- सावन में मनोकामना के लिए नंदी देव की पूजा का भी होता है विधान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हिंदू धर्म में सावन के महीने के विशेष महत्व होता है। इस दौरान भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम समय होता है। सावन सोमवार पर शिव भक्त व्रत रखते हैं और शिवजी की आराधना करते हैं। सावन माह में किए गए शिव प्रिय कार्यों से शिवजी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस बार सावन का महीना चार जुलाई से शुरू हो चुका है।
कहा जाता है कि कुछ चीजें भगवान शिव के बेहद प्रिय होती हैं। वहीं, धतूरा शिवजी का प्रिय है। सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा चढ़ाने से वे जल्द ही प्रसन्न होकर अपनी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं। इसके साथ ही धतूरे से जुड़े कुछ उपाय कर लिए जाए तो शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
संकट टालने के लिए
मनोहरनाथ मंदिर के पूजारी विष्णु शास्त्री का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ को घर लेकर आएं और स्थापित कर दें। कहा जाता है कि इससे घर में आने वाले हर तरह के संकट टल जाते हैं। वहीं सावन का महीना शुरू हो चुका है और इस बार सावन का महीना 59 दिन का होने के कारण आठ सावन सोमवार भी होंगे। यदि आप इस दौरान भगवान शिव की पूरे भक्ति भाव के साथ आराधना कर रहे हैं तो नंदी देव की पूजन में भी कोई कमी न रखें।
पौराणिक मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन बल, बुद्धि, विद्या और धन की प्राप्ति होती है, लेकिन यदि आप नंदी देव की पूजा विधि विधान से करते हैं तो यही मनोकामना जल्द पूरी होती है। हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक नंदी महाराज भगवान शिव के प्रिय गण हैं और वह उनके प्रिय वाहन हैं। यही कारण हैं कि शिवालय में भगवान शिव के पास हमेशा ही एक नंदी महाराज भी एक प्रतिमा होती है।
ऐसी मान्यता है कि सावन के पवित्र महीने में नंदी महाराज को अपनी इच्छा बताने से साधक की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है। भगवान शिव जब तपस्या में लीन रहते हैं और भगवान नंदी उनकी सेवा में रहते हैं। ऐसे में लोग नंदी जी को ही अपनी मनोकामना बताते हैं, जो बाद में भगवान शिव तक उस मनोकामना को पहुंचाते हैं।
भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना?
औघड़नाथ मंदिर के पुजारी सूरज त्रिपाठी का कहना है कि सावन भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता है। इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री मां सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जीया। उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोरतप किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की।
अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय है। यही कारण है कि इस महीने कुमारी कन्या अच्छे वर के लिए शिवजी से प्रार्थना करती है। मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था। जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था। इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया है।
हिंदू धर्म पुराणों में सावन के महीने का कई जगह जिक्र किया गया है और शिव पुराण में तो इस माह का महत्व भी बताया गया है। सावन के महीने में भगवान शिव का पूजन किया जाता है और इसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष का प्याला पीया था। इस विष का ताप इतना तेज था कि इंद्र देवता ने बारिश करके उन्हें शीतल किया था। इसलिए सावन के महीने में बारिश होती है।
पितृ दोष दूर करने के लिए करे शिव की उपासना
बिलेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी हरीश चंद्रजोशी ने बताया कि सावन की शुरूआत हो गई है। सावन माह में आप अपने नाराज पितरों को खुश करने का उपाय कर सकते है। पितर खुश होंगे तो आपके परिवार में सुख, शांति, तरक्की, धन, धान्य, संतान सुख आदि प्राप्त होगा. यदि आपके पितर नाराज होते हैं तो कार्यों में असफलता के साथ घर में अशांति, वंश वृद्धि न होना जैसे संकेत मिलने लगते है। सावन माह में आप भगवान शिव से जुड़कर आसान उपाय करते हैं तो पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है।
सावन में पितृ दोष दूर करने के लिए सावन सोमवार के दिन सुबह स्नान करें और वस्त्र धारण करे। उसके बाद बिना चप्पल पहने ही शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग का जल से अभिषेक करने के बाद उस पर आक यानि मदार के 21 फूल अर्पित करे। बेलपत्र और कच्ची लस्सी चढ़ाएं। ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए शिव पूजा करे। सावन के पहले सोमवार से इस उपाय को करें और लगातार 16 सोमवार इस प्रक्रिया को दोहराएं। शिव कृपा से पितृ दोष दूर हो जाएगा और घर की उन्नति होगी।