21 अप्रैल 1987 को दिल्ली में पैदा हुए ताहिर राज भसीन के पिता भारतीय वायु सेना में थे। उनका छोटा भाई भी पायलट है। ताहिर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस में बैचलर डिग्री हासिल की है। 2010 में, ग्रेजुएशन करने के बाद 23 साल की उम्र में एक्टर बनने का सपना लिए ताहिर राज भसीन सपनों की नगरी मुंबई चले आए। वेरी जॉन के एक्टिंग स्कूूल में उन्होंने बाकायदा एक्टिंग की ट्रेनिंग ली। उसके बाद एक साल तक इंस्टीटयूट आॅफ एडवांस एक्टिंग एंड बिहेवियरल स्टडीज में शामिल हुए जहां बॉडी लैंग्वेज और बिहेवियरल एनालिटिक के बारे में काफी कुछ सीखा। 2012 में संजय खंडूरी द्वारा निर्देशित कॉमेडी थ्रिलर ‘लव पैसा दिल्ली’ में उन्हें एक कैमियो में एक्टिंग का अवसर मिला। उसके बाद अभिषेक कपूर की ‘काई पो चे‘ (2013) में उन्होंने महज सात सैकंड की भूमिका की। ‘वन बाई टू’ (2014) में भी उनका बेहद छोटा रोल था।
रानी मुखर्जी की शीर्षक भूमिका वाली ‘मर्दानी‘ (2014) में पहली बार ताहिर राज भसीन को एक बेहद पॉवरफुल रोल निभाने का अवसर मिला। उस किरदार के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के रूप में नॉमिनेट किया गया। इसके बाद ताहिर के कैरियर की गाड़ी चल निकली। ‘फोर्स 2’ ‘मंटो’ और ‘छिछोरे’ जैसी एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में ताहिर के नाम के साथ जुड़ती चली गईं। पिछले साल प्रदर्शित कबीर खान की फिल्म ‘83’ में उन्होंने सुनील गावस्कर के किरदार में कमाल का काम किया और खूब ख्याति बटौरी।
इस साल उनकी तापसी पन्नू के अपोजिट वाली ‘लूप लपेटा’ रिलीज हुई। इस साल वो ‘रंजिश ही सही’ और ‘ये काली काली आंखें’ जैसी वेब सीरीज में भी नजर आए। ताहिर राज भसीन ने सोशल मीडिया पर ‘टॉकिंग क्राफ्ट’ नाम से अपना चैट शो लांच किया है जिसमें वो इस इंडस्ट्री की कुछ बेहतरीन रचनात्मक ताकतों के साथ बातचीत करते नजर आ रहे हैं।
पिछली फिल्मों और वेब सीरीज में ताहिर ने जिस तरह रोमांटिक हीरो वाले किरदार निभाये, उन्हें उनके द्वारा ‘मर्दानी‘ (2014) में निभाये गए एंटी हीरो वाले रोल की तुलना में ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इसके बाद अब ताहिर खुद को एक रोमांटिक हीरो के रूप में आंकने लगे हैं। किसी भी फिल्म में काम करते हुए ताहिर फिल्म के सह कलाकारों से कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते हैं। अब उनकी ख्वाहिश है कि वे विशाल भारद्वाज और संजय लीला भंसाली जैसे मेकर्स के साथ काम करें।