- कहा कि यह सिर्फ गंगा की एक धारा, एनजीटी हुआ सख्त
- अभागी बूढ़ी गंगा: 15 जनवरी को एनजीटी कोर्ट में डीएम को वर्चुअली पेश होने के आदेश
- रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सरकारी वकील ने मांगा चार सप्ताह का समय
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिस बूढ़ी गंगा के जीर्णोद्धार के लिए यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) से लेकर अन्य अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने दिलचस्पी दिखाई। जिस बूढ़ी गंगा पर यूएन (संयुक्त राष्ट्र) में चर्चा हुई। जिस बूढ़ी गंगा की लड़ाई नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट लड़ रहा है और तो और जो बूढ़ी गंगा एतिहासिक महाभारतकाल की गवाह है, सिंचाई विभाग ने उसी बूढ़ी गंगा केअस्तित्व को ही नकार दिया है और कहा कि यह तो सिर्फ गंगा की एक धारा मात्र है।
अब सिंचाई विभाग के अधिकारियों से कोई यह पूछे कि महाभारत क्या सिर्फ एक कहानी मात्र है, सच्चाई से इसका कोई वास्ता नहीं और हस्तिनापुर सिर्फ एक बस्ती है महाभारत से इसका कोई ताल्लुक नहीं। कुल मिलाकर बूढ़ी गंगा के साथ अभी तक हो रहे भद्दे मजाक पर हर कोई सन्न है। एनजीटी में इस पर सुनवाई का दौर चल रहा है लेकिन ‘आकाओं’ ने एनजीटी को ही लपेटने की कोशिशें शुरु कर दी हैं।
दरअसल, एनजीटी इस मामले में पूरी तरह से सख्ती बरत रहा है। उसने स्थानीय प्रशासन (एसडीएम मवाना), पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सिंचाई विभाग की एक ज्वॉइंट कमेटी बनाकर इस पर सच्चाई जाननी चाही तो सब ने मिलकर एनजीटी की आंखों में ही धूल झोंक दी। ज्वॉइंट कमेटी ने एनजीटी को जो रिपोर्ट पेश की उससे कोर्ट खुद हतप्रभ है। कोर्ट का कहना है कि आखिर ज्वॉइंट कमेटी ने गलत रिपोर्ट क्यों पेश की यह हमारे भी समझ से परे है और इसका जवाब हमें नहीं मिल पा रहा है।
उधर, सरकार की तरफ से रिपोर्ट दाखिल करने वाले वकील ने कोर्ट से चार हफ्तों का समय मांगा है। इसके बाद बूढ़ी गंगा के मामले में एनजीटी ने सख्ती दिखाते हुए जिलाधिकारी दीपक मीणा को 15 जनवरी को कोर्ट में वर्चुअली पेश होने के आदेश जारी कर दिए हैं। आरोप है कि एनजीटी ने जो रिपोर्ट मांगी थी उस पर एसडीएम मवाना से लेकर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सिंचाई विभाग सभी ने गलत रिपोर्ट पेश की। कोर्ट में इस केस में प्रमुख सचिव से लेकर डीएम, एसडीएम मवाना एवं अधिशासी अभियंता (नगर पालिका हस्तिनापुर) पार्टी बनाए गए हैं।