Friday, December 1, 2023
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लचर सफाई व्यवस्था का जिम्मेदार कौन?

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  • कर्मियों का वेतन काटने में लगा निगम
  • सफाई नेता बोले-आबादी के हिसाब से सफाई कर्मियों की संख्या कम

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: वर्तमान में सफाई व्यवस्था बेपटरी होने का आरोप लगाकर जहां एक तरफ सामान्य लोग जन सुनवाई आदि में शिकायत कर रहे हैं। वहीं कुछ वार्डों के वार्ड पार्षद भी सफाई व्यवस्था से खुश नहीं हैं। शहर के 90 वार्डों में से 50 से 60 पार्षद कहीं सफाई सुपरवाइजर तो कहीं सफाई कर्मी से नाराज हैं।

जिसमें ऐसे सुपरवाइजर व सफाई कर्मचारी को हटवाने की मांग को लेकर लिखित एवं मौखिक तौर पर निगम के स्वास्थ्य विभाग में शिकायत कर चुके हैं। कई पार्षदों के लिए तो लापरवाह सफाई सुपरवाइजर एवं कर्मचारी को हटवाना उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न तक बन चुका है।

क्रांतिधरा की साफ-सफाई व्यवस्था इन दिनों बेपटरी चल रही है। बावजूद इसके सफाई नेता एवं सफाई कर्मचारी आबादी के हिसाब से सफाई कर्मियों की वर्तमान में संख्या बेहद कम बताते हुए क्षमता से अधिक कार्य करने की बात कर रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ सफाई कर्मियों का दबी जुबान से आरोप है कि उनका शोषण किया जा रहा है। जिसमें स्थाई से 1500 एवं अस्थाई से 500 रुपये सुपरवाइजर के माध्यम से लिए जाते हैं।

अधिकतर वार्ड पार्षद बेपटरी सफाई व्यवस्था से खासे नाराज चल रहे हैं। जिसमें 90 वार्डों में से 50 से 60 पार्षदों द्वारा उनके वार्डों में कहीं सफाई सुपरवाइजर तो कहीं कुछ सफाई कर्मचारियों की लापरवाही के चलते सफाई व्यवस्था बेपटरी होने का आरोप लगाया है। ऐसे लापरवाह सफाई सुपरवाइजर एवं कर्मचारियों को हटाए जाने या उनका वार्ड बदले जाने की मांग करते हुए निगम में प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में लिखित एवं मौखिक तौर पर शिकायतें की है।

शिकायत पर प्रभारी नगर स्वास्थ्य प्रभारी ने औचक निरीक्षण किया और कार्रवाई शुरू की। जिसमें यदि जून माह को देखा जाए तो 30 दिनों के अंदर 4500 अनुपस्थिति रजिस्टर में दर्ज कर एक-एक दिन का वेतन काटते हुए निगम के खाते में 18 लाख रुपये से जमा कराए। यदि देखा जाए तो सभी अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निर्वहन करने की बात कर रहे हैं। उसके बावजूद सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी चल रही है।

उसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है। वहीं, कुछ सुपरवाइजरों का आरोप है कि वर्तमान पार्षद एवं पूर्व पार्षदों के बीच सामंजस नहीं बनने के कारण उनके उपर सफाई कर्मचारियों से रुपये लेने के झूंठे आरोप लगाए जा रहे हैं। फिलहाल आरोप प्रत्यारोप के बीच सफाई व्यवस्था बेपटरी चल रही है।

वहीं, इस मामले में पूर्व पार्षद गफ्फार का कहना है कि कोरोना काल से पूर्व जो बायोमीट्रिक मशीन के माध्यम से दो समय हाजिरी लगाई जाती थी। वह व्यवस्था दोबारा से बहाल होनी चाहिए, ताकि जो बेवजह सफाई कर्मचारी पर ड्यूटी पर नहीं आने या ड्यूटी पर होने के बावजूद उसका वेतन अनुपस्थित रहने के दौरान काट दिए जाने की शिकायत आ रही है, वह नहीं आ सके।

शहर की सफाई व्यवस्था वर्तमान में कुछ पार्षदों की शिकायतें आ रही है। जिसमें कुछ सुपरवाइजर एवं सफाई कर्मचारियों के वार्ड बदलने की मांग की गई है। कुछ सफाई कर्मचारी एक वार्ड से दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किए गए है। जून माह में औचक निरीक्षण किया, जिसमें अनुपस्थित सफाई कर्मचारियों का एक-एक दिन का वेतन काटा गया है, ताकि सफाई कर्मचारी ड्यूटी में लापरवाही न कर सके। करीब 18 लाख रुपये अनुपस्थित कर्मचारियों के वेतन से काटा गया है। शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार कराया जा रहा है। -डा. हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम

शहर की आबादी से हिसाब से 5600 सफाई कर्मचारी होने चाहिए, हेल्थ मैनुअल के हिसाब से प्रत्येक 10 हजार की आबादी 28 कर्मचारी होने चाहिए,शहर की आबादी 20 लाख से अधिक है। जिसमें 5600 कर्मचारी होने चाहिए वर्तमान में 3120 कर्मचारी हैं। जिनके कंधों पर शहर की सफाई व्यवस्था का जिम्मा है। एक कर्मचारी से दोगुना काम लिया जा रहा है। अवकाश दिवस में भी उनसे कार्य लिया जाता है। जिसमें अतिरिक्त कोई भुगतान नहीं किया जाता है। जिसमें यह सब सफाई कर्मचारियों का उत्पीड़न में आता है। -शिवकुमार नाज, उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ अध्यक्ष

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