- बोले-तहसीलदार एक सप्ताह के अंदर राजस्व निरीक्षक एवं लेखपालों से ली जायेगी जानकारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सदर तहसील क्षेत्र में कितनी सरकारी भूमि है। वर्तमान में कितनी भूमि कब्जा मुक्त है और कितनी को कब्जा मुक्त कराने का प्रयास चल रहा है। इस संबंध में गुरुवार को जब तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद से जानकारी की गई तो वह बगले झांकते नजर आए। उन्होंने जानकारी उपलब्ध नहीं होने की बात कहते हुए इस संबंध में एक सप्ताह का समय जानकारी उपलब्ध कराने के लिए मांगा।
बताया कि उनके पास अभी इस संबंध में कोई सटीक जानकारी नहीं है कि सदर तहसील क्षेत्र में पशु चारागाह एवं तालाब एवं पट्टा धारकों की कितनी जमीन पर कब्जा है। कितनी वर्तमान में कब्जा मुक्त है और कितनी को कब्जा मुक्त कराने के लिए तहसील स्तर से प्रयास किया जा रहा है।
जहां एक तरफ सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह जल्द से जल्द पशु चारागाह की भूमि कब्जा मुक्त कराने के लिए अभियान चलवाने की घोषणा करके गए। वहीं, यह अभियान सदर तहसील में कैसे सफल होगा जब खुद ही तहसील के सबसे बड़े अधिकारी तहसीलदार को ही जानकारी नहीं कि हमारे पास पशु चारागाह की कितनी भूमि है।
कहावत है कि किसी भी सरकार की योजना की सफलता एवं असफलता उसके अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हाथों में होती है। वह चाहें तो किसी सरकार की योजना को जन-जन तक पहुंचाकर जनता को उसका लाभ पहुंचा दें या फिर उस योजना को फाइलों में ही कैद करके उस योजना को परवान चढ़ने से रोक दें। जिसमें योजना के परवान नहीं चढ़ने पर सरकार की कितनी किरकिरी होगी उससे कुछ अधिकारियोें को कोई लेना देना नहीं होता।
कुछ ऐसा ही मामला सदर में अधिकारी एवं कर्मचिारयों की कार्यशैली में चल रहा है। क्रांतिधरा पर आने वाले भाजपा के दिग्गज मंत्री एवं खुद मेरठ के सांसद एवं विधायक मंचों से सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की बात करते जरूर हैं, लेकिन उनकी ही सरकार में शासन में बैठे कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों पर उसका कोई असर नहीं देता। हाल ही प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह, सड़कों पर घूमने वाले आवारा गोवंश को गोशाला में भिजवाने एवं उनके चारे की व्यवस्था के लिए पशु चारागाह की भूमि अभियान चलाकर कब्जा मुक्त कराने की घोषणा करके गए।
इसके साथ कितनी सरकारी भूमि ऐसी है। जिस पर अवैध कब्जा है। जिसमें पशु चारागाह एवं तालाब की भूमि के साथ किसी गरीब पात्र व्यक्ति के पट्टे की भूमि पर अवैध कब्जा तो नहीं, लेकिन उनके इस आदेश का अधिकारियों पर अभी तक कोई असर दिखाई नहीं दिया। आवारा गोवंश को गोशाला में भिजवाना तो दूर पशु चारागाह की कितनी जमीन पर अवैध कब्जा है। उसकी भी जानकारी तहसील के अधिकारियों को नहीं है।
जानकारी करने पर लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक एक-दूसरे पर टाल देते हैं। यहां तक कि तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद को भी लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षकों के द्वारा सटीक जानकारी शायद उपलब्ध नहीं कराई। यदि कराई तो वह मीडिया को क्यों नहीं बता पा रहे कि सरकारी भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए प्रदेश सरकार के मंत्री के द्वारा जो घोषणा की गई थी उस दिशा में अभी तक कितना कदम उठाया। फिलहाल तहसीलदार ने पशु चारागाह व अन्य सरकारी भूमि की वर्तमान में क्या स्थिति है। उसके लिए एक सप्ताह के भीतर जानकारी उपलब्ध करने के बाद ही कुछ कहने की स्थिति की बात कही है।
मुझे जानकारी नहीं है, तहसील क्षेत्र में कितनी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा है या कितनी भूमि कब्जा मुक्त है। पशु चारागाह की भूमि हो या अन्य श्रेणी की सरकारी भूमि के संबध में जानकारी एक सप्ताह बाद ही उपलब्ध कराई जा सकती है। -रामेश्वर प्रसाद, तहसीलदार, सदर तहसील