Saturday, July 27, 2024
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टीबी फ्री सब नेशनल सर्टिफिकेशन 2022 के लिए सर्वे

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  • 10 गांव में 10 टीम करेंगी काम, सीएमओ ने हरी झंडी दिखाकर की अभियान की शुरुआत
  •  वर्ष 2021 में किए गए सर्वे के लिए विभाग को मिला था कांस्य पदक

जनवाणी संवाददाता |

मुजफ्फरनगर: टीबी फ्री सब नेशनल सर्टिफिकेशन 2022 के के लिए जिले के सभी ब्लॉक में ब्लाक मीरापुर, मोरना, जानसठ, पुरकाजी, बघरा, बुढ़ाना, चरथावल व खतौली और सदर में जिला क्षय रोग विभाग की 10 टीम सर्वे करेंगी। इसके लिए वॉलेंटियर्स की टीम बनायी गयी है। यह टीम घर-घर जाकर टीबी के मरीज खोजेंगी। इस अभियान की शुरुआत सोमवार को जिला अस्पताल स्थित जिला क्षय रोग विभाग से हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह ने टीम को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस अवसर पर सीएमओ डा. महावीर सिंह फौजदार ने कहा कि टीबी के जीवाणु हवा से फैलते हैं। जब किसी व्यक्ति के फेफड़ों या गले में टीबी के जीवाणु होते हैं तो उसके खांसते, छींकते, बोलते और हंसते समय जीवाणु हवा में फैल जाते हैं। टीबी के जीवाणु हवा में काफी समय तक रह सकते हैं। इस फैलाव को रोकने के लिए जरूरी है कि पीड़ित खांसते या छींकते समय अपने मुंह को रूमाल या तौलिए से ढक लें। मॉस्क लगाना एक बेहतर उपाय हो सकता है। टीबी का उपचार शुरू होने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका काफी कम हो जाती है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. लोकेश चंद्र गुप्ता ने बताया – टीबी मरीजों को चिन्हित कर टीबी मुक्त करने की कवायद तेजी पर है। टीबी फ्री सब नेशनल सर्टिफिकेशन वर्ष 2021के तहत जनपद के सभी ब्लाक मीरापुर, मोरना, जानसठ, पुरकाजी, बघरा, बुढ़ाना, चरथावल व खतौली और सदर में सर्वे कराया गया था जिसमें जिला क्षय रोग विभाग को इसके लिए कांस्य पदक मिला था। अब 2023 में ष्टीबी फ्री सब नेशनल सर्टिफिकेशन 2022ष् के लिए विभाग की ओर से एसडी कॉलेज ऑफ फार्मेसी मुजफ्फरनगर से वॉलेंटियर की 10 टीम बनाई गई हैं, जो जिले के हर ब्लॉक में सर्वे करेगी और घर-घर जाकर टीबी मरीज खोजेंगी। इस अभियान में 2015 में मिले टीबी मरीजों से तुलना की जाएगी, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कितने मरीज टीबी मुक्त हुए हैं। उन्होंने बताया- 2023 में जिला क्षय रोग विभाग ष्टीबी फ्री सब नेशनल सर्टिफिकेशन 2022ष् सिल्वर मेडल के लिए काम कर रहा है।

जिला समन्वयक सहबान उल हक ने बताया कि सरकार की ओर से टीबी की जांच और उपचार का प्रावधान है। नियमित उपचार के बाद टीबी का रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। उपचार के दौरान रोगी के बेहतर पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत सरकार की ओर से हर माह पांच सौ रुपये दिये जाते हैं। यह भुगतान रोगी के बैंक खाते में सीधे किया जाता है।

पीपीएम कॉऑर्डिनेटर प्रवीण कुमार ने बताया कि दो हफ्ते या उससे अधिक खांसी होना, दो हफ्ते या उससे अधिक बुखार होना, लगातार एक माह से सीने में दर्द रहना, तेजी से वजन और भूख कम होना, एक माह में कभी भी बलगम में खून का आना टीबी के मुख्य लक्षण हैं। उन्होंने कहा – समय पर इन लक्षणों की पहचान होना जरूरी है, इसके लिए तुरंत जांच करानी चाहिए। स्वास्थ्य केन्द्रों पर जांच का प्रावधान है। समय पर पहचान और इलाज होना जरूरी है।

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