Monday, September 25, 2023
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आज मनाया जाएगा रक्षाबंधन का पर्व

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  • राखी बाजार में डोरेमान और नटखट कान्हा की भी डिमांड
  • बच्चों को लुभा रही कार्टून करेक्टर वाली राखियां

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार आज धूमधाम से मनाया जाएगा। जिसको लेकर बुधवार को बाजार में राखी और उपहारों की दुकानों पर सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। इसके साथ खरीदारों की चहल-पहल भी बढ़ गई है। शहर के कचहरी रोड, सदर बाजार, सुभाष बाजार, बेगमपुल, सेंट्रल मार्किट आदि में राखियों की दर्जनों स्टालें लगी हुई थी जो बहनों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम कर रही है।

इस बार बाजार में फैंसी राखियों की है बड़ी रेंज

नन्हीं कलाइयों पर इस बार बाल हनुमान, छोटा भीम, नटखट कान्हा के साथ डोरीमॉन भी नजर आएंगे। दुकानों में कार्टून करेक्टर की राखियां भी खूब पसंद की जा रही है। पुरुषों के लिए लूंबी स्टाइल, ब्रेसलेट व फैंसी राखियों का अधिक डिमांड है। राखियों की कीमत 20 रुपये से लेकर 300 रुपये तक है। इसकी आकर्षक पैकिंग की गई है। दुकानदारों ने देसी राखी को प्राथमिकता देते हुए दुकानें सजाई है। ग्राहकों का कहना है कि बाजार में इस बार फैंसी राखियों की बड़ी रेंज मौजूद है। बहनें बड़े शौक से अपनी पसंद की राखी खरीदने में जुटी है।

रक्षाबंधन पर महंगाई का असर

सदर बाजार राखी विक्रेता रोशन कुमार बताते हैं कि कोलकाता से स्वदेशी राखियां बिक्री के लिए मंगाई गई है। सबसे ज्यादा नग और क्रिस्टल वाली राखियां खरीदी जा रही है। रेशम राखी 20 से 30 रुपये, नग वाली राखी 40 से 200 रुपये तक, मोती वाली राखी 30 से 100 रुपये तक, क्रिस्टल और चांदी के पानी चढ़ी राखियां 150 से 300 रुपये तक बिक रही है। हालांकि, उपहार वाली राखियों का दाम अधिक है। महंगाई का असर रक्षाबंधन त्योहार पर भी दिखाई दे रहा है। राखियों के दाम पहले की अपेक्षा 10 से 15 प्रतिशत अधिक है।

परदेश में भाई बहन, माता-पिता बेचैन

भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना। रक्षा बंधन के मौके पर हर घर में सुनाई देने वाले इस लोकप्रिय गीत के दर्द को उन परिवार के लोगो से पूछिए जिनके बच्चे विदेशों में बसे है और उनके मां-बाप इंतजार कर रहे हों। आजकल मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने के लिए लोग विदेशों की ओर भाग रहे है। इस कारण परिवारों में त्योहारों के मायने बदलते जा रहे है। पहले सुबह से रक्षा बंधन की तैयारी शुरू हो जाती थी लेकिन अब मां बाप को वीडियो कॉल की मदद से संतोष करना पड़ रहा है। लंदन की एक मल्टीनेलशनल कंपनी में काम करने वाली भूमिका को अपने भाई की याद आ रही है।

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पिछली बार वो इंडिया में थी तो उसने बड़े प्यार से भाई सौरभ को राखी बांधी थी, लेकिन इस बार वीडियो कॉल से ही काम चलाना पड़ेगा। भूमिका को अफसोस है कि इस बार भाई की कलाई में मेरी तरफ से कोई और राखी बांधेगा। कनाडा के मॉन्ट्रियल में रहने वाले गुरप्रीत सिंह को बहन मनप्रीत कौर की राखी का बेसब्री से इंतजार है। भाई ने आॅनलाइन पैसे तो बहन को भेज दिए, लेकिन दुख इस बात का है कि बहन की जिद और प्यार नही मिलेगा। दो साल पहले गुरप्रीत सिंह जब इंडिया आए थे तब अपनी बहन को उसकी मनपसंद ड्रेस और स्कूटी दिलवाई थी। आॅस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में नौकरी कर रहे भाई अरविंद सिंह को राखी ना बांध पाने से बहन मोनिका दुखी है।

सदर निवासी मोनिका का कहना है कि भाई को आज सुबह वीडियो कॉल से बात की और कहा भाई राखी बंधवा लेना। मां इस बात से दुखी है कि तीन साल से बेटा इंडिया नही आया है और सारे त्योहार ऐसे ही सूने निकल जाते हैं। मेरठ कॉलेज प्रो. मंजू गुप्ता के बच्चे भी विदेश में है और उनको भी रक्षा बंधन के त्योहार में काफी याद आती है। भौतिकवाद के युग में परिवार बिखरते जा रहे है और बच्चे अच्छी सैलरी की तलाश में विदेशों में बस रहे है और उनके तीज त्योहार ज्यादा मायने भी नहीं रखते हैं। जब रक्षाबंधन का पर्व आता है तब परिवार में बेचैनी आती है।

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