गया था वहां के स्टाफ ने उनके साथ बदसलूकी की। पिता ने कहा कि बेटी को बुखार है और उसे भी डेंगू है, लेकिन नर्सिंग स्टाफ ने उसकी कोई बात नहीं सुनी।
रातभर मरीज बिना इलाज के तड़पती रही। 23 सितंबर को बलबीर ने सुबह नौ बजे अपनी बेटी की जांच रिपोर्ट की जानकारी की, लेकिन स्टाफ ने कुछ नहीं बताया। हालत बिगड़ने पर पिता बेटी का इलाज करने के लिए स्टाफ से मिन्नते करता रहा, लेकिन उसके साथ बदसलूकी की गई।
इसके बाद दोपहर करीब 12 बजे पिता अपनी बीमार बेटी को मेडिकल से लेकर चला गया और उसे बाइपास स्थित सुभारती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। यहां मरीज की जांच की गई जिसमे उसे डेंगू होने की पुष्टि हो गई। जिसके बाद मरीज का इलाज शुरू किया गया। बलबीर का कहना है कि समय पर बेटी को मेडिकल से न निकाला जाता तो उसकी बेटी के साथ कुछ भी हो सकता था।
मरीज के साथ लापरवाही बरती गई इसकी उन्हे जानकारी नहीं है, यदि ऐसा हुआ है तो मामले की जांच कराई जाएगी और इसके लिए जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -डा. आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज।