- सॉफ्टवेयर चेक कर रहा शुद्धता, कॉलेजों में सुधरने लगी शोध की गुणवत्ता
- यूजीसी ने प्लेगरिज्म डिटेक्शन नामक साफ्टवेयर किया तैयार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) का प्लेगरिज्म डिटेक्शन साफ्टवेयर शोध की शुद्धता को बनाए रखने के लिए उपयोगी साबित हो रहा है। इस साफ्टवेयर के आने के बाद विश्वविद्यालयों में होने वाले शोध की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। अब शोधार्थी कट एंड पेस्ट करके रिसर्च करने से बच रहे हैं।
विश्वविद्यालयों में होने वाले शोध में एक बड़ी समस्या उसकी गुणवत्ता को लेकर रही है। साथ ही बहुत से शोधार्थी केवल अपनी पीएचडी की डिग्री पूरी करने के लिए किसी भी पीएचडी की पूरी कॉपी कर लेते हैं। इसे रोकने के लिए यूजीसी ने एंटी प्लेगरिज्म को सभी विश्वविद्यालयों में लगाने के लिए कहा था। जिसके बाद विश्वविद्यालयों ने इसे अपनी लाइब्रेरी में लगाना शुरू कर दिया।
अब इस सॉफ्टवेयर की मदद से थीसिस की जांच की जा रही है। यह सॉफ्टवेयर कंटेंट की जांच कर बताता है कि संंबंधित शोध में कितना मूल लेख है और कितना दूसरी जगह से कट एंड पेस्ट किया गया है। जांच में अगर 60 फीसद से अधिक कट एंड पेस्ट मिलता है तो उसका काफी नुकसान हो सकता है। कट एंड पेस्ट को अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है। इतना ही नहीं अगर किसी शोध में 10 फीसद तक कट एंड पेस्ट की शिकायत है तो उसे स्वीकार किया जा सकता है।
10 से 40 फीसद कंटेंट चोरी होने पर शोधार्थी को दोबारा से अपने शोध पत्र को तैयार करना होता है। 40 से 60 फीसद साहित्यिक चोरी पर एक साल तक शोध पत्र को जमा करने से मना कर दिया जाता है। इसके साथ ही अगर किसी थीसिस में 60 फीसद से अधिक कंटेंट कट एंड पेस्ट का मिलता है तो शोध का पंजीकरण रोक दिया जाता है। विवि प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला का कहना है कि यूजीसी के इस सॉफ्टवेयर से साहित्यिक चोरी में कमी आई है और शोध की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।