Wednesday, July 3, 2024
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दुर्लभ सिवेट कैट की तलाश में दिनभर बहाया पसीना

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  • रेंजर के नेतृत्व में तीन टीमें कर रही पेट्रोलिंग
  • विशेषज्ञों का दावा ज्यादा दूर नहीं निकली सिवेट कैट

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: खजूरी में दिखी सिवेट कैट की तलाश में वनकर्मियों की टीम ने ग्रामीणों के साथ दिनभर जंगल खंगाला, लेकिन सफलता नहीं मिली। सिवेट कैट की प्रवृत्ति और पप्स के साथ से अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह अभी ज्यादा दूर नहीं निकली है। दुर्लभ प्रजाति होने के चलते वन टीम उसकी सघन तलाशी में लगी है।

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परीक्षितगढ़ के खजूरी में मास्टर तुफैल अहमद के खेत में बच्चों सहित दिखी दुर्लभ सिवेट कैट वन विभाग के लिए सिरदर्द बन गई है। गुरुवार को रेंजर जगन्नाथ कश्यप के नेतृत्व में वनविभाग की तीन टीमों ने ग्रामींणों के साथ जंगल में पेट्रोलिंग की, पदचिन्हों के सहारे भी काफी दूर तलाशा, लेकिन सफलता नहीं मिली। एकल प्रवृत्ति और बच्चों का साथ देख माना जा रहा है कि सिवेट कैट अभी ज्यादा दूर नहीं निकल पाई है। रेंजर ने बताया कि फिलहाल पेट्रोलिंग जारी रहेगी।

मलमूत्र दोनों उपयोगी

विशेषज्ञ ने बताया कि सिवेट कैट फल खाती है। फलों से प्राप्त एसिटोन इसके पेट में एस्टर बनाता है। जो बहुत खुशबूदार होता है। सिवेट कैट मूत्र के रूप में एस्टर निकालती है। इसका मल दुनिया की महंगी विदेशी कॉफी कूपी लुवाक और अगरबत्तियां बनाने में किया जाता है।

मादा नहीं नर करता है लंबा सफर

जीएस खुशारिया ने बताया कि सिवेट कैट एक दिन में 3-10 किमी का सफर करती है। जबकि इसका नर 40 किमी तक की दूरी तय कर लेता है।

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बताया कि 3-4 मादा सिवेट कैट पर एक नर होता है। इनके रंग क्षेत्र व जलवायु के अनुसार गेरुआ, पीला, सफेद भी पड़ जाता है।

खूंखार नहीं है सीवेट कैट

वन्य जीव विशेषज्ञ जीएस खुशारिया की माने तो सिवेट कैट लैपर्ड की आदतन खूंखार नहीं होती। मानव से खतरा भांपने पर सिर्फ गुर्राती है। कभी-कभार चिढ़ने पर ही हमला करती है। यह वन्यजीवों को सिर्फ खाने के लिए मारती है। खेल या दुश्मनी में किसी पर वार नहीं करती।

छोटे जंगली जानवरों सेह, जंगली मुर्गी, छोटे बंदर, सांप, चूहे, चुचूंदर, खरगोश के अलावा फल बहुत खाती है। इसको टोड्डी कैट भी कहते हैं क्योंकि यह ताड़ी यानि पाम के फल का जूस पीती है। यह गर्म जलवायु वाले क्षेत्र में पाई जाती है। शरीर 6 इंच से 4 फीट तक लंबा होता है। सिवेट कैट की 12 प्रजातियां हैं। अफ्रीका और दक्षिण एशिया में पाई जाती है।

क्यों कहते हैं सिवेट कैट?

सिवेट कैट को हिंदी में गंध या कस्तूरी बिलाव भी कहा जाता है। विशेषज्ञ ने बताया कि सिवेट कैट के शरीर से सिविटोन नामक द्रव्य निकलता है। जो बहुत खुशबूदार होता है। इसका प्रयोग दुनिया के महंगे इत्र, परफ्यूम बनाने में किया जाता है। इसलिए सिवेट कैट सिर्फ जिंदा रहने तक ही उपयोगी है। दूसरे वन्यजीवों की तरह इसके किसी भी अंग का शिकार या मौत के बाद प्रयोग नहीं किया जा सकता।

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