- मनमोहक होने लगा गंगा घाट की सुबह का नजारा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: झुंड में तरतीब से शिकार करके पेट भरना फिर पूरे दिन गर्म रेत पर सुस्ताना। ये नजारा आजकल गंगा किनारे का है। हस्तिनापुर के मखदूमपुर, भीकुंड और खेड़ी घाट समेत आसपास के गांवों में छिछले पानी में विदेशी पक्षियों की अठखेलियां पक्षी प्रेमियों को खासा आकर्षित कर रही हैं। हर साल 60 से अधिक प्रजाति के हजारों प्रवासी पक्षी हजारों मील की यात्रा कर यहां आते हैं और सर्दी खत्म होने पर लौट जाते हैं।
मेरठ के हस्तिनापुर में वन्यजीव विहार सेंचुरी क्षेत्र काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस क्षेत्र से गुजर रही गंगा नदी के आसपास हर साल विदेशी मेहमान भारी संख्या में पहुंचते हैं। ठंड ने दस्तक दे दी है ऐसे में परदेशी पक्षियों ने भी एक बार फिर भारत की ओर रुख करना शुरू कर दिया है।
हजारों मील की यात्राकर परदेशी परिंदे खासतौर पर साइबेरिया व अन्य देशों से बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी भोजन की तलाश में गंगा किनारे पहुंचते हैं। ये पक्षी अब कई महीनों तक देश में ही रहेंगे। ये आसपास के खादर क्षेत्र में देखे जाते हैं। वहा इनको अठखेलियां करते देखा जा सकता है। विशेष तौर से सारस, क्रेन, शॉक्लर, बार हेडेड गिद्ध,रीवर टर्न, ब्रह्मी डक सहित किंगफिशर, कॉमन टेल, कॉम्ब बतख जैसे दर्जनों प्रजाति के विदेशी पक्षी बड़ी संख्या में यहां पूर्व में पहुंचते
रहे हैं।
सात से 10 दिन करते हैं सफर
प्रवासी पक्षी सात से 10 दिन की यात्रा कर मखदूमपुर सहित देश के अन्य हिस्सों में पहुंचते हैं। खास बात यह है ये पक्षी हर बार एक ही रास्ता प्रयोग करते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि बर्फ से ढके हिमालय पर्वत का क्षेत्र यह पक्षी तीन दिन में पार करते हैं। करीब 10 हजार किलोमीटर से भी अधिक का सफर यह विदेशी मेहमान तय करते हैं।
आसमान में दिखता है अनुशासन
अपने देश से चलते समय यह विदेशी मेहमान एक आकृति में दूरी तय करते हैं। ये आकृतियां ज्यादातर वी-शेप में होती हैं। सबसे आगे ग्रुप का मुखिया होता है। बीच में बच्चे और पीछे वयस्क पक्षी होते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये पक्षी हवा, धूप और दबाव के अनुसार अपनी उड़ने की आकृतियों में बदलाव करते हैं।