Saturday, July 27, 2024
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अफगानी महिलाओं में तालिबानी आतंकियों का खौफ, पढ़िए पूरी खबर

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: काबुल पर तालिबान के कब्जे को चार दिन ही बीते हैं पर अफगानी महिलाएं काफी सहमी नजर आने लगी हैं। तीन-चार दिनों से सड़कों पर उनकी मौजूदगी कम हो गई है। वह सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट करने से लेकर अपना कामकाज बंद करने लगी हैं।

महिला पत्रकारों ने कंप्यूटरों से फाइलें साफ कर दी हैं तो ब्यूटीशियनों ने सैलून के बाहर पोस्टर हटा दिए हैं और महिला डॉक्टर पुरुषों को देखने से कतराने लगी हैं। यहां तक कि कुछ महिलाओं ने तो आतंकियों की नजरों से बचने के लिए घर से बाहर बुर्का पहनना शुरू कर दिया है।

आवाज उठाने वाली महिलाएं घराें में कैद 

अफगानियों के खिलाफ तालिबान के बर्ताव को लेकर खुलासे करने वाली एक अवॉर्ड विजेता पत्रकार का कहना है, मुझे बंदी जैसा लगने लगा है और घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो रही।

मुझे डर है कि अगर उसे पता लगा कि मैंने ये खबरें लिखी थीं तो न जाने वे मेरे साथ क्या करेंगे। ऐसे में बचाव के लिए मैंने सोशल मीडिया अकाउंट, कंप्यूटर फाइलें डिलीट करने से लेकर तस्वीरें नष्ट कर दी हैं और अवॉर्ड छिपा दिए हैं।

कुछ साहसी महिलाओं ने संभाला मोर्चा

काबुल की सड़कों पर निकली कुछ महिला पत्रकारों की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर काफी प्रसारित हो रही हैं। रिपोर्टिंग कर रही इन पत्रकारों के साहस को सराहा जा रहा है। वहीं, एक महिला समूह ने महिलाओं के मन में डर खत्म करने को लेकर छोटा मार्च निकाला। एक कार्यकर्ता सूदावर कबीरी ने कहा कि वे महिला अधिकारों की लड़ाई के लिए एकजुट हुई हैं।

शिक्षकों पर प्रतिबंध की शुरुआत

काबुल में भूगोल पढ़ाने वाली एक शिक्षिका हाकिमा ने बताया, मैं खुद अपना घर चलाती हूं। लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं नौकरी पर हूं या नहीं क्योंकि तालिबान ने प्राथमिक स्तर से ऊपर लड़कों को पढ़ाने पर प्रतिबंध का एलान कर दिया था।

उनका कहना है, वह चाहती थीं कि उनकी बड़ी बेटियां देश छोड़कर चली जाएं पर उनके पास पासपोर्ट नहीं था। महिला अधिकार कार्यकर्ता वाजहमा फरोघ का कहना है, अफगानी समाज दो दशकों में काफी बदल गया है। अब बेटियां पढ़ना चाहती हैं। वे अपने अधिकारों की बात करने लगी हैं। लिहाजा, तालिबान मुल्क को पूरी तरह पुराने दौर में नहीं ले जा सकता।

21 देशों ने मांगी महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी

अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सहित दुनिया के 21 देशों ने साझा बयान जारी कर तालिबान शासन से महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी मांगी है। इन देशों ने साझा बयान में कहा है कि पिछले 20 साल से महिलाओं और लड़कियों के अधिकार सुरक्षित रहे, तालिबान से भी गारंटी मिलनी चाहिए कि नई सरकार इन्हें जारी रखेगी।

महिलाओं को पहले की तरह शिक्षा और रोजगार की आजादी मिलनी चाहिए। महिलाओं के अलावा सभी अफगान नागरिकों को सम्मान और सुरक्षा मिलनी चाहिए। बयान पर दस्तखत करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ भी शामिल थे।

90 में भी किए थे वादे पर बरती कठोरता

भले ही तालिबान ने कह दिया, महिलाएं हिजाब पहनकर काम पर जा सकती हैं। लेकिन असल में किसी को नहीं पता कि वह वाकई लड़कियों को पढ़ाई करने या काम पर जाने देगा। उनके अतीत को देखते हुए इसकी गारंटी कोई नहीं ले सकता।

अगर कार्यकर्ता या पत्रकार को उसकी आवाज उठाने का हक नहीं हो तो फिर वह मृत समान है, भले तालिबान उसे गोली न मारे। कुछ महिलाओं ने बताया कि तालिबान ने 90 के दशक में सत्ता कब्जाते वक्त भी महिला हितैषी पहल के वादे किए थे। लेकिन फिर कठोर इस्लामिक कानून के राज में दुनिया ने देखा कि हमारे साथ कैसा सलूक हुआ।

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