- गंगनहर पटरी: वन विभाग और केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से पेड़ काटने की मांगी स्वीकृति
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गंगनहर पटरी चौड़ीकरण की प्रक्रिया तो आॅन रिकॉर्ड आरंभ हो गई, लेकिन इसके साथ ही नहर पटरी से हरियाली भी खत्म हो जाएगी। वन विभाग के अनुसार दांयी नहर पटरी पर करीब 50 हजार हरे पेड़ हैं, जिनको काटने की अनुमति पीडब्ल्यूडी ने मांगी है।
हरे पेड़ इतनी बड़ी तादाद में काटे जाएंगे, जो बड़ी बात है। हालांकि इसकी अनुमति केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से भी लेना आवश्यक, वहां से किसी तरह की अनुमति फिलहाल नहीं मिली है। पर्यावरण मंत्रालय ने पहले बांयी गंगनहर पटरी से पेड़ काटने पर आपत्ति लगा दी थी, जिसके बाद ही बांयी पटरी को फोर-लेन करने की प्रक्रिया रोक दी गई थी।
दरअसल, प्रदेश सरकार ने दायी गंगनहर पटरी को सात मीटर चौड़ी की जाएगी। वर्तमान में ढ़ाई मीटर चौड़ी पटरी बनी हुई है। कुछ स्थानों पर यह पटरी वर्तमान में काली बनी है तो कुछ कच्ची है। कहीं पर खड़ंजा भी लगा है। सात मीटर पटरी चौड़ी की जाएगी, जिसके चलते पटरी से लगी हुई वन विभाग की ग्रीन बेल्ट है।
जिसको खत्म करने के लिए पीडब्ल्यूडी ने वन विभाग से अनुमति मांगी है। एक अनुमान है कि करीब 50 हजार पेड़ नहर पटरी पर हैं, जो बड़े पेड़ हैं, जिनकी आयु भी करीब 100 वर्ष से ज्यादा बतायी गयी है। सड़क की सुविधा तो जनता को मिलेगी, मगर हरियाली व्यापक स्तर पर खत्म होगी, जिससे वातावरण प्रभावित होगा।
मुरादनगर से लेकर मुजफ्फरनगर से उत्तराखंड बॉर्डर तक 111 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जाएगा, जिसकी चौड़ाई सात मीटर होगी। इसकी लागत स्वीकृति 628 करोड़ प्रदेश सरकार ने की है। इस बीच में फ्लाईओवर, रेलवे ओवरब्रिज व मेजर ओवरब्रिज भी प्रस्तावित है। इसमें सड़क का निर्माण पीडब्लयूडी करेगा तथा ब्रिज का निर्माण सेतु निगम करेगा। 27 माइनर ब्रिज बनेंगे, जिनका निर्माण सिंचाई विभाग करेगा।
एनएच-58 पर मुजफ्फरनगर क्षेत्र में एक फ्लाईओवर बनेगा, जो बड़ा निर्माण है। हालांकि मेरठ-करनाल हाइवे, सरधना-दौराला मार्ग, मेरठ-रोहटा मार्ग, मेरठ-जानी मार्ग अति व्यस्त मार्ग है, यहां पर अंडरपास या फिर ओवरब्रिज का निर्माण किया जाना चाहिए। वैसे फिलहाल इसका प्रस्ताव टेंडर प्रक्रिया में नहीं दिया गया हैं, जो जनता को भविष्य में जाम की समस्या से जूझना पड़ेगा।
वर्तमान में भी बांयी गंगनहर पटरी पर ट्रैफिक बढ़ने से जाम की दिक्कत हर रोज आ रही है, जिसके चलते सुविधा बढ़ने की बजाय लोगों को असुविधा हो रही हैं। हर रोज कई-कई घंटे जाम लगा रहता है। महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि गंगनहर की दोनों ओर पटरियों के निर्माण से हरियाली पूरी तरह से खत्म होने जा रही है। अब पौधे से पेड़ होने में लंबा समय लग जाता है। जिन पेड़ों को काटने की अनुमति ली जा रही है, वो 100 साल पुराने बताये गए हैं। इसमें ज्यादातर ऐसे पेड़ है, जिनकी कीमत भी अच्छी-खासी है।
सागौन, शीशम व औषधीय पेड़ भी गंगनहर पटरी पर लगे हुए हैं। गंगनहर से पांच मीटर दूरी छोड़कर सड़क का निर्माण किया जाएगा। सात मीटर चौड़ी पटरी बनेगी, इसके बाद दो मीटर चौड़ा नाले का पक्का निर्माण कार्य करना भी टेंडर में प्रस्तावित है। इसके पानी की निकास की पूरी व्यवस्था का इंतजाम किया जाएगा। जमीन कम पड़ती है तो किसानों की जमीन अधिग्रहण भी की जा सकती है।