- निगम ने एक वर्ष के अंदर प्लास्टिक, लोहे व अंडरग्राउंड डस्टबिन पर खर्च किये लाखों
- अधिकतर जगहों पर प्लास्टिक एवं लोहे के डस्टबिन हुए गायब
- अस्थाई समाधान को अंडरग्राउंड डस्टबिन तैयार करने का कार्य कराया शुरू
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा को साफ सुथरा बनाने के लिये नगर निगम की तरफ से एक वर्ष के भीतर डस्टबिन पर करीब 90 लाख रुपये खर्च कर दिये गए। बावजूद इसके सड़कों पर गंदगी का अंबार साफ देखा जा सकता है। निगम के द्वारा प्लास्टिक के डस्टबिन, लोहे के डस्टबिन उसके साथ ही अब अंडरग्राउंड डस्टबिन तैयार कराये जा रहे हैं। सड़कों पर जगह-जगह कूढ़े के ढ़ेर पड़े देखे जा सकते हैं।
वर्तमान में भी करीब 90 लाख रुपये खर्च करने के बाद भी साफ सफाई व्यवस्था बेपटरी हैं। ये खर्च तो मात्र डस्टबिन पर खर्च किया गया है। अन्य साफ-सफाई व्यवस्था पर जोड़ा जाये तो वह खर्च करोड़ों में पहुंच जायेगा। अधिकतर जगहों से लोहे एवं प्लास्टिक के डस्टबिन गायब हो चुके हैं।
नगर निगम के द्वारा पंचवर्षीय योजना में स्वच्छता अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च किये उसके बावजूद महानगर आज तक साफ सुथरा नहीं बन सका है। निगम के द्वारा स्वच्छता पर कितना बजट खर्च किया गया। उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले डस्टबिन पर ही एक वर्ष के अंदर करीब 90 लाख रुपये खर्च कर दिये। डस्टबिन पर 90 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद साफ-सफाई व्यवस्था बेपटरी दिखाई पड़ रही है।
निगम के द्वारा एक वर्ष पूर्व ही जो डस्टबिन खरीदे थे, वो अब महानगर में कुछ जगहों पर ही दिखाई देते हैं। अधिकतर जगहों से डस्टबिन गायब हो चुके हैं। अब नगर निगम के द्वारा स्थाई समाधान के लिये अंडरग्राउंड डस्टबिन तैयार कराये जा रहे हैं। ताकि नगर निगम क्षेत्र में सड़कों पर कूड़े के ढेर दिखाई न पडेÞ। लोग अंडरग्राउंड स्थाई डस्टबिन में ही कूड़ा आदि डाले।
पांच वर्ष में निगम ने स्वच्छता पर कितना खर्च किया होगा। जिसमें रिक्शा ठेला, साफ-सफाई के उपकरण पर जो खर्च हुआ होगा वह तो दूर की बात है, लेकिन अकेले यदि साफ-सफाई व्यवस्था में डस्टबिन पर खर्च को देखा जाये तो एक वर्ष के अंदर करीब 90 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं। उसके बावजूद साफ-सफाई व्यवस्था बेपटरी दिखाई देती है।
21/08/2022 को गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग एकत्रित करने के लिये तीन सेट वाले डस्टबिन लगवाये गये। जिसमें 109 नग लगवाये गये। जिसमें एक 1100 लीटर क्षमता वाले लगवाये गये, जोकि मैन चौराहों पर लगवाये गये। जिस पर 21 लाख 58 हजार रुपये का बजट खर्च किया। वहीं, दूसरी ओर लोहे के डस्टबिन पर 8 लाख 68 हजार 893 रुपये खर्च किये, लेकिन वह डस्टबिन एक वर्ष में ही अधिकतर जगहों से गायब हो गये या फिर क्षतिग्रस्त हालत में पडेÞ हैं।
इस तरह के डस्टबिन लगवाना सफल नहीं हुआ तो अब नगर निगम के द्वारा अंडरग्राउंड डस्टबिन तैयार कराये जा रहे हैं। जिसमें एक डस्टबिन पर करीब 12 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं और महानगर में अब तक 5 जगहों पर अंडरग्राउंड डस्टबिन तैयार हो चुके हैं,
जिसमें शर्मा नगर, मानसरोवर, जोनल पार्क गंगानगर, सर्किट हाउस पर अंडरग्राउंड डस्टबिन तैयार हो चुके हैं। बाकी अन्य जगहों पर भी निर्माण किये जाने हैं। इन 5 अंडरग्राउंड डस्टबिन पर करीब 60 लाख रुपये का खर्च आ चुका है। कुल मिलाकर एक वर्ष के अंदर डस्टबिन पर ही करीब 90 लाख रुपये नगर निगम खर्च कर चुकी है।
महानगर में साफ सफाई व्यवस्था के लिये अब अंडरग्रांड डस्टबिन तैयार कराये जा रहे हैं। अभी तक पांच जगहों पर ही निर्माण हुआ है। बाकी जैसे जैसे आवश्यकता होगी उसके अनुसार अन्य जगहों पर भी निर्माण कराया जायेगा।
महानगर की साफ सफाई व्यवस्था को दुरुस्त कराया जा रहा है। -डा. हरपाल सिंह प्रभारी स्वास्थ्य एवं पशु चिकित्सा एवं कल्याण विभाग नगर निगम