जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हाईवे पर ग्रीन बेल्ट और रोड बाइडिंग में एक ही कांप्लेक्स में दो-दो अवैध होटल। इनमें से मीरास बिस्ट्रो और ग्रांड-5 में दो बार आग का हादसा। दो साल पहले जब आग लगी, तब उसमें कार्यक्रम चल रहा था। सैकड़ों महिला, पुरुष और बच्चे आग में फंस गए, बामुश्किल उनकी जान बच सकी थी। मीरास बिस्ट्रो में दूसरा आग हादसा तीन दिन पहले हुआ।
उसके बावजूद न तो प्रशासन और न ही मेरठ विकास प्राधिकरण व सीएफओ की नींद टूटती नजर आ रही है। क्या यह मान लिया जाए कि सैकड़ों की जान जाने के बाद ही अधिकारियों की नींद टूटेगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस अवैध इमारत पर जब कार्रवाई की बात आयी तो मालिक रोबिन चौधरी ने बाकायदा शपथ पत्र देकर स्वयं ही इन अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की बात कही थी, लेकिन ध्वस्त किया जाना तो दूर की बात, वहां कई गुना और बड़े अवैध निर्माण करा लिए। अब प्रशासन, प्राधिकरण व सीएफओ की ऐसी क्या मजबूरी है जो दो बार के भयंकर आग हादसे के बाद भी इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने में हाथ-पैर कांपते नजर आ रहे हैं।
ये भी बता दें कि यहां एक ही कांप्लेक्स में दो अवैध निर्माण ग्रांड-5 और मीरास बिस्ट्रो है। दोनों ही ग्रीन बेल्ट तथा रोड बाइडिंग में आ रहे हैं। इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये है कि मीरास बिस्ट्रो और ग्रांड-5 बनाने वालों ने मेडा से मानचित्र भी स्वीकृति नहीं कराया और फायर एनओसी भी नहीं ली। इससे भी बढ़कर जो कारगुजारी दिखाई, वो यह कि एनएचएआई की भी एनओसी लेने की जरूरत नहीं समझी। इन अवैध होटलों में जितने भी कार्यक्रम होते हैं। उनमें आने वाले लोगों की गाड़ियां हाईवे पर पार्किंग की जाती है। इसके बावजूद प्राधिकरण के अफसर इन्हें मीरास बिस्ट्रो और ग्रांड-5 चलाने दे रहे हैं।
बाईपास स्थित जिन होटल, ढाबों को ध्वस्त किए जाने के आदेश पूर्व में किए गए हैं, उनमें मीरास बिस्ट्रो भी शामिल है। होना तो ये चाहिए था कि तत्कालीन वीसी के आदेश के बाद इसको ध्वस्त कर दिया जाता, लेकिन बजाय ध्वस्त किए जाने के प्राधिकरण के अफसरों की मिलीभगत के चलते उसमें कई बड़े हाल और कमरों का अवैध रूप निर्माण कर लिया गया है। प्राधिकरण के नवागत वीसी चाहे तो मौके पर पहुंच कर इसका भौतिक सत्यापन भी कर सकते हैं। इसका ही नहीं पूरे हाइवे पर जितने भी अवैध होटल ढाबों जिन पर कार्रवाई की जानी थी। वहां करा दिए गए अवैध निर्माणों को लेकर भी इस जोन के जेई और जोनल अधिकारी की कारगुजारी उनके सामने आ जाएगी।
ग्रीन बेल्ट में निर्माण नहीं आया नजर
कंकरखेड़ा बाईपास स्थित मीरास बिस्ट्रो में आग का हादसा हुआ, वह पूरी तरह से अवैध रूप से ग्रीन बेल्ट में बनाया है। एनजीटी ने ग्रांड-5 व मीरास बिस्ट्रो समेत ग्रीन बेल्ट में बनाए गए सभी होटल ढाबों को लेकर मेरठ प्राधिकरण के अफसरों को कड़ी फटकार लगायी थी। एनजीटी की नाराजगी के चलते प्राधिकरण ने ग्रीन बेल्ट में बने तमाम होटल ढाबों को ध्वस्त करने के लिए वहां लाल निशान लगाए थे, लेकिन ध्वस्तीकरण करने की बजाय मीरास बिस्ट्रो में ही कई बड़े हॉल व कमरों के अवैध निर्माण करा दिए। हैरानी की बात तो ये है कि ना तो प्राधिकरण से मानचित्र ही स्वीकृत कराया और ना ही फायर एनओसी ली गयी।
आखिर किस बात का इंतजार है अफसरों को
एनएच-58 पर ग्रीन बेल्ट में बना दिए गए मीरास बिस्ट्रो सरीखे होटल ढाबों का लेकर एनजीटी की नाराजगी और गाज से डरे प्राधिकरण के अफसरों ने जब लाल निशान लगा दिए, फिर किस कारण से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की गयी। जहां लाल निशान यानि डिमार्केशन किया था, प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अफसरों से हाथ मिलाकर होटल ढाबा मालिकों ने उसी स्थान और भी ज्यादा अवैध निर्माण करा लिए हैं। प्राधिकरण के नवागत वीसी यदि अपने मातहतों से हाईवे के अवैध होटल ढाबों की फाइल तलब कर लें तो अफसरों की बड़ी कारगुजारी बेपर्दा हो जाएगी।
आखिर क्या है वजह, काली कमाई या लालच
क्या वजह है जो क्रॉस का लाल निशान लगाए जाने के बाद भी हाइवे के अवैध होटल को ध्वस्तीकरण नहीं किया जा रहा है। क्या काली कमाई के लालच में प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अफसर भी आंखों पर पट्टी बांधे हैं, जो उन्हें जोनल अफसर व जेई की कारगुजारियां नजर नहीं आ रही हैं। हरियाली का चीरहरण किया जा रहा है और उच्च पदस्थ चुप बैठे तमाशा भर देख रहे हैं। ग्रीन बेल्ट में होटल, ढाबे बनवाने वाले प्राधिकरण के अफसरों व इन अवैध होटल ढाबों पर वीसी कब कार्रवाई करेंगे, पूछता है जनमानस। यहां ये भी बता दें कि पूर्व में तत्कालीन वीसी ने दावा किया था कि हाईवे पर ग्रीन बेल्ट में बनवा दिए गए होटल ढाबों को ध्वस्त कर ग्रीन बेल्ट को मुक्त कराया जाएगा। इसके लिए उन्होंने तमाम अवैध होटल ढाबों की सूची भी तलब की थी, पर हुआ कुछ नहीं।
न मानचित्र और न ही फायर एनओसी
ग्रीन बेल्ट में बनावाए गए मीरास बिस्ट्रो व ग्रांड फाइव सरीखे तमाम होटलों व ढाबों पर ना तो प्राधिकरण से स्वीकृत मानचित्र है और ना ही उनके पास फायर एनओसी है। हाइवे ऐसे होटल ढाबों में आए दिन आग हादसों सरीखी घटनाएं होती है, लेकिन इनका संज्ञान लेकर कार्रवाई के बजाय अधिकारी मामले को दफन करने में लग जाते हैं। हाइवे स्थित मीरास बिस्ट्रो में दो बार आग लगने की वारदात हो चुकी है, वो भी पूरी तरह से अवैध है।
शायद किसी बड़े हादसों का इंतजार
बाईपास स्थित जिस अवैध मीरास बिस्ट्रो में भयंकर आग का हादसा हुआ है। इस होटल में पहले भी इस प्रकार का अग्निकांड हो चुका है। उसके बाद भी न तो प्राधिकरण और न ही फायर विभाग के अफसरों को इस अवैध होटल पर कार्रवाई की फुर्सत है। प्राधिकरण और पुलिस फायर विभाग के अफसरों का जो रवैया नजर आ रहा है, उससे तो यही लगता है कि यहां किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है।