पहली बार में आप यह सोचेंगे कि यह मैंने क्या लिख दिया लेकिन हां यही सच है। एक बार एक बीमा कंपनी के बड़े अधिकारी से मैं बात कर रहा था तो उन्होंने बताया कि बीमा का प्रीमियम केवल प्रीमियम नहीं है, एक दान है। यह मत सोचिये कि आप कितना दे रहे हैं और कितना लाभ पा रहे हैं। लाभ नहीं पाने का मतलब कि आप स्वस्थ हैं|
कोई अनहोनी नहीं हुई है और आपका पैसा उस जरूरतमंद के भुगतान में काम आ गया जिसे वाकई इसकी जरुरत थी, अस्वस्थ था या अनहोनी हो गई। इसलिये स्वास्थ्य बीमा को एक खर्च या बोझ नहीं समझिये। आपकी आवश्यकता के साथ यह आपके द्वारा किया गया गुप्त दान है जिससे किसी न किसी जरूरतमंद का इलाज हो रहा है।
मेरा मानना है कि बीमा दान तो है ही दान के साथ साथ स्वत: समूह सहकारिता का सबसे अनूठा उदाहरण है, एक समाज या भूगोल के लोग बिना एक दूसरे को जाने, बिना प्रत्यक्ष रूप से जुड़े अपने प्रीमियम के माध्यम से समाज के दूसरे लोगों के जोखिम का हरण कर रहे हैं। इसलिए बीमा को दान ही नहीं, सहकारिता का भी एक अनूठा उदाहरण मानना चाहिए।
और केवल ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य बीमा ही दान है। दुर्घटना बीमा और जीवन बीमा भी खर्च नहीं दान है। कोई भी व्यक्ति को बीमा की राशि लेने की नौबत आये, ऐसा नहीं चाहेगा और बीमा वैसे भी उस भारी भरकम खर्चे से बचाता है जिसका आप प्लान नहीं किये रहते हैं। बीमा दान तो है ही, बीमारी, दुर्घटना या अनहोनी होने पर यह एक महाबचत के रूप में सामने आता है और इस राशि को तो एक व्यक्ति सामान्य बचत कर के भी इकठ्ठा नहीं कर सकता।
बीमा के सेवा में टर्म बीमा, स्वास्थ्य बीमा और दुर्घटना बीमा जोखिम की अच्छी सुरक्षा देने में माने जाते हैं। इसमें से तो टर्म बीमा का प्रीमियम भी काफी कम होता है। मैंने देखा है कई लोगों के परिवारों को जिनके यहां कोई अनहोनी हुई हो तो उनके परिवार को 50 लाख या करोड़ों रुपए मिले हैं जबकि वे सालाना दस पंद्रह हजार ही प्रीमियम भरते थे। यही हाल दुर्घटना बीमा का है। इसका प्रीमियम भी बहुत कम होता है और आजकल तो डेबिट कार्ड के साथ ही कई बार मुफ्त दुर्घटना बीमा मिल जाता है जिसका कभी दुर्घटना हो तो इस्तेमाल करना चाहिए।
डेबिट कार्ड अनिवार्य योजना बीमा के कार्यक्र म के रूप में ही एक हिस्सा है जो देश में बीमा का कवरेज बढ़ाने के काम आ रहा है। मेरा मानना है कि जोखिम कवर करने के लिए बीमा कराना एक वित्तीय चतुराई और वित्तीय सुरक्षा भरा कदम है।
कोरोना लहर ने जीवन और परिवार की सुरक्षा को लेकर दृृष्टिकोण में बदलाव किया है । सरकार भी अब बीमा के कवरेज बढ़ाने को लेकर अपनी गति बढ़ा रही है और देश के सभी नागरिक जो पूर्व में आयुष्मान बीमा की शर्तों के कारण इसके दायरे में नहीं आ रहे थे, उन्हें भी स्वास्थ्य बीमा देने की तैयारी कर रही है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार सरकार ने इसके लिए लगभग लगभग दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना का मसौदा तैयार कर लिया है।
बाहर आ रही खबरों के अनुसार जो लोग अभी तक किसी भी स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल नहीं हैं, ऐसे करीब साढ़े 8 करोड़ नए परिवार जो करीब करीब 40करोड़ लोग होते हैं, को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की योजना बना रही है सरकार जबकि देश में अब तक 69 करोड़ लोग पहले ही इस योजना में शामिल हैं।
जैसा कि बताया जा रहा है इस योजना के शुरू होते ही भारत में करीब 109 करोड़ लोग इस योजना के माध्यम से बीमा कवर में आ जायेंगे । एक आंकड़े के अनुसार 26 करोड़ लोग पहले से ही अलग-अलग स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत सुरक्षा कवर में हैं। इस तरह देखें तो हमारा देश अपनी आबादी के 135 करोड़ लोगों को विभिन्न सरकारी और निजी माध्यमों से स्वास्थ्य बीमा देने वाला दुनिया का इकलौता देश बन जाएगा।
गौर करने वाली बात है कि सरकार में पूर्व की एक शर्त कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठाने के लिए बीपीएल होना है अब वह शर्त नहीं रहेगी। इस मसौदे को नेशनल हेल्थ अथारिटी ने नीति आयोग के सहयोग से तैयार किया है। इसके लिए जो प्रीमियम भी होंगे वे काफी सस्ते होंगे और यह दुनिया की सबसे सस्ती हेल्थ स्कीम होगी।
मेरा मानना है कि सरकार का यह ड्राफ्ट स्वागत योग्य तो है ही, सरकार को शिक्षा सेस की तरह हेल्थ सेस लेकर सभी सम्मानित करदाताओं का अनिवार्य बीमा कर देना चाहिए। यदि यह हेल्थ सेस कंपनी या फर्म से लिया जाता है तो व्यक्तिगत की जगह समूह बीमा उनके कर्मचारियों एवं मालिक का कर देना चाहिए। इससे स्वत: बीमा भी हो जायेगा, बीमा का दायरा भी बढ़ जायेगा, प्रीमियम संग्रह की चिंता मुक्ति हो जाएगी और जोखिम बीमा कंपनियों को हस्तांतरित हो जायेगा।
इस ड्राफ्ट के लागू होने पर कई बातें पता चलेंगी लेकिन जिस तरह चारों ओर कोरोना से लोगों के बीमार होने, जान जाने और उनके मेडिकल खर्चों की खबर आ रही थी और हैं भी, लांग कोविड का भी असर है। ऐसे में आयुष्मान बीमा के साथ बैंकों द्वारा दिया जा रहा दुर्घटना बीमा महत्वपूर्ण हो जाता है।
हालांकि आयुष्मान की जानकारी कई लोगों को है और लोग इसका लाभ उठा लेते हैं लेकिन बैंकों द्वारा दिया जाने वाली दुर्घटना बीमा जो लगभग हर एटीएम कार्ड के साथ मिलता है इसके बारे में ज्यादातर लोग अनभिज्ञ ही रहते हैं और इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं जबकि उनके बैंक खाते से इसका प्रीमियम उनके द्वारा ही भरा जाता है।
इसकी भी जागरूकता लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है क्यूंकि कमोबेश सबके पास एटीएम कार्ड है। बैंकों द्वारा दी जारी दुर्घटना बीमा के परिभाषा में कोरोना से मृत्यु को भी शामिल करना चाहिए क्यूंकि यह अचानक से आई एक दुर्घटना रुपी बीमारी ही थी तो लोगों को जो इस दुर्घटना के शिकार हुए हैं या उनके परिवार को दोहरी सुरक्षा मिल जाएगी।
कुल मिलाकर भारत की शत प्रतिशत जनता यदि भिन्न भिन्न माध्यम से बीमा से कवर होती है तो भारत के लिए यह संतोष की बात है।
पंकज गांधी