Saturday, July 6, 2024
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लोकतंत्र में मतदान अहम कर्तव्य

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Nazariya


RAMESHWAR MISHRAलोकतंत्र के पर्व का बिगुल बज चुका है, मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सरकारी संस्थानों द्वारा रैलियां निकाली जा रही हैं। विश्वविद्यालय, कालेज और स्कूलों द्वारा तख्तियों पर लिखे स्लोगन-‘हम अपना कर्तव्य निभायेंगे, सब से मतदान करायेंगे’। ‘आन बान अरु शान से, सरकार बने मतदान से’। ‘प्रजा तंत्र से नाता है, हम भारत के मतदाता हैं’, के माध्यम से मतदाताओं को जागरूक करने के अभियान चलाया जा रहा है। पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव होने में कुछ ही दिन शेष बचे है। पार्टियों के सिम्बल के झंडे, कटआउट एवं बैनर हर चौराहे, बाजारों में लगे हुए हैं। प्रतिनिधियों द्वारा मतदाताओं को रिझाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है, देश भक्ति के 80 के दशक के फिल्मों के गीत बजाए जा रहे हैं। सड़कों और गलियों के पांच सालों के बकाया मरम्मत एवं निर्माण के कार्य को आचार संहिता के लगने के कुछ ही दिन पहले ही आनन-फानन में पूर्ण कर लिया गया है। दिल्ली से बड़े-बड़े पार्टी पदाधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों के कमियों को ढकने एवं रुठे कार्यकतार्ओं को मनाने का कार्य किया जा रहा है। वादो और अश्वासनो के ट्रंपकार्ड चलाये जा रहे हैं, बड़े-बड़े नेताओं के द्वारा सिद्दत के साथ मतदाता को चुनावी वादो की मृगमरीचिका में उलझा कर उनके अमूल्य वोट को अपने पाले में करने का प्रयास जारी है।

25 जनवरी 2023 को हमारे द्वारा 13वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया गया जिसका स्लोगन था ‘वोटिंग जैसा कुछ भी नहीं, मैं जरूर वोट देता हूं’। राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मतदाताओं को जागरुक करने एवं मतदान का महत्व बतलाने का कार्य किया जाता है। स्वतंत्र लोकतंत्र के निर्माण से स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होता है। शत प्रतिशत मतदान के फलस्वरूप ज्यादा पारदर्शी सरकार का गठन होता है। मतदाता सरकार चुनते है और सरकार अपने उतर दायित्वों का पालन कर राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करती है। भारतीय संविधान के इकसठवां संविधान संशोधन अधिनियम 1988 के द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष के कम करके 18 वर्ष कर दिया गया और इस प्रकार अब 18 वर्ष के प्रत्येक व्यस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार प्राप्त है।

आज से कुछ ही दिन बाद पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव होने हैं, इन पांच राज्यो के विधान सभा चुनाव में मतदान करना भारतीय लोकतंत्र के आदर्श मूल्यों का प्रतीक है। लोकतंत्र में हम ऐसे जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो हमारे सुख-दुख एवं सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सजग होते हैं तथा जो सरकार को स्थिर और पांच साल के समयावधि को पूर्ण कराने में सहायक होते हैं, परंतु कभी कभी हम ऐसे जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो अपनी सत्ता की महत्वाकांक्षा में अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पार्टी बदल लेते हैं। ऐसे में हम मतदाता का पहला कर्त्तव्य यह है कि लोकतंत्र के महापर्व को सफल बनाने के लिए पहले मतदान के प्रतिशत को अधिकतम तक पहुंचाएं तथा जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते समय सावधानी बरतें कुशल, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ एवं राष्ट्रनिष्ठ प्रत्याशियों के ही चुनाव चिन्ह पर बटन दबाए जिससे हम मतदाताओं को पांच साल तक पछताना न पड़े।

पिछले साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार-जीत का अंतर कई विधान सभाओं में नोटा के वोट से भी कम का था। 2022 के मार्च महीने में हुए चुनाव के परिणाम पर यदि नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में दस ऐसी सीटें थीं, जिनकी जीत-हार का अंतर 500 वोटों से कम का था एवं पांच विधानसभा सीटे ऐसी थीं, जिनमें जीत का अंतर 1000 वोटों से कम का था। पिछली विधानसभा चुनाव 2018 के मध्य-प्रदेश के चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश विधानसभा की कई सीटें ऐसी थीं, जहां जीत हार का अंतर बहुत ही कम था। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ग्वालियर की दक्षिणी विधानसभा सीट पर 121 वोटों के अंतर से चुनाव जीत हुई तथा दस ऐसी विधानसभा सीट थीं, जहां जीत-हार का अंतर 1000 से कम वोट का था, इसके साथ ही साथ 18 सीटें ऐसी थीं, जहां 2000 के कम के अंतर से जीत-हार हुई थी। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम पर नजर डालें तो जालन्धर विधानसभा सीट पर आप पार्टी ने कांग्रेस के निकटतम प्रत्याशी को 274 वोट के मामूली अंतर से चुनाव हराया था। इस प्रकार से उत्तराखंड विधानसभा की अल्मोड़ा सीट पर कांग्रेस ने अपने निकटतम भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को 127 वोटों के मामूली अंतर से हराया था, इसी तरह का अंतर उत्तराखंड की डाराघाट विधानसभा सीट पर था, जहां 182 वोटों के अंतर से जीत हार हुई थी। गोवा विधानसभा चुनाव में सेड आड्रे, वोडा, वेलिम तथा प्रियोल की विधान सभा सीटों पर जीत-हार का अंतर महज 100 से 200 वोटों का था।

लोकतंत्र के इस पावन पर्व पर मतदान करने का कर्तव्य हर परिस्थिति में अदा करना चाहिए और अपना एक अमूल्य वोट देकर एक कुशल मतदाता के कर्तव्य का पालन करना चाहिए। एक-एक अमूल्य वोट का प्रभाव चुनाव में आपके पांच वर्षों के सामाजिक, आर्थिक विकास के साथ ही साथ राष्ट्र के भविष्य को सुनिश्चित करता है। मतदान हमारा अधिकार ही नहीं, वरन हमारा कर्तव्य भी है। अपने अमूल्य वोट की शक्ति को पहचानते हुए राष्ट्रहित, राज्यहित एवं समाजहित में वोट करने की विचारधारा के साथ शत प्रतिशत मतदान का संकल्प लें। आपके द्वारा किया गया आज का मतदान आने वाले नई पीढ़ी और राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी।


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