- विभाग के अधिकारी बिजली का बिल जमा कराने के लिए कर रहे फोन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश के पश्चात विद्युत विभाग ने बिल जमा ना करने वालों उपभोक्ताओं को फोन कर तकादा अभियान शुरू कर दिया हैं। जिससे कि सभी उपभोक्ता समय पर बिल जमा करा दें। इतना ही नहीं अगर उपभोक्ता तीन माह के बाद भी बिल जमा नहीं करेगे तो विभाग द्वारा उनके कनेक्शन को काट दिया जाएगा।
दरअसल, लॉकडाउन के समय उपभोक्ताओं ने बिजली का बिल जमा नहीं कराया था। जिससे विभाग काफी घाटे में चला गया था। क्योंकि उपभोक्ताओं को बिजली तो उपलब्ध करायी जा रही थी। मगर बिल जमा ना होने पर विभाग को सिर्फ घाटा ही हो रहा था।
मीटिंग में घाटे पर ऊर्जा मंत्री ने जतायी थी नाराजगी
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने तब पश्चिांमाचल विद्युत विभाग के अधिकारियों की मीटिग ली थी। जब हाइलोस पर अधिकारियों से नाराजगी जताते हुए जल्द से जल्द हाइलोस कम करने के लिए निर्देश जारी किए थे।
घाटे को कम करने के लिए विभाग ने चलाया था अभियान
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देश के पश्चात विद्युत विभाग द्वारा हर रोज मॉर्निंग रेड अभियान चलाया गया। जिसमें जिन उपभोक्ताओं ने बकाया जमा नहीं किया था। उन उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए। साथ ही हाइलोस डिवीजन में बिजली चोरी करने वालोें पर सख्त कार्रवाई की गई। जिसके बाद बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए। तब जाकर उपभोक्ताओं ने अपने बिल जमा किए।
कम बकायेदारों के भी कटे थे कनेक्शन
विद्युत विभाग ने अभियान के दौरान बड़े बकायेदारों के साथ-साथ छोटे बकाएदारों के भी कनेक्शन काट दिए थे। जिन उपभोक्ताओं ने लॉकडाउन अवधि में भी निरंतर बिल जमा किया था, लेकिन किसी कारणवंश एक दो माह से बिल जमा नहीं करा पाएं थे। उसके बाद उपभोक्ताओं ने ट्वीटर एवं अन्य माध्यमों से ऊर्जा मंत्री से गुहार लगायी थी।
तब ऊर्जा मंत्री ने आदेश जारी करते हुए कहा कि कोई भी अधिकारी तीन माह तक बिल जमा न करने वाले उपभोक्ताओं के कनेक्शन ना काटे। सिर्फ उनसे बिल जमा करने के लिए डोर लॉक करे या फिर तकादा मिशन के तहत फोन करें।
कनेक्शन कटते हुए देना पड़ता है चार्ज
अगर कोई उपभोक्ता बिल समय प जमा ना कर पाएं। और उसकी बिजली कट जाएं। उसके बाद अगर उपभोक्ता अपना बिजली का बिल जमा करने के लिए जाता है, तो विभाग उससे हर्जाना के रूप में चार्ज लेता है। जिससे उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। उपभोक्ताओं का कहना है, कि अगर उनके पास पैसे ही होते तो वह बिल ही जमा करा देते, लेकिन अधेरे में रहा नहीं जा सकता।
इसलिए हर्जाना के साथ ही बिल जमा कराते हैं। बता दें कि बिजली विभाग का आम उपभोक्ताओं के साथ-साथ सरकारी कार्यालय पर भी काफी बकाया है, लेकिन विभाग सरकारी कार्यालयों पर उस प्रकार कार्रवाई नहीं करता जिस प्रकार आम उपभोक्ताओंं पर की जाती है। क्योंकि सिस्टम का सभी अंग होते हैं।