Monday, May 5, 2025
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कंठी माता के दर्शन मात्र से मिलती है रोगों से मुक्ति

  • शहर के बीचों बीच स्थित है यह मंदिर, 200 साल से भी अधिक पुराना है मंदिर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कंठी माता मंदिर शहर के बीचों बीच स्थित है। दिल्ली से भैंसाली रोडवेज बस अड्डे तक पहुंचकर रिक्शा, आॅटो व सिटी बस द्वारा बच्चा पार्क तक जाकर कंठी माता के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से मंदिर तक की दूरी करीब 66 किलोमीटर है। शहर में मंदिर तक पहुंचने के लिए सहज परिवहन सेवा उपलब्ध है।

मंदिर की विशेषता ये है कि यहां स्थापित अलग-अलग माताओं की मूर्ति अलग-अलग रोग निवारण के लिए जानी जाती है। कंठी माता के सामने लोग गला संबंधी रोग से निदान पाने के लिए सिर सजदा करते हैं। महिलाएं यहां अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और निरोग रहने की कामना मांगने आती हैं। मंदिर के पुजारी दिनेश नौटियाल के अनुसार यह मंदिर एक प्राचीन सिद्ध पीठ है।

उनका कहना है कि मंदिर करीब 200 साल पुराना है। यहां सच्चे से मन से मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है। पिछले 50 वर्षों में कंठी माता मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है। यहां कंठी माता, शीतला माता, हंडिया माता, ललिता माता, फूलमती माता, दुर्गा माता व खो-खो माता की मूर्ति हैं।

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मान्यता है कि यहां स्थापित देवी की मूर्ति अलग-अलग रोग को दूर करने का परम आशीर्वाद देती हैं। यहां चुनरी व प्रसाद के साथ पूजा-अर्चना करने पर मां का आशीर्वाद मिलता है, इसलिए यहां दूर-दूर से लोग बच्चों और बड़ों को लेकर बीमारियों पर अंकुश लगवाने के लिए मां का आशीर्वाद लेने आते हैं।

ऐसे हुई थी कंठी माता मंदिर की स्थापना

ऐसा माना जाता है कि कंठी माता मंदिर की स्थापना लोगों के रोग निवारण के लिए की गई थी। बताते हैं कि करीब 200 साल से भी पहले कई साधु हरिद्वार से लौटते हुए मेरठ के छीपी टैंक के बच्चा पार्क के इस स्थान पर रुकते थे और पूजा-अर्चना किया करते थे। वे यहां पत्थर की मूर्तियां बना देते थे। वह यहां 10-15 दिन तक रुकते थे और आगे बढ़ जाते थे।

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यह सिलिसिला साल-दर-साल चला। मेरठ का जैसे-जैसे विकास हुआ तो यहां मूर्तियों के छोटे-छोटे मठ बना दिए गए। इसके बाद यहां बाबा चंचल गिरि आए और वे यहीं रहने लगे। लोग बाबा से रोगों का निवारण करने के लिए आते थे और बाबा देवी माता की कृपा से उनको रोगमुक्त करते थे। जिन लोगों का छीपी टैंक क्षेत्र था, उन्होंने बाबा चंचल गिरि को यह क्षेत्र दान कर दिया।

यहां पूजा-अर्चना करने आने वाले भक्तों ने इसे मंदिर का रूप देना शुरू किया। इसके बाद काफी लोग यहां आने लगे। होली पर विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा तभी से चली आ रही है। होली पर यहां यूपी ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु कंठी माता मंदिर की पूजा करने आते हैं।

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