Saturday, January 18, 2025
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कोसो दूर आशियाना, फिर भी रोज होगा आना जाना!

  • बस थोड़ा इंतजार, दिल्ली एनसीआर में मिलेगा बेहतर कनेक्टिविटी का तोहफा
  • नौकरी पेशा व्यक्तियों के लिए मिसाल बनेगी रैपिड, दायरा बढ़ाने की भी तैयारी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आप मेरठ-मुजफ्फरनगर के रहने वाले हों या अलवर के। आपका आशियाना जयपुर हो या फिर आगरा, हद तक कि आप मथुरा में ही क्यों न रह रहे हों। इन शहरों में रहने के बावजूद यदि आपको दिल्ली में नौकरी करने का मौका मिल रहा है तो आप इसे बिल्कुल भी गंवाने की सोचिएगा भी मत। बहुत जल्द दिल्ली व एनसीआर के लोगों को ऐसी हाईफाई कनेक्टिविटी मिलने जा रही है कि आप उस पर नाज करेंगे।

यदि आप दिल्ली से कोसो दूर भी रह रहे हैं तब भी आप अपने दफ्तर और फिर दफ्तर से घर एक सवा घंटे में आसानी से पहुंच जाएंगे। इन परियोजनाओं पर मंथन चल रहा है। दरअसल, दिल्ली के आसपास के शहरों से कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के लिए काम जोर शोर से चल रहा है। इसका एक खास मकसद दिल्ली पर से आबादी का बोझ भी किसी हद तक कम करना है। शीघ्र ही दूरदराज के शहरों से भी आप दिल्ली तक का सफर आसानी से तय कर सकते हैं।

इसके लिए जहां एक्सप्रेस-वे तैयार हो रहे हैं। वहीं, रैपिड आपके सपनों को पंख लगाने का काम करेगी। इन मल्टीलेवल प्रोजेक्ट से दिल्ली अब दिल्ली दूर नहीं रहेगी। इसी कढ़ी में आरआरटीएस प्रोजेक्ट के तहत पहले फेज का काम (दुहाई से साहिबाबाद) पूरा कर लिया गया है। कुछ ही दिनों में पहले फेज के लिए रैपिड का संचालन शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट के बाद दिल्ली-गुड़गांव से बहरोड़ तक 107 किमी लम्बे रैपिड कॉरिडोर पर काम शुरू होने की पूरी उम्मीद है।

इस प्रोजेक्ट का मुख्य लक्ष्य दिल्ली से 150 किमी के दायरे में रह रहे लोगों को एक घंटे के भीतर राजधानी तक पहुंचाना है। इसके लिए केन्द्र के स्तर से एनसीआर ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन का गठन किया गया है। दिल्ली-मेरठ रैपिड प्रोजेक्ट भी इसी कॉरपोरेशन के तहत काम कर रहा है। दरअसल, आरआरटीएस ट्रेनों की 180 की स्पीड का मकसद भी काफी हद तक ‘दूरियों’ को सीमित करना है। दरअसल, आरआरटीएस सूत्रों के अनुसार दिल्ली मेरठ रैपिड कॉरिडोर भविष्य में और लम्बा भी हो सकता है।

यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो रैपिड मुजफ्फरनगर तक कनेक्ट हो सकती है क्योंकि इसके लिए आधारभूत ढांचा पहले ही तैयार हो चुका होगा सिर्फ इसे विस्तार देना होगा। यदि योजना परवान चढ़ती है तो इसी प्रोजेक्ट को नोएडा में बन रहे अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से लेकर इंदिरा गांधी इंटरनेशनल तक भी जोड़ा जा सकता है। कुल मिलाकर आने वाले कुछ एक सालों में हम दिल्ली एनसीआर के आवागमन के स्ट्रक्चर को यूरोपियन स्ट्रक्चर से टक्कर लेता हुआ देख सकते हैं।

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