- बालू रेत, मिट्टी और सवारियों से भरकर जान जोखिम में डालते हैं लोगों की
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर और देहात क्षेत्र में रेत बालू व मिट्टी से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दिन भर इधर से उधर दौड़ते हुए मौत को न्योता देने में लगे हैं। सुबह से ही सड़कों पर दौड़ते इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों ने लोगों का आम रास्तों से गुजरना दूर्भर कर दिया है। देहात खरखौदा क्षेत्र में एक सात वर्षीया बच्ची की ट्रैक्टर की चपेट में आने पर मौत हो गई। इससे पहले भी ट्रैक्टर-ट्रॉली से हुई दुर्घटनाओं कई लोगों की जान चली गई। सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे ट्रैक्टरों पर पुलिस प्रशासन लगाम लगाने के बजाय किसी बड़ी घटना के इंतजार में है।
गढ़ रोड स्थित देहात क्षेत्र से सटी काली नदी से दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां रेत बालू और मिट्टी भरकर सुबह सात बजे के बाद मेडिकल क्षेत्र से होकर शहर में निकल पड़ते हैं। यातायात नियमों को धता बताकर ये रेत बालू र्इंटों से भरे ये ट्रैक्टर बाजार और घनी बस्तियों में प्रवेश कर जाते हैं। यातायात पुलिस इन ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर लगाम कसने के बजाय इनके चालकों से सुविधा शुल्क लेकर इन्हें नो एंट्री जोन में जाने के लिए खुली छूट दे रहे हैं।
पुलिस प्रशासन किसी दुर्घटना होने के इंतजार में है। पकड़े जाने के डर से ये ट्रैक्टर चालक सड़कों पर बेतहाशा दौड़ते हैं। जिससे सड़क पर चलने वाले कई आम लोग इनकी चपेट में आ जाते हैं। मवाना व बागपत रोड और हापुड़ रोड पर सैंकड़ों की तादाद में ट्रैक्टर सुबह से ही रेत मिट्टी र्इंटों से भरकर शहर की सड़कों पर निकल पड़ते हैं। कई बार तो देखा जाता है कि इन ट्रॉलियों में शादी में जाने के लिए सवारियां भरकर ले जाया जाता है।
जो वाकई खतरनाक है। भकई बार इन ट्रैक्टरों की चपेट में आकर विभिन्न क्षेत्रों में दुर्घटनाएं हुई। जिनमेें कई लोग घायल हुए और कई लोग घायल भी हुए। मेडिकल थाना क्षेत्र में तीन महीने पहले ही एक ट्रैक्टर ने दो बाइक में टक्कर मार दी। जिसमें दो लोग घायल हुए। बल्कि उनकी बाइक भी क्षतिग्रस्त हो गई। ऐसा ही एक हादसा मवाना रोड पर हुआ। जिसमें ट्रैक्टर चालक अपने ही ट्रैक्टर के नीचे दब गया और मौत हो गई।
ट्रैक्टर से हादसे होने की वजह
आॅटोमोबाइल से जुड़े वीएन शर्मा का कहना है कि ट्रैक्टर खेतों और मिट्टी उबड़ खाबड़ जमीन पर चलने के लिए बनाया गया है। इसमें शॉकर नहीं होते, इसमें चालक हमेशा असंतुलित मुद्रा में रहता है। इसमें न तो पावर ब्रेक होते और न ही अच्छे ब्रेक पैड। अगर इसमें ट्रॉली जोड़ देते हैं तो जब ट्रैक्टर में बे्रक लगाया जाता है तो ट्रॉली का वजन ट्रैक्टर को रुकने नहीं देता। इसके बाद सब कुछ चालक के नियंत्रण से बाहर हो जाता है और हादसे हो जाते हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की लोगों से अपील
कानपुर आउटर में एक अक्टूबर में ट्रैक्टर ट्रॉली पलटने पर 26 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। जिसमें पुरुष महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इस बड़ी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने जिले के एसपी देहात और एसपी सिटी सहित सभी सर्किल के सीओ और थाना प्रभारियों को निर्देश दिये हैं कि वे अपने क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करते हुए अपील की जाये। कि वे ट्रैक्टर ट्रॉली डंपर मालवाहक आदि वाहनों पर यात्रा न करें।
यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। सड़कों पर इस तरह का आवागमन न होने पाये। मेरठ पुलिस लोगों से अपील करती है कि अपनी जान जोखिम डालकर इस तरह से यात्रा न करें। एसपी ट्रैफिक, जितेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि भारी वाहन या ट्रैक्टर ट्रॉलियां का नो जोन में एंट्री करने का समय रात 10 बजे से लेकर सुबह सात बजे तक है। अगर इसके बीच कोई भी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां यातायात नियमों का उल्लघंन करती हैं तो उनका चालान किया जायेगा। कानपुर की घटना के बाद से सभी लोगों से अपील की गई है। कि वे ट्रैक्टर और ट्रॉलियों न बैठकर निकले। इसमें सवारियों को बड़ा खतरा बना रहता है।