Friday, May 30, 2025
- Advertisement -

जीवन जीने का हक सबको

Sanskar 8


प्रत्येक मनुष्य का जीवन बहुत मूल्यवान होता है। उसी प्रकार हर जीव का जीवन भी होता है। सभी को अपना-अपना जीवन जीने का पूरा अधिकार है। ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि जब हमारा मन करेगा, हम किसी के भी प्राणों को हर लेंगे। मनुष्य को ईश्वर ने अधिकार नहीं दिया कि वह अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए किसी जीव की हत्या करे। कहीं पढ़ा था कि एक बार मगध सम्राट बिम्बसार ने अपनी सभा में प्रश्न पूछा- देश की खाद्य समस्या सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है?

मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गए। चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत श्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब जब प्रकृति का प्रकोप न हो, ऐसी हालत में अन्न तो सस्ता हो ही नहीं सकता। तब शिकार का शौक पालने वाले

एक सामन्त ने कहा- राजन, सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस है। इसे पाने में मेहनत कम लगती है और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है। सबने इस बात का समर्थन किया लेकिन प्रधानमंत्री चाणक्य चुप थे। तब सम्राट ने उनसे पूछा- आपका इस बारे में क्या मत है?

चाणक्य ने कहा- मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूंगा। रात होने पर प्रधानमंत्री उसी सामन्त के महल पहुंचे, सामन्त ने द्वार खोला। इतनी रात को प्रधानमंत्री को अपने महल में देखकर वह घबरा गया।

प्रधानमंत्री ने कहा-शाम को महाराज एकाएक बीमार हो गए हैं, राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते हैं। इसलिए मैं आपके पास आपके हृदय का सिर्फ दो तोला मांस लेने आया हूं। इसके लिए आप एक लाख स्वर्ण मुद्राएं ले लें।

यह सुनते ही सामन्त के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़कर माफी मांगी। प्रधानमंत्री बारी-बारी सभी सामन्तों और सेनाधिकारियों के यहां पहुंचे। सभी से उनके हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ। सभी ने अपने बचाव के लिए प्रधानमंत्री को एक लाख, दो लाख, पांच लाख तक स्वर्ण मुद्राएं दीं। इस प्रकार करीब दो करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह करके प्रधानमन्त्राी सवेरा होने से पहले वापस अपने महल पहुंच गए। प्रात: समय पर राजसभा में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष दो करोड़ स्वर्ण मुद्राएं रख दीं।

सम्राट ने पूछा-यह सब क्या है? तब उन्होंने बताया कि दो तोला मांस खरीदने के लिए इतनी धनराशि इकट्ठी हो गई, फिर भी दो तोला मांस नहीं मिला। राजन! अब आप स्वयं विचार करें कि मांस कितना सस्ता है? इस घटना से यही समझ आता है कि जिस तरह मनुष्य अपनी जान प्यारी है, उसी तरह सभी जीवों को अपनी जान उतनी ही प्यारी है। पशु बेजुबान होते हैं। उनसे जीने का अधिकार छीन लिया जाए, यह सर्वथा अनुचित है।

                                                                                                                 चन्द्र प्रभा सूद


janwani address 2

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Saharanpur News: देवबंद कोतवाली पुलिस ने मुठभेड़ के बाद दो बदमाशों को पकड़ा,लूट का माल बरामद

जनवाणी संवाददातासहारनपुर: देवबन्द कोतवाली पुलिस ने शातिर लूटेरो के...

Delhi-NCR और उत्तर भारत में मौसम का मिजाज बदला, IMD ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img