Friday, June 27, 2025
- Advertisement -

दहशत: बंदरों के आतंक से बच्चे नहीं आते स्कूल

  • सरकारी स्कूल की बदहाली, बच्चों की शिक्षा हो रही प्रभावित

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर में वन विभाग और शिक्षा विभाग की उदासीनता का खामियाजा इन दिनों नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है। शहर के अलग-अलग इलाकों में बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि आम लोगों के साथ-साथ अब इसका असर स्कूलों में भी देखने को मिल रहा है। ऐसे ही नजारा आजकल वैदवाड़ा स्थित प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिल रहा है। इस प्राथमिक विद्यालय में बंदरों के आतंक से बच्चों ने लगभग आना बंद कर दिया है। शिक्षक भी परेशान हैं, क्योंकि बंदर काफी हमलावर हो गए हैं।

18 10

दरअसल, प्राथमिक विद्यालय में कुल 39 बच्चे पंजीकृत हैं। बंदरों के आतंक की वजह से 10-15 बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं। बाकी के बच्चों ने बंदरों के डर की वजह से स्कूल आना बंद कर दिया है। वहीं बंदरों के आतंक से त्रस्त शिक्षिकाओं का भी कहना है कि उन्हें भी स्कूल में प्रवेश पड़ोसियों की मदद से करना पड़ता है। स्कूल में लंबे से बंदरों का आतंक जारी है। कई बच्चों को बंदरों ने काट लिया है।

इस वजह से बच्चों के साथ-साथ शिक्षिकाओं को भी डर लगता है। वहीं, छात्रों का कहना है कि बंदर कई बच्चों को काट चुके हैं। उन्होंने बताया कि क्लास में बंदर घुस जाते हैं। यहीं वजह से कि बच्चे स्कूल में नहीं आ रही है। कई बार शिकायत करने के बाद भी वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

सरकारी स्कूलों में शिक्षा दम तोड़ रही है, प्राथमिक विद्यालय वैदवाड़ा में तो स्थिति ज्यादा खराब है। यहां पर न तो छात्रों को अच्छी पढ़ाई दिलाने के लिए शिक्षकों का प्रबंध है, न ही छात्रों को सरकार द्वारा चलाई जा रही डीबीटी योजना का लाभ मिल पा रहा है। यहां तक कि स्कूल की बिल्डिंग को लेकर भी विवाद है, बंदरों के आतंक के कारण छात्र स्कूल आने से भी कतराते है, ऐसे में स्कूल में छात्रो की संख्या लगातार घटती जा रही है।

सोमवार को प्राथमिक विद्यालय वैदवाड़ा नगर क्षेत्र का दौरा करने पर जो सच्चाई सामने आई वह चौंकाने वाली है। स्कूल की कक्षा एक में 23 छात्र, दो में पांच छात्र, तीन में तीन छात्र, चार में चार छात्र और कक्षा पांच में चार छात्र है। यानी स्कूल में कुल 39 छात्र ही है। बताया जा रहा है कि स्कूल में पिछले कई सालों से लगातार छात्रों की संख्या कम हो रही है। इसके पीछे की वजह पर अगर गौर किया जाए तो यहां पर बच्चे पढ़ाई के लिए आने से इसलिए बचते हैं, क्योंकि यहां बंदरों का आतंक है।

बच्चों को पढ़ाई के साथ भोजन भी मिले इसके लिए एक एनजीओ से मिड-डे-मील योेजना के तहत भोजन आता है, लेकिन अधिकतर बच्चे इसे नहीं खाते। बच्चों को सरकार की तरफ से मिलने वाली सभी योजनाओं के लिए डीबीटी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है छात्रों को सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली किसी भी योजना के लाभ को लेकर किसी तरह की धांधलेबाजी न हो सके।

छात्रों के परिजनों के खातों में योजना के लाभ के रूप में पैसा पहुंच जाए, लेकिन इस स्कूल के अधिकतर छात्रो के रिकार्ड की फीडिंग नहीं हुई है। केवल एक ही शिक्षक है जो सभी कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाते भी है और उनके रिकार्ड भी मेटेंन करते है। स्कूल में पहले एक शिक्षा मित्र पुष्कर शर्मा भी थे जिनकी कोरोना से मौत हो गई। अब उनका पद खाली है, कई बार बीएसए कार्यालय को लिखा गया है कि शिक्षा मित्र की व्यवस्था की जाए, लेकिन कोई सुनवाई नही है।

बिल्डिंग पर भी विवाद

विद्यालय की बिल्ंिडग को लेकर भी विवाद चल रहा है, स्कूल के एक कमरे को पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति ने यह कहते हुए अपने कब्जे में ले लिया है कि नगर-निगम में यह उसके नाम पर दर्ज है। जिसको लेकर निगम से उसका विवाद भी चल रहा है। केवल चार कमरे हैं, जिनमें पांच कक्षाओं को एक ही शिक्षक के द्वारा पढ़ाया जाता है।

स्कूल आने से कतराते हैं बच्चे

स्कूल के हेडमास्टर इकबाल खान का कहना है कि वह तो अपनी तरफ से बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन बच्चे पढ़ने आने से बचते हैं। स्कूल में बंदरों का भी जबरदस्त आतंक है, इसको लेकर भी बच्चे यहां आने से कतराते हैं।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Diljit Dosanjh: ‘बॉर्डर 2’ की शूटिंग पर मचा बवाल, FWICE ने अमित शाह को लिखा पत्र

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

काम से पहचान

घटना तब की है जब अब्राहम लिंकन अमेरिका के...

सोनम बनाम सनम और तोताराम

शाम को हवाखोरी के इरादे से बाहर निकला ही...
spot_imgspot_img