Thursday, May 8, 2025
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नगर निगम में 23 कर्मियों से होगी वेतन वसूली

  • नगर निगम में फर्जी तरीके से भर्ती हुए कर्मचारियों की बढ़ी मुश्किलें, कमिश्नर ने दिखाई सख्ती

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नगर निगम में फर्जी तरीके से भर्ती हुए 23 कर्मचारियों की मुश्किलें नववर्ष में बढ़ने वाली है। कमिश्नर सेल्वा कुमारी ने इन कर्मचारियों से जो वित्तीय हानि हुई हैं, उसको लेकर गंभीरता दिखाई हैं। वेतन के रूप में जो वित्तीय क्षति हुई है, उसकी वसूली के आदेश दे दिए हैं। इसका एक पत्र नगर निगम में आॅडिटर एवं लेखा अधिकारी के पास पहुंचा है।

इस पत्र ने 23 उन कर्मचारियों की नींद उड़ा दी हैं, जो फर्जी तरीके से नगर निगम में सेवा पा रहे थे। ये सभी संविदा कर्मी थे, जिनको स्थाई कैसे कर दिया गया? इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। लंबे समय से इनकी जांच पड़ताल भी कई स्तर से चल रही हैं। अब देखना यह है कि नगर निगम के अधिकारी इनसे कब तक वेतन की रिकवरी करेंगे?

इस पूरे प्रकरण को लेकर अपर आयुक्त महेंद्र प्रसाद ने हाल ही में एक पत्र नगर निगम नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा को लिखा है, जिसमें कहा गया है कि नगर निगम में आॅडिटर (एमएनपी )एवं लेखाधिकारी द्वारा प्रस्तर आपत्ती आख्या अनुसार अवैध नियम विरुद्ध नियुक्ति की खुली जांच के मामले में भेजा हैं। इसी पत्र में फर्जी नियुक्ती पाने वाले कर्मचारियों की वेतन की वसूली करने के आदेश दिये गए हैं।

पत्र में कहा गया है कि वेतन के रूप में हुई वित्तीय हानि की वसूली के आदेश दिए गए हैं। कहा गया है कि डा. प्रेम सिंह ने जो शिकायत की थी, उसका संज्ञान ग्रहण करते हुए प्रखंड में नगर आयुक्त के स्तर से जांच प्रचलित है। अत: इस नगर निगम में अवैध नियुक्तियों के संबंध में नगरायुक्त के स्तर से प्रचलित जांच के क्रम में कार्यालय पुलिस अधीक्षक के उप संदर्भित पत्र की प्रति में संलग्न सहित इस आशय से प्रेषित है कि शिकायती पत्र में वर्णित तथ्यों की जांच करा कर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करें।

इस पत्र से नगर निगम में हड़कंप मच गया हैं। निगम में कमिश्नर आॅफिस से ये पत्र तो पहुंचा, लेकिन बीच में ही कहां गायब हैं? अभी कुछ नहीं पता। इस पूरे मामले को दबाने में लोग लगे हुए हैं। आखिर पहले अपर नगरायुक्त ममता मालवीय को जो इसकी जांच एक माह में पूरी करके देनी थी, उसमें लंबा समय लग गया, लेकिन जांच वर्तमान में भी लंबित पड़ी हैं। इस मामले में जांच अधिकारी ममता मालवीय की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

ये था मामला

दरअसल, 23 कर्मचारी संविदा पर रखे गए थे। इनमें तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, जिन्हें नियम विरुद्ध नियमित कर दिया गया। इसको लेकर डॉ प्रेम सिंह ने आपत्ति व्यक्त करते हुए कमिश्नर को शिकायत की थी, जिसकी जांच पड़ताल की गई तथा इसमें कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं।

इनकी हुई थी गलत भर्ती

द्वितीय चरण ड्राइवर वाली लिपिक क्लर्क

  • अमरदेव, महमूद अली, मनोज कुमार गौड़, सुनील कुमार सिंह, दिनेश कुमार, मोहम्मद परवेज, धर्मेंद्र कुमार आदि।

तृतीय चरण कंप्यूटर कक्ष

  • आलोक शर्मा, सुनील शर्मा, सुनील दत्त शर्मा आदि।

चतुर्थ चरण पटवारी

  • राजकुमार और रूद्रेश

पंचम चरण ड्राइवर लिपिक

  • मनोज कुमार, संजय, शम्स आरिफ, सतीश कुमार, राजेश कुमार, नौशाद अहमद , नकुल वत्स, हरवीर सिंह, शकेब खान, राजेंद्र कुमार कोरी अर्दली।
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