Saturday, March 22, 2025
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जब अफसर हैं बेखबर, कैसे होगी नालों की सफाई ?

  • बारिश के मौसम में इस बार महानगर के टापू बनने के नजर आ रहे हैं आसार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नाले नालों की सफाई के नगर निगम प्रशासन के दावों पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल नालों की सफाई के लिए जो भारी भरकम पोकलेन मशीनें लगायी गयी हैं वो केवल एक ही शिफ्ट में काम कर रहीं हैं। ऐसा नहीं कि ये मशीनें खराब हैं या इन पर स्टाफ नहीं हैं।

मशीनें भी हैं और स्टाफ भी है, लेकिन बगैर डीजल मशीनें चले तो चले कैसे। बताया गया है कि बारिश से पहले महानगर के नालों को तल्ली झाड़ साफ करने के निर्देश नगरायुक्त ने दिए ताकि महानगर को टापू में तब्दील होने से बचाया जा सके, लेकिन जो हालात नजर आ रहे हैं, उसके चलते तो यही आशंका है कि नगरायुक्त के प्रयासों पर स्टाफ के ही कुछ लोग पानी फेरने पर उतारू हैं।

यह कौन है इस नतीजे पर पहुंचना तो जल्दबाजी होगी, लेकिन जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक पोकलेन और नाला सफाई कार्य में लगे दूसरे वाहनों व मशीनों को डीजल की पर्ची देने में डिपो स्तर पर बड़ा खेल चल रहा है। हो यह रहा है कि एक शिफ्ट के लिए पोकलेन को चार घंटे चलाने के लिए 28 लीटर डीजल की पर्ची जारी की जाती है।

इसी तरह दूसरी शिफ्ट के लिए भी 28 लीटर की पर्ची जारी किए जाने के निर्देश निगम प्रशासन के हैं, लेकिन सुनने में आया है कि जो सेकेंड शिफ्ट के लिए दूसरी पर्ची जारी की जानी चाहिए, वो पर्ची बजाय पोकलेन मशीन के आॅपरेटर के हाथों तक जाने के पर्ची जारी करने वाले डिपो प्रभारी की जेब में जाती है। इसके चलते दूसरी शिफ्ट में नाला सफाई का कार्य पोकलेन मशीन नहीं कर पाती है।

नगर निगम के डिपो प्रभारियों को तेल का खेल कोई नया नहीं है। इसको लेकर कई बार पूर्व के नगरायुक्तों ने जांच भी करायी हैं। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शासन तक ने इस मामले को लेकर पूर्व में रिपोर्ट तलब कर ली थी।

तेल के खेल का खुलासा बुधवार को टीपीनगर के शेखों पंप के समीप खड़ी नगर निगम की पोकलेन को लेकर क्षेत्रवासियों द्वारा की गयी पूछताछ से हुआ। लोगों ने बताया कि जब उन्होंने चालक से नाला सफाई न करने का कारण पूछा तो उसने बताया कि गाड़ी में डीजल नहीं है।

कुछ लोगों ने इसको लेकर निगम व डिपो पर इंक्वारी की तो पता चला कि डीजल तो दोनो ही शिफ्टों में सफाई का जारी किया जाता है, लेकिन यह बात अलग है कि जेसीबी के आॅयल टैंक में सिर्फ एक शिफ्ट का डीजल पहुंचता है। दूसरे शिफ्ट की डीजल की पर्ची पेट्रोल पंप से कैश करा ली जाती है। जिस जेसीबी का जिक्र किया जा रहा है, उसका आॅपरेटर हरीश कुमार है।

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