जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: लंबी बीमारी के बाद 72 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, 2006 में मिला था पद्मश्री मशहूर सिंगर पंकज उधास का आज 72 साल की उम्र में निधन हो गया है। सिंगर पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। इसकी जानकारी उनकी बेटी ने दी है।
जानकारी के मुताबिक, बीमारी के चलते उन्हें बीते दिनों मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन अचानक आज दोपहर उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। पंकज उधास के परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की है। उधास के निधन से बॉलीवुड, राजनीतिक समेत तमाम बड़ी हस्तियों में दुख का माहौल है। पकंज उधास पद्म सम्मानित थे।
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को हुआ था। वे भारतीय गजल और पार्श्व गायक थे जो हिंदी सिनेमा और भारतीय पॉप में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1980 में आहट नामक एक गजल एल्बम से की। इसके बाद में 1981 में मुकरार, 1982 में तरन्नुम, 1983 में महफ़िल, 1984 में रॉयल अल्बर्ट हॉल में पंकज उधास लाइव, 1985 में नायाब और 1986 में आफरीन जैसी कई हिट फ़िल्में के लिए गाने रिकॉर्ड किए।
गजल गायक के रूप में उनकी सफलता के बाद उन्हें महेश भट्ट अपनी फिल्म में ब्रेक दिया। ये फिल्म थी नाम। उन्हें नाम फिल्म में अभिनय करने और गाने के लिए आमंत्रित किया गया। उधास को 1986 की फिल्म नाम में गाने के बाद काफी प्रसिद्धि मिली। इसमें उनका गाना “चिट्ठी आई है” बहुत हिट हुआ।
पंकज उधास का जन्म गुजरात के जेतपुर में हुआ। वह तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनके माता-पिता केशुभाई उधास और जितुबेन उधास हैं। उनके सबसे बड़े भाई मनहर उधास ने बॉलीवुड फिल्मों में हिंदी पार्श्व गायक के रूप में कुछ सफलता हासिल की।
2006 में पद्मश्री से हुए थे सम्मानित
इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के लिए पार्श्वगायन किया। दुनिया भर में एल्बम और लाइव कॉन्सर्ट ने उन्हें एक गायक के रूप में प्रसिद्धि दिलाई। 2006 में पंकज उधास को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
गुजरात के जमींदार परिवार में हुआ जन्म
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। वो अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार राजकोट के पास चरखाड़ी नाम के एक कस्बे का रहने वाला था। उनके दादा जमींदार थे और भावनगर राज्य के दीवान भी थे।
उनके पिता केशुभाई उधास सरकारी कर्मचारी थे, उन्हें इसराज बजाने का बहुत शौक था। वहीं उनकी मां जीतूबेन उधास को गानों का बहुत शौक था। यही वजह थी पंकज उधास समेत उनके दोनों भाइयों का रुझान संगीत की तरफ हमेशा से रहा। पंकज उधास को बड़ी पहचान फेमस गजल ‘चिट्ठी आई है’ से मिली थी।
पहले गाने के बदले मिले थे 51 रुपए
पंकज ने कभी नहीं सोचा था कि वो अपना करियर सिंगिंग में बनाएंगे। उन दिनों भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था। इसी दौरान लता मंगेशकर का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना रिलीज हुआ था। पंकज को ये गाना बहुत पसंद आया। उन्होंने बिना किसी की मदद से इस गाने को उसी लय और सुर के साथ तैयार किया।
एक दिन स्कूल के प्रिंसिपल को पता चला कि वो गायिकी में बेहतर हैं, जिसके बाद उन्हें स्कूल प्रेयर टीम का हेड बना दिया गया। एक बार उनकी कॉलोनी में माता रानी की चौकी बैठी थी।
रात में आरती-भजन के बाद वहां पर कल्चरल प्रोग्राम होता था। इस दिन पंकज के स्कूल के टीचर आए और उन्होंने कल्चरल प्रोग्राम में पंकज से एक गाने की फरमाइश की। पंकज ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना गया। उनके इस गीत से वहां बैठे सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। उन्हें खूब वाहवाही भी मिली। दर्शकों में से एक आदमी ने खड़े होकर उनके लिए ताली बजाई और इनाम में उन्हें 51 रुपए दिए।
संगीत एकेडमी से पढ़ाई की
पंकज के दोनों भाई मनहर और निर्जल उधास म्यूजिक इंडस्ट्री में जाना-पहचाना नाम हैं। इस घटना के बाद पेरेंट्स को लगा कि पंकज भी अपने भाइयों की तरह म्यूजिक फील्ड में कुछ बेहतर कर सकते हैं, जिसके बाद पेरेंट्स ने उनका एडमिशन राजकोट में संगीत एकेडमी में करा दिया।
काम नहीं मिला तो विदेश गए
वहां पर कोर्स पूरा करने के बाद पंकज कई बड़े स्टेज शो पर परफॉर्मेंस करते थे। वो अपने भाइयों की तरह ही बाॅलीवुड में जगह बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 4 साल तक संघर्ष किया, लेकिन इस दौरान उन्हें कोई बड़ा काम नहीं मिला। उन्होंने फिल्म कामना में अपने एक गाने को आवाज दी थी, लेकिन वो फिल्म फ्लॉप हो गई, जिस वजह से उन्हें कोई खास पॉपुलैरिटी नहीं मिली। काम नहीं मिलने से दुखी होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने का फैसला किया।
‘चिट्ठी आई है’ गाना सुनकर रो पड़े थे राज कपूर
राजेंद्र कुमार और राज कपूर बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन उन्होंने राज कपूर को अपने घर डिनर पर बुलाया। डिनर करने के बाद उन्होंने पंकज उधास की आवाज में राज कपूर को चिट्ठी आई है, गजल सुनाई, तो वो रो पड़े। उन्होंने कहा कि इस गजल से पंकज को बहुत पॉपुलैरिटी मिलेगी और उनसे बेहतर ये गजल कोई दूसरा नहीं गा सकता।
जब फैन ने तान दी थी बंदूक
धीरे-धीरे पंकज को गजल गायकी से प्यार हो गया, जिसके लिए उन्होंने उर्दू सीखी। एक बार वो स्टेज परफॉर्मेंस दे रहे थे, जहां वो पहले ही 4-5 गजल गा चुके थे। तभी एक दर्शक उनके पास आ गया और उसने एक गजल की फरमाइश की। उसका बर्ताव पंकज को सही नहीं लगा और उन्होंने गाने से मना कर दिया। इस बात पर वो आदमी इतना भड़क गया कि उसने पंकज के सामने बंदूक तान दी और गाने के लिए कहा। उसकी हरकत से पंकज इतना डर गए कि उन्होंने उसकी फरमाइश की गजल गाई।
इस मुस्लिम लड़की से की शादी
पंकज ने 11 फरवरी 1982 को फरीदा से शादी की थी। एक कॉमन फ्रेंड की शादी में दोनों की मुलाकात हुई थी। पंकज को पहली नजर में ही फरीदा पसंद आ गई थीं। उस वक्त वो ग्रेजुएशन कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं। पहले दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार। दोनों शादी करना चाहते थे। पंकज के परिवार वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था।
जब फरीदा ने इस रिश्ते की बात अपने परिवार को बताई, तो उन्हें ये रिश्ता मंजूर नहीं था। वो दूसरे धर्म में अपनी लड़की की शादी नहीं कराना चाहते थे। फरीदा के कहने पर पंकज उनके घर गए और उनके पिता से अपने रिश्ते की बात की। फरीदा के पिता रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे, इस वजह से पंकज बहुत डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने अपनी बातों से उनका दिल जीत लिया। फरीदा के पिता दोनों की शादी के लिए मान गए। जिसके बाद दोनों की शादी हुई। दोनों की दो बेटियां नायाब और रेवा हैं।
जिस फिल्म के गाने से पॉपुलैरिटी मिली, उसमें काम करने के लिए मना कर दिया थाविदेश में पंकज को बहुत पॉपुलैरिटी मिली। इसी दौरान एक्टर और प्रोड्यूसर राजेंद्र कुमार ने उनके गानों को सुना और बहुत इम्प्रेस हुए। वो चाहते थे कि पंकज एक फिल्म के लिए गाए और कैमियो भी करें। इसके लिए उनके असिस्टेंट ने पंकज से बात की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
इस बात और पंकज के रवैये का जिक्र राजेंद्र कुमार ने उनके भाई मनहर से किया। जब मनहर ने ये बात पंकज को बताई, तब उन्हें बहुत बुरा लगा। उन्होंने राजेंद्र कुमार के असिस्टेंट को कॉल किया और मिलने के लिए मीटिंग फिक्स की। इस मीटिंग के बाद उन्होंने फिल्म नाम में काम किया और गजल ‘चिट्ठी आई है’ को अपनी आवाज दी। ये गजल उनके करियर की बेहतरीन गजलों में से एक है। इस गजल की एडिटिंग डेविड धवन ने की थी।