Sunday, June 15, 2025
- Advertisement -

कर्म और भाग्य

Amritvani


एक बड़े ज्ञानी संत थे। उनका एक शिष्य हमेशा साथ रहता था। एक दिन संत ने शिष्य को बुलाकर कहा कि मैं कहीं दूर योग साधना के लिए जा रहा हूं। तुम्हारी गुरु मां गर्भवती हैं। तुम यहीं रहो, जब संतान जन्म ले, तुम उसकी कुंडली बना लेना, ताकि भविष्य देखा जा सके। शिष्य ने गुरु की बात मान ली। एक दिन गुरु मां ने पुत्र को जन्म दिया। शिष्य ने तत्काल कुंडली तैयार की।

पुत्र का भाग्य बहुत खराब था। उसके भाग्य में सिर्फ एक बोरी अनाज और एक पशु था। शिष्य को उसकी चिंता हुई। वह जंगल में निकल गया। कई साल बाद वह लौटा, तो देखा, जहां आश्रम था, वहां एक झोपड़ी है। उस झोपड़ी में गुरु पुत्र रहता है।

सिर्फ एक बोरी अनाज और एक गाय उसके यहां थी। पत्नी और बच्चे भी कई बार भूखे रह जाते। शिष्य ने गुरु भाई से कहा कि तुम यह अनाज और गाय बाजार में बेच आओ, इससे जो धन मिले उससे गरीबों को भोजन कराओ। गुरु पुत्र ने कहा ऐसे तो मेरा जीवन बरबाद हो जाएगा। यही मेरी गृहस्थी का आधार है। संत ने कहा कुछ नहीं होगा। जैसा कहता हूं वैसा करो। गुरु भाई ने ऐसा ही किया।

अगले दिन फिर उसके आंगन में एक गाय और एक बोरी अनाज बंधा था। संत ने फिर उससे वही करने को कहा। फिर रोज का सिलसिला बन गया। धीरे-धीरे गुरु भाई की आर्थिक स्थिति सुधरती गई। हम अक्सर किस्मत के लिखे को ही अंतिम सत्य मान लेते हैं। कभी भाग्य बदलने का प्रयास नहीं करते। अगर प्रयास किया जाए, तो भाग्य को भी अपने कर्मों से बदला जा सकता है। अच्छे कर्मों से भाग्य भी बदला जा सकता है।


janwani address 7

What’s your Reaction?
+1
0
+1
6
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Father’s Day: फिल्मों के वो पिता, जो बन गए दिलों की आवाज़, बॉलीवुड के सबसे यादगार किरदार

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Father’s Day: पिता के बिना अधूरी है ज़िंदगी, फादर्स डे पर करें उनके योगदान का सम्मान

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img