Friday, January 17, 2025
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Mauni Amavasya 2025: क्या है मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने का कारण? जानें इसका महत्व

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। मौनी अमावस्या हिंदुओं के लिए एक पवित्र महत्व रखती है। इस दिन, भक्त मौन व्रत का संकल्प लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्यक्ति की इंद्रियों और आत्मा को शुद्ध करता है। मौनी अमावस्या को ‘माघी अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन, भक्त भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं। लोग सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं यानी 3:00 से 4:00 बजे के बीच, जिसके बाद पूजा और मंत्र जाप किया जाता है। इस दिन के दौरान पालन किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान यह है कि भक्त पवित्र गंगा और प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हैं। तो आइए जानें कि इस दिन मौन व्रत रखने का महत्व क्या है और इसका पालन कैसे किया जाता है।

मौन रखने का कारण

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है। साधक इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं, जो मुख्यतः आत्मसंयम और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत साधु-संतों के द्वारा भी किया जाता है, क्योंकि मौन रहकर मन को नियंत्रित करना और ध्यान में एकाग्रता लाना सरल हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके माध्यम से वाणी की शुद्धता और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह व्रत आत्मिक शांति और साधना में गहराई लाने का एक सशक्त माध्यम है।

मौनी अमावस्या व्रत के नियम

  • इस दिन प्रातःकाल गंगा स्नान करना आवश्यक है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो पवित्र नदी के जल से स्नान करने का प्रयास करें।
  • पूरे दिन मौन रहकर ध्यान और जप करें।
  • व्रत के दौरान किसी प्रकार का बोलना वर्जित है। तिथि समाप्त होने के बाद व्रत पूर्ण करें।
  • व्रत खोलने से पहले भगवान राम या अन्य इष्ट देव का नाम अवश्य लें।

महत्व

मौनी अमावस्या का व्रत आत्मसंयम, शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। यह व्रत मन और वाणी को शुद्ध करता है और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से समाज में मान-सम्मान में वृद्धि होती है और साधक की वाणी में मधुरता आती है। साथ ही, यह व्रत व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी जीवन में संतुलन लाने में सहायक होता है।

मौनी अमावस्या का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्म-नियंत्रण और ध्यान के माध्यम से मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।

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