- पुलिस मूकदर्शक बनी तो अन्य लोगों ने दोनों में बीच बचाव कराया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम कार्यालय में मंगलवार को दोपहर के समय दो अनुचरों के बीच कहासुनी हो गई। देखते ही देखते कहासुनी गाली-गलौज में बदल गई और दोनों के बीच लात-घूंसे चले और जूतम पैजार हो गई। नगर निगम में खुद को कंट्रोल रूम में कार्यरत बताने वाला अनुचर राहुल कुमार मंगलवार दोपहर पत्नी के साथ पहुंचा। इस दौरान पार्षद कक्ष में अनुचर के रूप में कार्यरत आदिल भी उधर से गुजर रहा था।
इसी बीच दोनों के बीच कुछ कहासुनी हो गई। जिसमें राहुल ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी के सामने आदिल ने बिना किसी करण गाली-गलौज की। जबकि आदिल ने राहुल पर गाली-गलौज का आरोप लगाया। पुलिस भी चंद कदम की दूसरी पर मौजूद थी और वह शोर शराबा सुनकर मौके पर पहुंची तो तब तक मामला शांत हो गया। जिसमें आदिल वहां से जैसे ही प्रथम तल पर पार्षद कक्ष में पहुंचा तो उसके पीछे-पीछे राहुल भी उसे दोबारा से गाली-गलौज करते हुए जा पहुंचा, इस दौरान पुलिस कर्मी भी उसके पीछे जा पहुंचे,
लेकिन उन्होंने राहुल को पार्षद कक्ष में आदिल के पास जाने से नहीं रोका। जिसमें राहुल ने आदिल को पार्षद कक्ष से बाहर खींचकर उसके साथ जमकर मारपीट की, इस दौरान आदिल ने भी राहुल के साथ मारपीट कर दी। वहां पर अफरातफरी मच गई। आदिल ने बताया कि राहुल ने पूर्व में भी कुछ कर्मचारियों के साथ मारपीट की घटना कर दी थी, जिसके बाद उसके खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी।
बदर की एफआर पर विवेचक को लगी फटकार
मेरठ: बदर अली से दोस्ती निभाना करोड़ों के चंदे की जांच कर रहे दारोगा का महंगा पड़ गया। मामले में एफआर लगाने पर एसएसपी ने नाराजगी व्यक्त की है। साथ ही इस पूरे मामले में सीओ कोतवाली से भी उन्होंने रिपोर्ट तबल कर ली है। जिसके चलते माना जा रहा है कि चंदे के मामले को लेकर आने वाले समय में बदर अली की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, चैरिटी संस्था के नाम पर एकत्रित करोड़ो रु के चंदे में गबन घोटाले के सबूतों को अनदेखा करते हुए लगाई गई अंतिम-रिपोर्ट पर एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने विवेचक को तलब कर फटकार लगाई ।
करोड़ों रुपये की चंदे राशि वाली संस्था के बैंक खाते में कोई पैसा जमा नहीं व आय-व्यय कोई वित्तीय दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने और संस्था के वैधता समाप्ति बाद भी बिना विधिक अधिकार अवैध चंदा वसूली जैसे जालसाजी के सबूत बावजूद लगाई गई गलत एफआर पर देहली गेट थाने में तैनात दारोगा व केस विवेचक सुमित यादव को बुलाकर ना केवल फटकार लगाई बल्कि मामले में सीओ कोतवाली से भी रिपोर्ट तलब की गई है।
एरा गार्डन निवासी शिकायतकर्ता शमीम चौधरी का कहना है कि मामले में गबन घोटाले जालसाजी और धोखाधड़ी के ही नहीं बल्कि संस्थाओं की आड़ में मनी लांड्रिंग जैसे अपराध के पर्याप्त सबूत है। चिट फंड रजिस्ट्रार द्वारा प्रचलित जांच अब संस्था के निरस्तीकरण स्तर तक पहुंच चुकी है, आयकर विभाग में शिकायत कर दी गई है और जल्दी ही ईडी में भी सभी सबूतों व दस्तावेजों के साथ शिकायत दी जाएगी। मुकदमे की पुन: विवेचना, क्राइम ब्रांच से कराने की मांग की गई है।