- लॉकडाउन में एक बार फिर बढ़ा नोवेल पढ़ने का क्रेज
- युवाओं को भा रहे नए लेखकों के नोवल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोरोना संक्रमण के चलते एक बार फिर से लॉकडाउन का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। ऐसे में घर पर ही रहते हुए हर कोई समय काट रहा है। वहीं, इन दिनों खाली समय में एक बार फिर से किताबों का संसार लौटने लगा है। युवा हों या फिर बड़े-बूढ़े हर कोई पूरा दिन टीवी या फिर फोन में नहीं लगा रह सकता है। वह भी जब आपके पास करने के लिए कोई दूसरा कार्य न हो। ऐसे में खाली समय में किताबों की ओर लोगों का रुझान लौटने लगा है।
आम तौर पर ज्यादातर युवा मोबाईल फोन में ही अपना खाली समय व्यतीत करते हैं, लेकिन लॉकडाउन में कई लोगों का लाइफस्टाइल बदला है। इन दिनों किताबों की दुनिया फिर से लौटने लगी है। सिर्फ युवा ही नहीं बल्कि बुजुर्ग भी किताबों की ओर रुझान बढ़ा रहे हैं।
साथ ही ई-बुक व आनलाइन पुस्तकों का भी महत्व बढ़ गया है। शहर में यूं तो कई लाइब्रेरी और बुक स्टोर हैं, लेकिन इन दिनों लॉकडाउन के चलते सभी बंद हैं। वहीं, ऐसे में आॅनलाइन बुकिंग भी की जा रही है। किताबों की बात करें तो मोटीवेशनल, साहित्यिक और उपन्यासों का क्रेज ज्यादा दिखाई दे रहा है। वहीं, बाजार में कई नए लेखकों की भी पुस्तकों ने लोगों को के दिलों पर इन दिनों काबू किया है।
उधर, एवरग्रीन माने जाने वाले चेतन भगत, रविंद्र सिंह और दुर्जोय दत्ता की किताबों को भी काफी पढ़ा जा रहा है। हालांकि नए लेखकों की बात करें तो नुपूर ढींगरा की ओ गर्ल यू आर प्रीशियस भी काफी पढ़ी जा रही है। इस दौरान निंबस बुक स्टोर के एडवोकेट रामकुमार वर्मा ने बताया कि लॉकडाउन में किताबों को पढ़कर समय सदुपयोग किया जा सकता है।
कई ऐसे लेखक हैं जिनकी कहानियां काफी प्रेरणादायक होती हैं और उनसे कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। वहीं, कई धार्मिक किताबें के भी संग्रह है, जिन्हें बुजुर्ग पढ़ना पसंद करते हैं। लॉकडाउन के समय में श्रीमद भागवत गीता पढ़ी जा सकती है। जो कि जिंदगी जीने की सीख देती है।